आधार कार्ड की वजह से आम आदमी को मूलभूत सुविधाओं से वंचित तो नहीं किया जा सकता !

Written by Mithun Prajapati | Published on: January 15, 2018
इस साल के शुरुआती दिनों में ही जो एक बड़ी बात हो गयी वो ये की आधार कार्ड की हर जगह अनिवार्यता के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए। मूलभूत चीजों को हासिल करने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता जिस तरह से बढ़ रही है, उसे देखते हुए यह होना जरूरी भी था। बैंक में खाते से लेकर गरीब के आटे तक जिस तरह से सरकार ने आधार का रायता फैला रखा है उसे देखकर लगता है कि यह आधार कार्ड नहीं बल्कि ऑक्सीजन हो गया है जिसके बिना इंसान जी नहीं सकता। 

Aadhar Card
 
मैंने एक खबर पढ़ी- बच्चे के पैदा होते ही उसका आधार कार्ड बना दिया गया। 
 
इस खबर को सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में बताया गया था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि  नौजात बच्चे का आधार कार्ड बनाकर सरकार कौन से झंडे गाड़ ले रही है जो उसे उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है ?
 
बेहतर तो यह होता कि सरकार कुछ ऐसी योजना लेकर आती जिससे नवजात बच्चे को उस योजना से जोड़कर उसके पढ़ने तक मुफ्त शिक्षा और आजीवन मुफ्त इलाज दे दिया जाता। 
 
आधार कार्ड को सरकार द्वारा हर जगह थोपने का फैसला तुगलकी फरमान की तरह लगता है। राजा को मशरूम पसंद है और  राजा को उससे स्वास्थ्य लाभ होता है तो राजा चाहता है पूरे देश के लोग मशरूम खाएं। वह यह नहीं देखता की सब लोग मशरूम नहीं खरीद सकते, सब को मशरूम नहीं पसंद हो सकता या फिर जरूरी थोड़ी है कि राजा को मशरूम खाने से स्वास्थ्य में लाभ हुआ तो पूरे देश को हो जाये। पर राजा चाहता है कि मशरूम सब खाएं। वह अपनी इच्छा देश पर थोपने में विश्वास रखता है।
 
"आम आदमी को मूलभूत चीजों को हासिल करने के लिए आधार अनिवार्य है या नहीं" इस बात की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है पर हालात देखकर ऐसा लगता है कि यह देश मे अनिवार्य हो चुका है। बैंक में खाता खोलने के लिए आधार अनिवार्य हो गया है। कोई आम नागरिक किसी भी बैंक में खाता खुलवाने जाता है तो उससे सब से पहले आधार कार्ड की मांग की जाती है। यदि आधार कार्ड नहीं दिया तो खाता नहीं खुलता। एक आम आदमी जो अपने रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त है उसे क्या पता कि RBI या सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी है कि खाता खुलने के लिए आधार कार्ड जरूरी है। पर आम आदमी बैंक मैनेजर से लड़ नहीं सकता। या तो वह  खाता नहीं खुलवाता है या फिर आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में लग जाता है। 
 
यही हाल नए मोबाइल सिम के कनेक्शन के लिए है। दुकानदार नए कनेक्शन के लिए आधार कार्ड मांगता है। नहीं होने पर सिम कार्ड नहीं देता। इन सब की अनदेखी सरकार क्यों कर रही है। आधार कार्ड न होने पर राशन न मिलने पर एक बच्ची संतोषी के भात-भात कहते हुए दम तोड़ देने की खबर न्यूज़ में आई तो कुछ लोगों ने आधार की अनिवार्यता पर सवाल खड़े किए। यह वह खबर थी जो सुर्खियों में रही पर पता नहीं कितने ऐसे मामले ऐसे होते होंगे जो खबर का हिस्सा नहीं बनते। आधार कार्ड न होने की वजह से कहीं किसी की पेंशन अटकी पड़ी है, कहीं किसी की सब्सिडी तो कहीं कोई सरकारी योजनाओं से वंचित कर दिया जा रहा है जो पूर्णतया गलत है। लगातार टेलीफोन कंपनियों का और खासकर बैंक  का फोन करके आधार को खाते से लिंक कराने का फरमान तो आम हो चला है जो हर नागरिक के मन में कनेक्शन काट जाने या खाता बंद हो जाने का भय पैदा किये हुए है।
 
हाल ही में मेरे एक जानने वाले ने बताया कि  उनके बेटे ने जो की गांव में रहता  है आधार कार्ड से खाता खुलवाया था। उन्होंने उसके खाते में जरूरी काम से  दो बार तीस हजार रुपये भेजे। पहली बार तो पैसा निकल गया लेकिन जब दुबारा निकालने गए तो बैंक बैंक मैनेजर ने पैन कार्ड की मांग की। लड़के ने पैन कार्ड तुरंत देने में असमर्थता जताई जिसके कारण बैंक ने उसे पैसे देने से मना कर दिया और कहा- पचास हजार के ऊपर के लेन देन के लिए पैन कार्ड  अनिवार्य है। अब वह लड़का पैसे निकालने के लिए पैन कार्ड बनवाने में लगा है। 
 
यहाँ महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जब सबकुछ आधार में ही निहीत है तो पैनकार्ड की मांग क्यों ? ऐसे तमाम सवाल हैं जो प्रतिदिन आम आदमी आधार कार्ड की वजह से झेल रहा है। 
 
इन सब समस्याओं को देखते हुए आने वाले दिनों में आधार की अनिवार्यता के विरोध में लोगों का आंदोलन तेज हो जाये तो कोई  बड़ी बात नहीं होगी। हां, सड़क पर उतरे लोग आधार की हर जगह अनिवार्यता के खिलाफ हैं आधार के नहीं।

बाकी ख़बरें