अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गईं दिल्ली के एम्स की 5,000 नर्सें, स्वास्थ्य सेवाएं बाधित

Written by sabrang india | Published on: December 15, 2020
नई दिल्ली। दिल्ली के एम्स में करीब 5000 नर्सें विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकाली हड़ताल पर चली गई हैं। नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि काफी समय से उनकी कुछ मांगे लंबित हैं, जिसे एम्स प्रशासन की ओर से पूरा नहीं किया जा रहा है। इसके चलते हड़ताल का फैसला लिया गया है। हालांकि यह हड़ताल 16 दिसंबर से शुरू की जानी थी, लेकिन इसे सोमवार से ही शुरू कर दिया गया है।



एम्स नर्सिंग यूनियन के प्रेजिडेंट हरीश काजला का कहना है कि इस हड़ताल को नर्सिंग स्टाफ 16 दिसंबर से शुरू करने वाला था लेकिन एम्स प्रशासन की ओर से दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट बेस पर सोमवार से ही नर्सेज की भर्ती शुरू कर दी गई है। इसके चलते नर्सेज ने तुरंत ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। 

नर्सेज के मुताबिक उनकी करीब 23 मांगें हैं, जिनमें कुछ प्रमुख मांगे छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना और कई साल से कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहीं नर्सेज को पक्का करना शामिल है।

वहीं एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश में महामारी के समय में हड़ताल को 'अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया। उन्होंने एक संदेश में कहा, 'मैं सभी नर्सों और नर्सिंग अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर नहीं जाएं और जहां तक नर्सों की बात है उनके संदर्भ में हमारी गरिमा को शर्मिंदा नहीं करें। इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वापस आएं और काम करें और इस महामारी से निपटने में हमारा सहयोग करें।'

हड़ताल पहले 16 दिसंबर से शुरू होने वाली थी। गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघ ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन तथा सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं। उन्होंने कहा कि एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की विसंगति से जुड़ी हुई है।

एम्स निदेशक ने कहा कि नर्स संघ के साथ कई बैठकें न केवल एम्स प्रशासन की हुई हैं बल्कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, व्यय विभाग के प्रतिनिधियों के साथ भी हुई हैं और जिस व्यक्ति ने छठे सीपीसी का मसौदा तैयार किया वह भी बैठक में मौजूद था। उन्हें बताया गया है कि उसकी व्याख्या सही नहीं है। 

छठे सीपीसी की मांग के अलावा नर्स भर्ती में लैंगिक आरक्षण को खत्म करने और अनुबंध पर नियुक्तियां बंद करने आदि की भी मांग कर रहे हैं। निदेशक को लिखे पत्र में संघ ने कहा कि एम्स प्रशासन ने ठोस उपाय नहीं किए और छठे केंद्रीय वेतन आयोग से जुड़ी उनकी मांगों को खारिज कर दिया गया। नर्सों के इस आंदोलन को दिल्ली राज्य अस्पताल नर्स संघ ने भी समर्थन दिया है।

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