"मुझे अपनी आजादी चाहिए..", हदिया की यह मुनादी लड़कियों का नारा बनेगी
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"मुझे अपनी आजादी चाहिए..!"
मुसलमान हदिया यानी हिंदू रही अखिला का सुप्रीम कोर्ट में यह बयान किसी से किसी तरह की मेहरबानी नहीं, अपनी जिंदगी तय करने की, एक मुसलमान लड़के से प्रेम करने और प्रेम को जीने के हक की मांग है!
यही मांग मुसलमान जसीला की भी है, जिसने ईसाई लड़के से प्रेम किया, शादी की।
आप नहीं देंगे तो हदिया या जसीला छीन कर अपना प्रेम लेगी!
यह मांग उन तमाम लड़कियों की है, जिन्हें आपके धर्म की, जात की सामाजिक व्यवस्था की शर्मनाक रिवायतों ने गुलाम बना कर रख छोड़ा है अपने दड़बों में...! हदिया प्रेम करेगी तो हिंदुओं के गिरोहों के सरगनाओं को अपनी सत्ता छिनती दिखेगी और वे 'लव जिहाद' का जहर परोसना शुरू कर देंगे..! जसीला प्रेम करेगी तो मुसलमान सरगनाओं की कुर्सी डोलेगी.. और मुल्ले उसके परिवार का भी बहिष्कार देंगे..!
यानी प्रेम से धर्म का नाश होता है.. प्रेम से जात का नाश होता है! ये कैसा धर्म है लालबिहारी...!!! ऐसे धर्म और जात का नाश ही हो जाना चाहिए..!
जो धर्म प्रेम को धर्म में कैद करता है, जो जात प्रेम को जात में कैद करता है, वह इंसानों का धर्म नहीं हो सकता है..! वह असभ्य और अविकसित दिमाग वालों के धर्म या जात का मामला हो सकता है..!
हिंदू अखिला भले प्रेम के लिए मुसलमान हदिया बन गई, लेकिन उसकी अदालत में की गई यह मुनादी आने वाले दिनों में लड़कियों की लड़ाई का एक नारा बनेगी- 'मुझे अपनी आजादी चाहिए..!'
उस सचमुच की आजादी में धर्म या जात की कोई जगह नहीं होगी..!
(यह आर्टिकल अरविंद शेष की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है, वे वरिष्ठ पत्रकार हैं।)