शंख-घड़ियाल और थाली के अलावा ख़तरे की घण्टी भी सुनाई दी क्या?

Written by अस्तित्व | Published on: March 23, 2020
भारत में रोज़ाना बढ़ रही कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या भयावह है. सोमवार को ये आंकड़ा 400 पार हो चुका है. आप समझ भी रहे हैं कि 400 लोगों का किसी अनजान बीमारी से मारा जाना कितना दुःखदाई है उनसे जुड़े हज़ारों लोगों के लिए? आप दुःख ना भी समझ पाएं, लेकिन चली गयी इन जानों को एक अलार्म की तरह तो लें ताकि इन बढ़ते आंकड़ों को रोका जा सके.



पीएम के आह्वाहन पर रविवार शाम 5 बजे देश भर में जो नज़ारा था वो यक़ीनन बेहद अद्भुत था, लेकिन तमाम लोगों ने जो रैलियां निकाल कर, पटाखे फोड़ कर, नारे बाज़ी कर झुंड बना बना कर उत्पात मचाया ये सबसे डरावना चेहरा था. पीएम ने आपसे आपके लिए कोरोना से लड़ रहे लोगों को सम्मान देने के लिए कहा था. क्या वाकई ये सम्मान था या फिर एक ऐसा मज़ाक जोकि 400 की संख्या में बढ़ोतरी का कारक बन जाए, मुझे नहीं लगता है कि जिन लोगों ने भी जाहिलियत भरी हरक़त की है उन्हें अफ़्सोस भी होगा क्योंकि अगर वो इतना ही महसूस करते और समझते होते अपनी बुद्धि के सबसे निचले स्तर को यूँ जग जाहिर नहीं करते.

महामारी से जूझ रहे अपने देश की मेडिकल व्यवस्था जानते हैं आप? एक नज़र डालिए कि कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ आंकड़ें जारी किए हैं, जिनके अनुसार देश में 84,000 लोगों पर एक आइसोलेशन बेड और 36,000 लोगों पर एक क्वारंटाइन बेड है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये आंकड़ें 17 मार्च तक के हैं.

यही नहीं आंकड़ों के मुताबिक, स्थिति इतनी गंभीर है कि प्रति 11,600 भारतीयों पर एक डॉक्टर और 1,826 भारतीयों के लिए अस्पताल में एक ही बेड है. जिसे पढ़ने के बाद मैं मान सकता हूँ कि किसी का भी दिल बैठ सकता है, जो गर उसमें ज़रा भी ग़ैरत बाक़ी है तो!! लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन कीजिये, पीएम ने भी ट्वीट कर साफ़ साफ़ कह दिया है कि अपना बचाव ख़ुद कीजिये. ऐसे में समझ लीजिए कि आपकी लापरवाही कितनों की जान ले लेगी.

चीन जहां से इस वायरस की शुरुआत हुई, की बात करें तो वहां हालातों पर क़ाबू पा लेने के दावों पर यह बात भी कही जा रही है कि- ये तूफ़ान से पहले की शांति है!

लैंसेट मेडिकल जनरल में फ्रांस के पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट और एपिडेमोलॉजिस्ट एंटोनी फॉल्ट ने एक लेख में चेतावनी जारी की है कि ये कोरोना संक्रमण का सबसे पहला चरण है. अभी सबसे बुरा समय आना बाकी है. भले ही चीन दावा कर रहा है कि कई दिनों से कोई लोकल इन्फेक्शन का केस नहीं आया है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है.

एंटोनी के मुताबिक, ये एक सुनामी की तरह है जिसमें तबाही मचाने के लिए कई लहरें होती हैं. ये कोरोना की पहली लहर है जिसे सुनामी की भाषा में 'हेरल्ड वेव' भी कहते हैं. सुनामी की सबसे बड़ी और खतरनाक लहर आना अभी बाकी है. एंटोनी के मुताबिक फ्लू कैसे फैलते हैं ये जानने के लिए हमें स्पेनिश फ्लू ने कैसे कहर मचाया था, इससे सीखना होगा. ये प्रथम विश्व युद्ध से पहले नज़र आया, 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को मारा और अचानक गायब हो गया.

आपको जानकर शायद हैरत हो लेकिन बता दूं कि प्रथम विश्व युद्ध में भी इतने लोग नहीं मारे गए थे.

इतना ही नहीं बाज़ार की हालत भी समझ लीजिए कि अगर इन सब पर क़ाबू नहीं पाया जा सका तो पाषाण काल में चले जाएं कोई नई बात नहीं होगी. हफ्ते के पहले कारोबारी दिन यानी 23 मार्च दिन सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है. बाजार में 1 महीने में दूसरी बार सोमवार को फिर 10 फीसदी का लोअर सर्किट लग गया है. Lower Circuit के बाद भारतीय शेयर बाजार में Pre-Open कारोबार शुरू हुआ. 10.45 मिनट पर बीएसई का सेंसेक्‍स 8.08 फीसद यानी 2416.56 अंक टूटकर 27,499.40 के स्‍तर पर कारोबार कर रहा था.

सेंसेक्स सोमवार सुबह 2700 अंक गिरकर खुला तो वहीं निफ्टी 8000 के नीचे आ गया है. कोरोना वायरस का डर निवेशकों पर हावी नजर आ रहा है. दुनियाभर के बाजारों में कमजोर कारोबार दिख रहा है. SGX NIFTY 1,044 अंक यानी 11.82 फीसदी की कमजोरी के साथ 7,738.50 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. ऐसे में आने वाले वक़्त में बाज़ार कितना टूट जाएगा और कैसे ख़ुद को वापस खड़ा करेगा इसका अंदाज़ा फ़िल्हाल कोई भी नहीं लगा पा रहा है.

मंदिर-मस्ज़िद मांगने की बजाए सकूल और अच्छे हॉस्पिटल मांगिए. देश में कम हो रहे डॉक्टर्स पर बात कीजिये और उनकी आपूर्ति पर क़दम उठाइये. स्थिति भयावह है, ऐसे में अगर अभी भी आपको कोरोना मज़ाक लग रहा है तो बेहतर है आप मर ही जाएं क्योंकि ज़िंदा आप किसी भी वायरस से कहीं ज़ियादः ख़तरनाक हैं दूसरों के लिए भी और ख़ुद के लिए भी.

(लेखक पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक वॉल से साभार प्रकाशित किया गया है।)

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