वनाश्रित समुदाय की अनदेखी पर तीस्ता सीतलवाड़ की दो टूक- सरकारों को महंगा पड़ेगा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 30, 2019
लखनऊ। वन एवं भू अधिकार अभियान उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में दिनांक 28 जनवरी 2019 को वनाधिकारों की अनदेखी व वनविभाग एवं पुलिस द्वारा वनाश्रित समुदाय के उत्पीड़न को लेकर लखनऊ में प्रदेश स्तरीय जन सुनवाई हुई। इस जनसुनवाई के दौरान मुम्बई हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री कोलसे पाटिल, पूर्व न्यायाधीश मनू लाल मरकाम, मानवाधिकार कार्यकर्ता व पत्रकार तीस्ता सीतलवाड, सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे की जूरी ने लोगों की समस्याएं सुनीं और अपने विचार रखे। 

मानवाधिकार कार्यकर्ता व पत्रकार तीस्ता सीतलवाड ने कहा कि हमें अपनी राजनीतिक शक्ति को मजबूत करना होगा औऱ आगामी चुनाव में वन अधिकार कानून को मुद्दा बनाने वाले दलों का समर्थन करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को वन अधिकार कानून को अपने घोषणापत्र में शामिल करने के लिए मजबूर करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फर्जी मुकदमों को वापस करने के लिए ज्यूडिशियल कमीशन बनाना होगा और वनाधिकार कानून पर संसद में विशेष सत्र बुलाने की मांग रखनी होगी। 

कार्यक्रम में संदीप पांडे ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जमीनों के बंदरबांट के मामले सामने आए हैं और वनवासियों की उपेक्षा कर पूंजीपतियों को जमीनें बांटी गई हैं। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक जीपी कनौजिया ने कहा कि वनाश्रित समुदाय की अनदेखी सरकारों को महंगी पड़ सकती है। लोगों को अपने अधिकारों के लिए किसी अन्य मार्ग को चुनना पड़े, यह दुर्भाग्य होगा। सरकार को सभी अधिकार लागू करने के लिए पहल करनी चाहिए। 

जनसुनवाई के दौरान सुश्री रोमा ने कहा कि महिलाओँ के ऊपर पिछले कुछ वर्षों में वनविभाग द्वारा बड़े आतंक किए गए हैं। इसके साथ ही जनसुनवाई में सोनभद्र, ललितपुर, मिर्जापुर, चंदौली, महाराजगंज, गोरखपुर, चित्रकूट, जालौन, बहराइच, लखीमपुर, पीलीभीत, सहारनपुर, बिजनौर, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और बिहार के वन क्षेत्रों में वन विभाग द्वारा वन अधिकार कानून की अनदेखी का मुद्दा उठाया गया। 

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