गुजरात: बकरीद पर बाजार से बकरे गायब करने की तैयारी!

Written by sabrang india | Published on: June 3, 2019
भारत विविधता वाला देश है। यहां सर्वधर्म सम्भाव की नीति को तरजीह दी जाती है। संविधान ने सभी धर्मों के अनुयायियों को अपना धर्म मानने की छूट दी है। खान-पान, रहन-सहन को लेकर भी कोई संवैधानिक पाबंदी नहीं है लेकिन पिछले कुछ सालों से धर्म विशेष पर तमाम तरह से खान-पान और त्यौहार मनाने के तौर तरीकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। 

गुजरात में बकरीद के मौके पर जानवरों को कुर्बानी से बचाने के लिए एक एनिमल राइट एक्टिविस्ट समूह ने एक अनोखा तरीका निकाला है। समूह ने पशु बाजार से भेड़ और बकरियों को खरीदने का फैसला किया है। समूह की तरफ से सूरत की पशु मंडी से अब तक करीब 100 भेड़ और बकरियों को खरीदा जा चुका है।

सर्वधर्म जीवदया समिति नाम के समूह ने इससे पहले मध्य पूर्व के देशों में बकरियों और भेड़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का अभियान चला चुकी है। शहर में इन जानवरों की देखभाल करने वाली पशु गृह के संचालक समिति श्री वडोदरा पंजरापोल के सचिव राजीव शाह का कहना है, ‘हम न तो किसी धर्म के खिलाफ है और ना ही यह अभियान किसी धर्म के खिलाफ है।

हम जानवरों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि लोग स्वेच्छा से इस काम में शामिल हों। हम पशु प्रेमी है और इन मूक जीवों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार से आहत हैं।’ अखिल भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य शाह के अनुसार समूह की योजना अन्य मंडियों से भी इसी तरह से जानवरों को खरीदने की है।

मुस्लिम समुदाय के नेताओं का कहना है कि पशु अधिकार कार्यकर्ता बकरीद के विरोध के प्रति हमेशा से मुखर रहे हैं। भेड़ और बकरियों को खरीदने का यह कदम राज्य के कुछ हिस्सों में जानवरों की उपलब्धता को प्रभावित करेगा। मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट जुबेर गोपलानी ने कहा, ‘पहले भी इस तरह की घटनाओं को देखते हुए और बकरीद पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए समुदाय के नेता और यहा तक की दारूल उलूम ने भी पिछले साल एक सर्कुलर जारी कर समुदाय के सदस्यों को कुर्बानी के वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचने को कहा था।’

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