भारत जोड़ो -संविधान बचाओ समाजवादी विचार यात्रा की सीख

Written by एड. आराधना भार्गव | Published on: March 18, 2020
भारत जोड़ो -संविधान बचाओ समाजवादी विचार यात्रा में शामिल होने 13 फरवरी 2020 की रात्रि, तारा स्थिति युसुफ मेहर अली सेन्टर पहुँची। रात्रि विश्राम के पश्चात् युसुफ अली मेहर सेन्टर को दिखाने के लिये वहाँ के साथी देवी हमारे साथ थे। उन्होने जहाँ बापू की कुटिया दिखाई। महात्मा गांधी जी कहते थे हमें अपना घर बनाते समय जो सामग्री चाहिये वह गांव के 5 किलोमीटर के दायरे में मिलने वाली वस्तुओं को उपयोग करना चाहिये। बांस, घास, मिट्टी से बने मकान को देखा जिसके निर्माण में पानी भी कम लगा मिट्टी और बांस का उपयोग करने के कारण घर के अन्दर ठंडक थी, हवादार रोशनदान होने के कारण घर में उजाला व धूप भी आ रही थी। 



ऐसे मकानों को देखकर लगा अगर गांव व शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना में इस तरीके मकान बनाये जायें तो कम बजट में मकान बन जायेंगे। देश के प्रत्येक व्यक्ति को आवास उपलब्ध हो सकेगे, तथा बिजली की बचत भी होगी। पर्यावरण को नुकसान भी कम होगा तथा ग्रामीण शिल्पी को रोजगार मिलेगा, खेती योग्य जमीनो का अधिग्रहण तथा बिल्डरों से छुटकारा मिलेगा। सेन्टर में कुटिर उद्यौग देखने के लिये मिले मिट्टी के सुन्दर बर्तन बनाने का छोटा सा चाक था जिसे कुछ ही समय में मिट्टी के बर्तन बनाने की कला आम व्यक्ति सीख सकता है। नहाने का साबुन तथा कपड़े धोने का साबुन, नीम के तेल बनाने की मशीनें देखी। 

शुद्ध खाने का तेल निकलने की घानी देखी जिसमें कोई केमिलकल का उपयोग नही होता। औषधी पौधों की नर्सरी  देखी। सेन्टर को देखने के बाद लगा बापू सही कहते थे ‘चलो गांव की ओर’ सेन्टर को देखने के पश्चात् कि गांव की अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत हो सकती है तथा गांव से युवाओं का पलायन कैसे रोका जा सकता है ? गांव का पैसा शहर जाने से कैसे बचाया जा सकता है ? यह समझ में आया। जी जी ने पूरा जीवन लगाकर इसे खड़ा किया है। समाजवादियों को जी जी के द्वारा विकसित इस मॉडल को अपने अपने इलाके में दोहराने का काम कर प्रचारित करना चाहिए।

समाजवादियों का यही वैकल्पिक आर्थिक विकास का मॉडल हो सकता है।
पुणे के एस.एम. जोशी फाण्डेशन में जो नाश्ता किया वह फाण्डेशन में काम करने वाली एक कार्यकर्ता अपने घर से बनाकर लाई थी, जिसे देखकर लगा की किस तरह अपने कार्यकताओं को आर्थिक मजबूत किया जा सकता है और बाजारवाद से कैसे सीधा मुकाबला किया जा सकता है। नायगांव पहुँचे तो सावित्री बाई फुले का जन्म स्थान देखा जो एक साधारण से घर एवं बस्ती में था जिसे देखकर लगा कि प्रतिभा किसी बड़े शहर या बडे घर की मोहताज नही होती। 

सन् 1831 में ग्राम नायगांव तहसील खण्डाला जिला सतारा में सावित्री बाई फुले का जन्म हुआ था। उनकी बुआ सगुना बाई ने उन्हें पढ़ने के लिये प्रेरित किया, शिक्षिका बनने की प्रेरणा  पति महात्मा फुले जी से मिली। सतारा में प्रताप सिंह  हाई स्कूल देखा, जिसमें भारत रत्न बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने कक्षा 4 तक पढ़ाई की थी उनके एडमिशन का ओरिजनल रजिस्टर देखा, जिसमें उनका नाम लिखा था उन्होंने 07 दिसम्बर 1900 में स्कूल में दाखिला लिया था। बाबा साहेब जिस स्कूल में पढ़े थे उस स्कूल की स्थापना 1851 में हुई थी। 27 अक्टूबर को विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है। जिसमें बाबा साहेब पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इसी स्कूल से हाईकोर्ट के दो न्यायाधीश तथा वाईस चान्सलर व गवर्नर पढ़कर निकले। स्कूल की बिल्डिंग 137 वर्ष पुरानी होने के पश्चात् भी आज भी बहुत सुन्दर और मजबूत है। मैं स्कूल को देखकर सोचने लगी की प्राईवेट स्कूल के मकडजाल से बचने के लिये हमें सरकारी स्कूलों का प्रचार प्रसार करना चाहिये। जहां उच्च स्तर की  अच्छीशिक्षा मिल सके व प्राइवेट स्कूलों की लूट से छुटकारा मिल सके। 

रात्रि में सांगली में शाहीन बाग में हजारों महिलाऐं यात्रा का इन्तजार कर रही थी, जिनके हाथों में भारत का संविधान व तिरंगा था। वे नारे लगा रही थी हम देश बचाने निकले है, आओं हमारे साथ चलो, इसी तरह का नजारा लगभग 45 शाहीन बागों में देखा जिसमें महिलाऐं ये कहते मिली कि सीएए -  एनपीआर-  एनआरपी की लड़ाई तो हम जीतेगे ही, किन्तु इसके पश्चात् भी अब हम एक नए भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएगे। हम भारत देश के जल, जंगल, जमीन को भी बचायेगे, हम भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनायेगें ताकि पूरी दुनिया हम पर ना़ज कर सके।

रत्नागिरी में आजादी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा देने वाले लोकमान्य तिलक की जन्म स्थली देखने के लिये जब हम पहुँचे तो बाहर ताला डला था। पूछने पर पता चला कि आज छुट्टी है, बहुत दुःख हुआ आजादी मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा देने वाले को सरकार ने किस तरीके से नौकरशाही की गिरफ्त में  रखा है। इस यात्रा के माध्यम से हम यह मांग करते है कि देश के महापुरूषों की जीवनी उनके जन्म स्थान, दर्शकों के लिये हमेशा खुले रहना चाहिये तथा महापुरुषों महिलाओं के फोटो स्कूल की दीवारों पर अंकित किये जाने चाहिए ताकि उन्हें देखकर लोगों के मन में देश प्रेम की भावना जाग सके।

मिरज में राष्ट्र सेवादल का शिविर देखा जिसे देखकर लगा कि आरएसएस का मुकाबला सिर्फ राष्ट्रसेवा दल के माध्यम से ही हो सकता है। इचतकंरजी जो महाराष्ट्र का मेनचेस्टर कहलाता था आज वहाँ का बुनकर भुखमरी की कगार पर खड़ा हैं, क्योंकि उनके पास रोजगार के अवसर समाप्त हो चुके है। अब कपड़ा बनाने के ऐसी मशीने आ गई है जो एक घण्टे में हजार मीटर कपड़ा बना लेती है।

मालवाड में स्थित साने गुरूजी वाचन मंदिर गये जहाँ मेने बैरिस्टर नाथपाई का फोटो देखा उनके बारे में जाना, संजय भीम सेन जो संस्था का संचालन कर रहे है ने बताया कि बेरिस्टर नाथपाई की स्मृति में ट्रस्ट बनाया गया है। नाथपाई जी बहुत विद्वान सांसद  थे ।आज तक लोकसभा में नाथपाई जी के बराबर  कोई विद्धान सांसद नही पहुँचा। वे अपने क्षेत्र के लोगों से परिवार के सदस्य की तरह जुड़े थे, अपने क्षेत्र के लोकप्रिय नेता थे। हर परिवार के साथ उनका पारिवारिक रिश्ता था और यही उनकी लोकप्रियता का कारण था।
गोवा में डाॅ. लोहियाजी का पार्क देखा। सन् 1942 के आन्दोलन में लोहिया जी को लाहौर जेल में बहुत अधिक प्रताड़ना दी गई जिसके परिणाम स्वरूप उनका स्वास्थ्य अत्यधिक बिगड़ गया ,लोहिया जी के स्वास्थ्य खराब होने के कारण उनके एक डाॅ. मित्र जो गोवा में रहते थे उन्होंने लोहिया जी को स्वास्थ लाभ लेने तथा ईलाज करने हेतु गोवा बुलवाया। 

गोवा में पुर्तगालियों का शासन था, अतः गोवा को आजाद कराने में लोहिया जी लग गये। खुद का स्वास्थ्य तो ठीक नही करवाया किन्तु गोवा को पुर्तगालियो से मुक्त कर आजाद करवाया । गोवा को लोग मौज मस्ती की जगह समझते है, जबकि गोवा आज पूरे देश के लिये आदर्श  है। क्योंकि आज भी वहाँ सामुहिक खेती वा सामुहिक मछली पालन होता है ऐसे लोगों को कोमिनीदार कहते है। कोमनीदारों ने अपनी सुरक्षा हेतु पुर्तगालियों को बुलवाया था और उनके साथ एग्रीमेन्ट किया था कि वे उनके आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नही करेंगे । कोमनीदारों ने गोवा में खेती योग्य जमीने बनाई तथा एशिया की सबसे गहरी नदियों का निर्माण करवाया, सामुहिक खेती वा सामुहिक मछली पालन की योग्यता रखने के कारण ही उनका मछली पालन वा भूमि अधिग्रहण से अपनी खेती को बचा पाये। किन्तु वर्तमान में केन्द्र में बैठी सरकार आस्ट्रेलिया से कोयला बुलाकर गोवा में डम्प कर रही है और फिर वहाँ से पूरे देश में थर्मल पावर बनाने के लिये कोयला भेजेगी, जिसके परिणाम स्वरूप अदानी हर जिले में थर्मल  पावर बनायेगा। गोवा कि सुन्दरता, नदियाँ, मछली, पर्यावरण सभी कुछ नष्ट होने की कगार पर है। प्रदूषित होने पर गोवा में पर्यटक भी नही जाना पसन्द करेगें। गोवा में  जो साथी संघर्ष कर रहे है हमें मिलकर उनका साथ देना चाहिये।

बेलगांव में  गांधीजी ने 1924 में कांग्रेस का 39 वाँ सम्मेलन लिया था उस स्थान पर पहुँचे वहाँ एक बड़ा कुआ था जिसे कांग्रेस कुआँ के नाम से जाना जाता है। पूछने पर पता चला कि सम्मेलन के दौरान पानी की कमी होने पर बापू ने श्रमदान से कुआँ खुदवाया और पीने के पानी की कमी को तत्काल दूर किया। हुबली में कपास की खेती आज भी होती है। भारत के पुराने शहरों में से हुबली एक शहर है। बैग्लोर से करीब 60 किमी. पहले एक मठ में गए जहाँ लगभग 50 हजार से अधिक लोग धार्मिक समारोह के लिए उपस्थित थे । यह लिंगायत समाज का मठ था, पूछने पर बताया गया कि 12 वीं सदी में मठ के स्थापक ने महिलाओं के गैर बराबरी के खिलाफ आवाज उठाई। 

उनकी बहन को मंदिर के अन्दर नही आने देने पर उन्होंने पूछा की मेरी बहन को मेरे साथ मंदिर के अन्दर क्यों नही आने दिया, तो कहा गया कि वे  महावारी होने के कारण मंदिर के अन्दर नही आ सकती, इस पर उन्होने कहा यह तो प्राकृतिक चीज है इससे महिला अपवित्र कैसे हो सकती है ? उन्हें जनेऊ पहनाया गया तो उन्होंने कहा मेरी बहन को क्यों नही पहनाया गया? तो कहा कि महिलाऐं जनेऊ नही पहन सकती। उन्होंने महिलाओं की गैर बराबरी के खिलाफ बहुत आवाज उठाई। पाखण्ड का विरोध किया। वे जाति के पण्डित थे उन्होने अपना धर्म छोड़ा तथा एक हरिजन महिला के साथ शादी की। आज उस मठ में लगभग 11000 अनाथ बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है उनका मठ किसी धर्म को नही मानता, मानव धर्म को मानता है। मुझे लगा आज इस विचारधारा के लोगों की हमें फिर अवश्यकता है, 12 वीं सदी में लोग आज तुलना में अधिक सुशिक्षित तथा बुद्धिमान थे।

कर्नाटक के पूर्व मुख्य मंत्री निजलिंगप्पा की समाधि  देखी तीन बार मुख्य मंत्री रहे कर्नाटक का गठन करने वाले कर्नाटक के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध बानाने वालों श्री एस निजग्लिप्पा जी  की समाधि पर गये। समाधि स्थल की डिजाईन बहुत ही सुन्दर लगी। यह समाधि स्थल मठ द्वारा दी गई दो एकड़ जमीन पर सरकार के अनुदान से बनाया गया है। क्योकि मरते समय समाधि बनाने के लिये भी उनके पास जमनी रनही थी अतः मठ के 2 एकड जमीन देने पर उनकी समाधि बनी। श्री एस निजग्लिप्पा को उनकी सादगी और ईमानदारी के लिये जाना जाता है। सार्वजनिक जीवन जीने वालो और समाज के लिये श्री एस निजग्लिप्पाजी का व्यक्तित्व अत्यन्त प्रेरणादाई है। कर्नाटक में हमारे साथ यात्रा कर रहे बी.आर. पाटिल ने बताया की जब वे विधान सभा के उपसभापति थे, तब उन्होंने एक कार्यक्रम में निजिलिंगप्पा जी को  बुलाया था तब उन्होंने विधायकों से पूछा था कि उन्होने बैगलूरू में बंगला बनाने की क्या जरूरत है? उन्होंने सीधे दो विधायकों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने बंगला गाडी ली है उस समय विधायकों का वेतन व भत्ता बहुत कम हुआ करता था। उन्होंने यह भी बताया की एक बार जब उन्होंने सरकारी खर्चे पर बधाई पत्र भेज दिया तो तुरन्त उनका जावाब स्पष्ट दिया कि सरकारी खर्चे पर किसी व्यक्ति को बधाई पत्र भेजना शासकीय पैसे का दुरूपयोग है। श्री एस निजग्लिप्पा जी के पास अपनी गाड़ी, नही थी पर जिसकी भी गाड़ी से जाते थे उसको अपने हिस्से का पैसा दिया करते थे।

कोच्ची में में कालीमिर्च, कॉफी  तेजपान, सुपारी, जायफल के बगीचे देखे जिन्हें तलाशते हुए वास्कोडिगामा  कालीकट पहुँचा था। कन्याकुमारी के रास्ते पर एक मठ में गए जहाँ पर 6 वीं पीढी  के स्वामी जी से मुलाकात की उन्होने बताया कि पहले उच्च जाति के महिलाओं को कमर से उपर कपड़े पहनने का अधिकार था, किन्तु निम्न जाति की महिलाऐं कमर से उपर कपड़े नही पहन सकती थी, उनके लिये मठ में काफी संघर्ष किया गया यह मठ महिलाओं के अधिकार के लिये संघर्ष करने के लिये जाना जाता है।

चेन्नई में समुद्र के किनारे आदानी द्वारा बनाया गया थर्मल पावर देखा जिसका विरोध मछुवारे कर रहे है। क्योकि थर्मल पॉवर का प्रदूषित पानी समुद्र में पुनः फेका जाता है जिसके परिणाम स्वरूप मछलियाँ मर रही है। न्युक्लीयर पॉवर प्लॉट भी समुद्र के किनारे बनाये जा रहे है। जिसके कारण मछुआरों का जीवन संकट में है। काकीनाड़ा में भी समुद्र के किनारे जहाँ गोदावरी नदी समुद्र में मिलती है उस जगह पर  मछलियों की ब्रीडिंग की जाती है। आस्ट्रेलिया से कछुआ व मछली ब्रीडिंग के लिये जाये जाते है क्योकि नादियों और समुद्र के पानी मिलने के कारण ब्रीडिंग अच्छे से होती है, यह एरिया लगभग 30 हजार एकड़ में है। 18 गांव इससे प्रभावित है आन्ध्रप्रदेश सरकार ने पहले 1000 एकड जमीन रिलाईस को दे दी थी तथा मछली के ब्रीडिंग एरिया को पूरी तरह से समतल बनाकर बिल्डोजर चला दिये गये हैै। आन्ध्रप्रदेश सरकार यहाँ पर हाऊसिंग प्रोजेक्ट ला रही है। यहाँ पर भी हमने समुद्र के किनारे की जमीन भू-मफिया के हाथों बर्बाद होते देखी  जंगलों को काटकर सीमेन्ट के जंगल बनाते देखा। पूरे दक्षिण भारत में असहनीय गर्मी पड़ रही है, पर्यावरण पूरी तरीके से बिगड़ चुका है।

यात्रा के दौरान सभी राज्यों में प्रकृतिक संसाधनों की लूट तथा कार्पोरेट को छूट मिलती दिखाई दी ।सभी राज्यों में जन कल्याण के कार्यक्रम लगभग समाप्त होते दिखे। सभी जगह सरकार कॉरपोरेट के लिए  फेसिलेटर का काम कर रही है। इसी दौरान मध्यप्रदेश में सरकार को गिरने का नाटक भी देखा। लोकतंत्र पूरी तरीके से खत्म हो चुका है पूँजीवाद लोकतंत्र पर हावी है। संविधान सरकार द्वारा ताक पर रख दिया गया है। इस यात्रा के माध्यम से हमने यह  संदेश दिया कि संविधान को बचाने और लोकतंत्र की हत्या रोकने हेतु हम सबको मिलकर कारगर उपाय तलाशने  होगें ,तभी यह देश बच सकेगा। गांधी के रास्ते पर ही चलकर हम देश को बचा सकते है, यही यात्रा का सार और संदेश है।

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