नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी व सहयोगी दलों ने आपस में खूब एकता दिखाई थी। परंतु शपथ समारोह के दिन बीजेपी से उसके सहयोगी दलों की नाराजगी सामने आ ही गई। शपथ ग्रहण समारोह में जदयू और अपना दल ने हिस्सा नहीं लिया। बताया जा रहा है कि एक ओर जदयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपनी पसंद को प्राथमिकता न देने के कारण बीजेपी से नाराज हैं। तो दूसरी तरफ अपना दल से तरक्की के सवाल पर मामला उलझा हुआ है।
जदयू सूत्रों ने बताया कि पार्टी को राज्य मंत्री के रूप में एक पद मिलने की बात तय हुई थी। इसलिए बुधवार को ही मुख्यमंत्री नीतीश ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर राजीव सिंह ललन का नाम दे दिया था। परंतु बाद में इस बात पर चर्चा हुई कि पार्टी गिरिराज सिंह को मंत्री बना रही रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री को संगठन मंत्री नागेंद्र के जरिए उन्हीं की पार्टी के राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह का नाम सुझाया गया। जिस कारण बात बिगड़ गई। सूत्रों के अनुसार कुछ ऐसा ही ‘अपना दल’ के साथ हुआ। शुरुआती चर्चा के दौरान मंत्री पद के लिए पार्टी ने स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहीं अनुप्रिया पटेल को तरक्की देने की मांग की थी। लेकिन इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच कोई संवाद नहीं हुआ।
फिलहाल बीजेपी की नई टीम में लोकसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले आरपीआई, एक सीट वाले अन्नाद्रमुक और दो सीट वाले अकाली दल को प्रतिनिधित्व दिया गया है। परंतु आगामी विधानसभा को मद्दे नजर रखते हुए मोदी मंत्रिमंडल जदयू और अपना दल को ज्यादा दिन नाराज नहीं रखना चाहेगी। चूंकि पहली बार शपथ लेने वालों की संख्या 50 से कम है। ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल का जल्द दूसरा विस्तार भी तय है।
जदयू सूत्रों ने बताया कि पार्टी को राज्य मंत्री के रूप में एक पद मिलने की बात तय हुई थी। इसलिए बुधवार को ही मुख्यमंत्री नीतीश ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर राजीव सिंह ललन का नाम दे दिया था। परंतु बाद में इस बात पर चर्चा हुई कि पार्टी गिरिराज सिंह को मंत्री बना रही रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री को संगठन मंत्री नागेंद्र के जरिए उन्हीं की पार्टी के राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह का नाम सुझाया गया। जिस कारण बात बिगड़ गई। सूत्रों के अनुसार कुछ ऐसा ही ‘अपना दल’ के साथ हुआ। शुरुआती चर्चा के दौरान मंत्री पद के लिए पार्टी ने स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहीं अनुप्रिया पटेल को तरक्की देने की मांग की थी। लेकिन इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच कोई संवाद नहीं हुआ।
फिलहाल बीजेपी की नई टीम में लोकसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले आरपीआई, एक सीट वाले अन्नाद्रमुक और दो सीट वाले अकाली दल को प्रतिनिधित्व दिया गया है। परंतु आगामी विधानसभा को मद्दे नजर रखते हुए मोदी मंत्रिमंडल जदयू और अपना दल को ज्यादा दिन नाराज नहीं रखना चाहेगी। चूंकि पहली बार शपथ लेने वालों की संख्या 50 से कम है। ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल का जल्द दूसरा विस्तार भी तय है।