सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच गत 24 अक्टूबर को निजी कारणों का हवाला देते हुए संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष पेश नहीं हुई थीं।
साभार : द टेलीग्राफ (फाइल फोटो)
कांग्रेस ने सेबी अध्यक्ष के पीएसी के सामने पेश न होने पर सवाल खड़ा किया है। कांग्रेस ने गत शनिवार को सवाल उठाया कि आखिर उन्हें (माधवी पुरी बुच को) संसदीय समिति के समक्ष पेश होने से कौन रोक रहा है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक बयान में पूछा, ‘माधबी बुच संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष सवालों का जवाब देने से क्यों कतरा रही हैं? उन्हें पीएसी के प्रति जवाबदेह होने से बचाने की योजना के पीछे कौन है? क्या करोड़ों छोटे-मझोले निवेशकों की मेहनत की कमाई को जोखिम में डालकर मोदी जी के प्रिय मित्र अडानी को लाभ पहुंचाने की कोई सोची-समझी साजिश है?’
खेड़ा ने आगे कहा कि, ‘सेबी की स्वतंत्रता और शक्तियों के क्षरण पर कांग्रेस ने लगातार अपनी चिंता जाहिर की है। मीडिया कॉन्फ्रेंस की एक सीरिज के जरिए, हमने सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके परिवार से जुड़े हितों के टकराव के कई मामलों को उजागर किया है। इन गंभीर खुलासों ने भारत के 11.5 करोड़ पंजीकृत निवेशकों के भरोसे को हिला दिया है, जो पारदर्शी और निष्पक्ष वित्तीय माहौल बनाए रखने के लिए सेबी पर भरोसा करते हैं। इस सरकार ने भारत के निवेशकों को असुरक्षित छोड़ दिया है, जिस संस्था का उद्देश्य उनकी जीवन भर की बचत और आकांक्षाओं की रक्षा करना है, उस सरकार ने उस संस्था के मामले में समझौता किया है।’
ज्ञात हो कि सेबी अध्यक्ष बुच निजी कारणों का हवाला देकर गुरुवार (24 अक्टूबर) को पीएसी के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुई थीं। शनिवार 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा बुच को पीएसी के समक्ष जवाब देने से रोक रही है।
राहुल गांधी ने 26 अक्टूबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसका कैप्शन 'बुच बचाओ सिंडिकेट’ है। इस वीडियो में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पवन खेड़ा से बात करते हुए देखा जा सकता है।
इस वीडियो में राहुल गांधी ने खेड़ा से यह कहा कि वे छोटे निवेशकों की मदद करने के लिए पार्टी के संचार अभियान में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
इस वीडियो को शेयर करते हुए पवन खेड़ा ने लिखा, “भारत के इतिहास में यह दशक काले अक्षरों में लिखा जाएगा, क्योंकि इस दशक में सत्तारूढ़ भाजपा ने सेबी जैसी हर लोकतांत्रिक संस्था को व्यवस्थित तरीके से अपने जाल में फंसाया और आम आदमी का भरोसा तार-तार कर दिया।”
इसी वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए राहुल गांधी ने लिखा, ‘पीएसी को जवाब देने से बचाओ, सेबी से इस्तीफ़े से बचाओ, अडानी पर जांच से बचाओ। कौन है ये सिंडिकेट जो ‘बुच को बचा’ रहा है? और सबसे ज़रूरी, वो क्यों बचा रहा है? सबका जल्द ही पर्दाफाश होगा – देखते जाइए!’
ज्ञात कुछ महीने पहले अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी का आरोप लगाया था। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग के इन आरोपों के सामने आने बाद सेबी अध्यक्ष माधबी बुच ने एक बयान जारी कर खंडन किया था। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया था कि ‘रिपोर्ट में जिस फंड का जिक्र है उसमें हमने साल 2015 में निवेश किया था, तब हम दोनों आम नागरिक थे और सिंगापुर में रहते थे।’
माधबी के खंडन पर प्रतिक्रिया देते हुए 11 अगस्त को हिंडनबर्ग ने एक्स पर लिखा था, ‘बुच की प्रतिक्रिया अब सार्वजनिक रूप से एक अस्पष्ट बरमूडा/मॉरीशस फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है, साथ ही विनोद अडानी द्वारा कथित रूप से गबन किए गए धन की भी पुष्टि करती है। उनकी प्रतिक्रिया बड़े पैमाने पर हितों के टकराव का संकेत देती है।’
इससे पहले हिंडनबर्ग की जनवरी 2023 की रिपोर्ट में गौतम अडानी द्वारा संचालित अडानी समूह पर ‘कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी’ करने का आरोप लगाया गया था, जिसे अडानी समूह ने नकार दिया था। इसके बाद सेबी को अडानी समूह की जांच करने का काम सौंपा गया था।
साभार : द टेलीग्राफ (फाइल फोटो)
कांग्रेस ने सेबी अध्यक्ष के पीएसी के सामने पेश न होने पर सवाल खड़ा किया है। कांग्रेस ने गत शनिवार को सवाल उठाया कि आखिर उन्हें (माधवी पुरी बुच को) संसदीय समिति के समक्ष पेश होने से कौन रोक रहा है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक बयान में पूछा, ‘माधबी बुच संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष सवालों का जवाब देने से क्यों कतरा रही हैं? उन्हें पीएसी के प्रति जवाबदेह होने से बचाने की योजना के पीछे कौन है? क्या करोड़ों छोटे-मझोले निवेशकों की मेहनत की कमाई को जोखिम में डालकर मोदी जी के प्रिय मित्र अडानी को लाभ पहुंचाने की कोई सोची-समझी साजिश है?’
खेड़ा ने आगे कहा कि, ‘सेबी की स्वतंत्रता और शक्तियों के क्षरण पर कांग्रेस ने लगातार अपनी चिंता जाहिर की है। मीडिया कॉन्फ्रेंस की एक सीरिज के जरिए, हमने सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके परिवार से जुड़े हितों के टकराव के कई मामलों को उजागर किया है। इन गंभीर खुलासों ने भारत के 11.5 करोड़ पंजीकृत निवेशकों के भरोसे को हिला दिया है, जो पारदर्शी और निष्पक्ष वित्तीय माहौल बनाए रखने के लिए सेबी पर भरोसा करते हैं। इस सरकार ने भारत के निवेशकों को असुरक्षित छोड़ दिया है, जिस संस्था का उद्देश्य उनकी जीवन भर की बचत और आकांक्षाओं की रक्षा करना है, उस सरकार ने उस संस्था के मामले में समझौता किया है।’
ज्ञात हो कि सेबी अध्यक्ष बुच निजी कारणों का हवाला देकर गुरुवार (24 अक्टूबर) को पीएसी के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुई थीं। शनिवार 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा बुच को पीएसी के समक्ष जवाब देने से रोक रही है।
राहुल गांधी ने 26 अक्टूबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसका कैप्शन 'बुच बचाओ सिंडिकेट’ है। इस वीडियो में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पवन खेड़ा से बात करते हुए देखा जा सकता है।
इस वीडियो में राहुल गांधी ने खेड़ा से यह कहा कि वे छोटे निवेशकों की मदद करने के लिए पार्टी के संचार अभियान में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
इस वीडियो को शेयर करते हुए पवन खेड़ा ने लिखा, “भारत के इतिहास में यह दशक काले अक्षरों में लिखा जाएगा, क्योंकि इस दशक में सत्तारूढ़ भाजपा ने सेबी जैसी हर लोकतांत्रिक संस्था को व्यवस्थित तरीके से अपने जाल में फंसाया और आम आदमी का भरोसा तार-तार कर दिया।”
इसी वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए राहुल गांधी ने लिखा, ‘पीएसी को जवाब देने से बचाओ, सेबी से इस्तीफ़े से बचाओ, अडानी पर जांच से बचाओ। कौन है ये सिंडिकेट जो ‘बुच को बचा’ रहा है? और सबसे ज़रूरी, वो क्यों बचा रहा है? सबका जल्द ही पर्दाफाश होगा – देखते जाइए!’
ज्ञात कुछ महीने पहले अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी का आरोप लगाया था। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग के इन आरोपों के सामने आने बाद सेबी अध्यक्ष माधबी बुच ने एक बयान जारी कर खंडन किया था। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया था कि ‘रिपोर्ट में जिस फंड का जिक्र है उसमें हमने साल 2015 में निवेश किया था, तब हम दोनों आम नागरिक थे और सिंगापुर में रहते थे।’
माधबी के खंडन पर प्रतिक्रिया देते हुए 11 अगस्त को हिंडनबर्ग ने एक्स पर लिखा था, ‘बुच की प्रतिक्रिया अब सार्वजनिक रूप से एक अस्पष्ट बरमूडा/मॉरीशस फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है, साथ ही विनोद अडानी द्वारा कथित रूप से गबन किए गए धन की भी पुष्टि करती है। उनकी प्रतिक्रिया बड़े पैमाने पर हितों के टकराव का संकेत देती है।’
इससे पहले हिंडनबर्ग की जनवरी 2023 की रिपोर्ट में गौतम अडानी द्वारा संचालित अडानी समूह पर ‘कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी’ करने का आरोप लगाया गया था, जिसे अडानी समूह ने नकार दिया था। इसके बाद सेबी को अडानी समूह की जांच करने का काम सौंपा गया था।