पुणे की येरवडा जेल के सामने मुस्लिम मंच, जमीयत उलेमा ए हिंद, दलित युवा आंदोलन और अन्य कई संगठनों के करीब 200 कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और साल 2014 में पुणे के मोहसिन शेख के लिंचिंग के मामले के आऱोपी धनंजय देसाई की जमानत रद्द करने की मांग की।
उन्होने धनंजय देसाई को फिर से गिरफ्तार करने के लिए डीसीपी को एक याचिका भी सौंपी।
देसाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में 17 जनवरी 2019 को जमानत की अपील की थी, जिसके बाद उसे 9 फरवरी 2019 को रिहा कर दिया गया।
कोर्ट ने देसाई को सशर्त जमानत दे दी थी और उससे एक लिखित बयान लिया था कि वह कोई सार्वजनिक जगहों पर मौजूद नहीं होगा और न ही भाषण देगा और न ही कोई संगठन चलाएगा।
लेकिन जैसे ही वह अपने समर्थकों के साथ बाहर आया तो उसके समर्थकों और हिंदू राष्ट्र सेना के सदस्यों के साथ जेल से घर तक पटाखे फोड़ते, भगवा झंडे लहाराते और जय श्री राम के नारे लगाते हुए एक विशाल रैली निकाली।
इस रैली को सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया गया था और इस तरह से कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया गया था।
देसाई की रिहाई की खबर सामने आने के बाद लगभग 173 तालुकों में संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे गए और जमानत रद्द करने और देसाई की फिर से गिरफ्तारी की मांग की गई।
बता दें कि 2 जून 2014 को भीड़ ने 28 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोहसिन शेख की लिंचिंग कर ली थी। कई विरोध मार्च, अदालत और याचिकाओं पर सुनवाई, सरकारी वकीलों में बदलाव के बाद भी एक भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया गया। मोहसिन के पिता लंबे समय से अपने बेटे के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।
उन्होने धनंजय देसाई को फिर से गिरफ्तार करने के लिए डीसीपी को एक याचिका भी सौंपी।
देसाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में 17 जनवरी 2019 को जमानत की अपील की थी, जिसके बाद उसे 9 फरवरी 2019 को रिहा कर दिया गया।
कोर्ट ने देसाई को सशर्त जमानत दे दी थी और उससे एक लिखित बयान लिया था कि वह कोई सार्वजनिक जगहों पर मौजूद नहीं होगा और न ही भाषण देगा और न ही कोई संगठन चलाएगा।
लेकिन जैसे ही वह अपने समर्थकों के साथ बाहर आया तो उसके समर्थकों और हिंदू राष्ट्र सेना के सदस्यों के साथ जेल से घर तक पटाखे फोड़ते, भगवा झंडे लहाराते और जय श्री राम के नारे लगाते हुए एक विशाल रैली निकाली।
इस रैली को सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया गया था और इस तरह से कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया गया था।
देसाई की रिहाई की खबर सामने आने के बाद लगभग 173 तालुकों में संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे गए और जमानत रद्द करने और देसाई की फिर से गिरफ्तारी की मांग की गई।
बता दें कि 2 जून 2014 को भीड़ ने 28 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोहसिन शेख की लिंचिंग कर ली थी। कई विरोध मार्च, अदालत और याचिकाओं पर सुनवाई, सरकारी वकीलों में बदलाव के बाद भी एक भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया गया। मोहसिन के पिता लंबे समय से अपने बेटे के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।