दलित कार्यकर्ताओं का कहना है कि पश्चिमी यूपी में दलितों से टकराना दबंगों के लिए महंगा पड़ सकता है। अगर हालात बिगड़े तो योगी सरकार के लिए इसे काबू करना मुश्किल होगा।

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सहारनपुर में दबंग जातियों के खिलाफ दलितों के तन कर खड़े होने का असर अब पूरे यूपी में दिख रहा है। देश के सबसे अहम राजनीतिक सूबे में दलित अब डर-सहम कर रहने को तैयार नहीं दिखते। इससे दबंगों में हड़कंप मचा हुआ और वे दलितों को चुप कराने के लिए उन पर नए सिरे से हमले कर रहे हैं। राज्य के दूसरे इलाकों में भी दलितों पर हमले कर खुन्नस निकाली जा रही है।
मंगलवार को मेरठ में ठाकुरों ने दलितों पर हमला कर एक की हत्या कर दी और एक को बुरी तरह घायल कर दिया। दोनों सहारनपुर के शब्बीरपुर में मायावती के दौरे में हिस्सा लेने के बाद लौटे थे। उन्हें ठाकुरों की भीड़ ने घेर लिया और अपने साथ ले गए। बाद में एक की लाश मिली।
इस घटना के बाद दलितों में जबरदस्त गुस्सा फैल गया। ठाकुरों का कहना है कि भीम आर्मी ने उनके कई घरों में आग लगा दी। कुछ जगहों पर ठाकुरों और दलितों के संघर्ष के बाद, घायल दलितों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिला अस्पताल में दलितों ने घेरा डाल रखा है, ताकि दबंग उन पर दोबारा हमले न कर सकें।
मंगलवार को बीएसपी चीफ मायावती सहारनपुर में ठाकुर-दलित संघर्ष में मारे गए लोगों के परिवार वालों और घायलों का हालचाल लेने शब्बीरपुर पहुंची थीं। लेकिन दौरे में शामिल होने आए बीएसपी समर्थकों पर भी हमला किया गया। गाड़ी से लौट रहे इन समर्थकों पर चांदपुरा के पास देसी पिस्तौल और तलवार से हमला हुआ। आशीष कुमार नाम के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई जबकि उसका एक दोस्त सचिन बुरी तरह घायल हो गया।
सहारनपुर में हुए हमलों के खिलाफ दलित जिस तरह से उठ खड़े हुए हैं, उससे राज्य की दबंग जातियों में खलबली है। दलितों की आवाज दबाने के लिए उन पर हमले हो रहे हैं। लेकिन दलितों की पैरोकार होने का दावा करने वाले यूपी के सीएम आदित्यनाथ ने अब तक इसके खिलाफ कुछ नहीं कहा है। दलितों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन उनका साथ नहीं रहे हैं। उल्टे, सीएम अत्याचार का विरोध कर रहे दलितों की ओर इशारा कर कह रहे हैं कि कानून हाथ में लेने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। उनकी पुलिस दबंगों का विरोध करने वालों को अपराधी घोषित करने पर तुली हुई है।
दलितों का कहना कि पश्चिमी यूपी में अगर उनके खिलाफ दबंग जातियों को छूट मिलती रही तो वे चुप नहीं बैठेंगे। अगर उन पर हमले जारी रहे तो राज्य के इस बेहद अहम इलाके में नए सिरे से अराजकता फैल सकती है। कुछ दलित कार्यकर्ताओं का कहना है कि राज्य में पहले मुसलमानों के खिलाफ अभियान चलाया गया अब दलितों के खिलाफ दमन चक्र चलाया जा रहा है। लेकिन पश्चिमी यूपी में दलितों से टकराना दबंगों के लिए महंगा पड़ सकता है। अगर हालात बिगड़े तो योगी सरकार के लिए इसे काबू करना मुश्किल होगा।