एक्शन मोड में झारखंड CM सोरेन- CAA का विरोध करने वालों पर दर्ज मुकदमे वापस होंगे

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 9, 2020
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन धड़ाधड़ जनहित से जुड़े मुद्दों पर प्रतिक्रिया देकर सुर्खियों में बने हुए हैं। पत्थलगड़ी के बाद अब सीएम सोरने ने नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों पर से राजद्रोह का मुकदमा वापस लेने का फैसला लिया है। उन्होंने आदेश दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ धनबाद में प्रदर्शन करने वाले 3000 लोगों पर लगे राजद्रोह के मामले वापस लिए जाएं। साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।



हेमंत सोरेन ने खुद इस बात की जानकारी ट्वीट कर दी है। उन्होंने लिखा है,

“कानून जनता को डराने और उनकी आवाज दबाने के लिए नहीं, बल्कि आम जन-मानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने को होता है। मेरे नेतृत्व में चल रही सरकार में कानून जनता की आवाज को बुलंद करने का कार्य करेगी। धनबाद में 3000 लोगों पर लगाए गए राजद्रोह की धारा को अविलंब निरस्त करने के साथ साथ दोषी अधिकारी के खिलाफ समुचित करवाई की अनुशंसा कर दी गयी है। साथ ही मैं झारखंड के सभी भाइयों-बहनों से अपील करना चाहूंगा की राज्य आपका है, यहां के कानून व्यस्था का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।”





बता दें कि देशभर में लोग नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर कई शहरों में हिंसा भी हुई है। जिसमें अबतक 1500 से ज्यादा लोग जेल जा चुके हैं। हेमंत सोरेन ने पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े मामले में भी केस वापस लेने का आदेश दिया था। यूपी में बहुत सारे लोगों पर कार्रवाई की गई थी। बीजेपी शासित राज्यों में से यूपी में बड़े पैमाने पर सीएए के विरोध के दौरान हिंसा हुई थी। 

झारखंड में शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटे बाद हेमंत सोरेन सरकार ने दो साल पहले पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान दर्ज मामले वापस लेने का फैसला किया था। हेमंत सोरेन ट्विटर पर बहुत एक्टिव हैं। वो किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर अधिकारियों को ट्विटर पर ही कार्रवाई करने का निर्देश भी दे रहे हैं।

पत्थलगढ़ी आंदोलन के तहत आदिवासियों ने बड़े-बड़े पत्थरों पर संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों को दिए गए अधिकारों को लिखकर उन्हें जगह-जगह जमीन पर लगा दिया था। यह आंदोलन काफी हिंसक भी हुआ था। इस दौरान पुलिस और आदिवासियों के बीच जमकर संघर्ष हुआ था। जिसके बाद कम से कम 10 हजार लोगों के खिलाफ देशद्रोह के केस दर्ज हुए थे।

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