नई दिल्ली। राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 29 पेज का फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि इस मामले में सीबीआई जाँच की ज़रूरत नहीं, ना ही फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बयान न्यायिक दख्ल का आधार बन सकता है। ना ही इस मामले में गड़बड़ का कोई ठोस सबूत है। यानी एक तरह से भाजपा सरकार को क्लीन चिट मिल गई है। भारतीय जनता पार्टी भी इसे बड़ी जीत मानते हुए जश्न मनाने में जुट गई है।
लेकिन मसला एक जगह फँस गया। इस मामले में जो लोग पार्टी हैं और देश के तमाम अख़बारों के मुताबिक़, जजमेंट के एक पैरा में लिखा है कि राफेल से संबंधित रिपोर्ट कैग (Comptroller-Auditor General) ने देखी है और फिर उसके बाद PAC (Parliamentry Accounts Committee) के सामने रखी गयी और फिर संसद के बाद पब्लिक डोमेन में है। यहीं भारत सरकार फंस गई है।
फैसले के पैरा 25 (पेज 21) में बेंच ने कहा, “हमारे सामने पेश किए दस्तावेज दर्शाते हैं कि सरकार ने इस आधार पर कि कीमत के खुलासे से राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है और दोनों देशों के बीच समझौते का उल्लंघन होगा, एअरक्राफ्ट की मूल कीमत के अलावा और किसी खर्च का खुलासा नहीं किया है, यहां तक कि संसद को भी नहीं। हालांकि कीमतों की जानकारी नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक से साझा की गई है और सीएजी की रिपोर्ट का लोक लेखा समिति ने अध्ययन किया है। रिपोर्ट का संशोधित हिस्सा संसद के सामने पेश किया गया और फिर सार्वजनिक किया गया।”
अब मल्लिकार्जुन खड़गे जो कि PAC के चेयरमैन हैं, कह रहे हैं कि उनके पास तो कभी ऐसी रिपोर्ट आई ही नहीं। उनके मुताबिक़ उन्होंने कल हुई CAG की मीटिंग में भी पूछा कि ऐसी कोई रिपोर्ट उन्होंने देखी है तो deputy-CAG ने भी मना कर दिया। अरूण जेटली कह रहे हैं कि हमारे वकील फ़ैसला देख कर बताएँगे। राहुल गांधी ने इस मामले को हाथोंहाथ लपक लिया है।
राहुल गांधी ने कहा कि पब्लिक डोमेन में कहाँ है ये रिपोर्ट? सुप्रीम कोर्ट ने किस रिपोर्ट का हवाला दिया है? सरकार ने ये रिपोर्ट कैसे किसी को दिखाए बिना उनके नाम से कोर्ट में पेश कर दी। राहुल गांधी ने इस मामले पर प्रेस कांफ्रेंस कर सवाल उठाए कि आखिर यह कौन सी PAC मोदी जी ने चला रखी है जो किसी को नहीं पता।
लेकिन मसला एक जगह फँस गया। इस मामले में जो लोग पार्टी हैं और देश के तमाम अख़बारों के मुताबिक़, जजमेंट के एक पैरा में लिखा है कि राफेल से संबंधित रिपोर्ट कैग (Comptroller-Auditor General) ने देखी है और फिर उसके बाद PAC (Parliamentry Accounts Committee) के सामने रखी गयी और फिर संसद के बाद पब्लिक डोमेन में है। यहीं भारत सरकार फंस गई है।
फैसले के पैरा 25 (पेज 21) में बेंच ने कहा, “हमारे सामने पेश किए दस्तावेज दर्शाते हैं कि सरकार ने इस आधार पर कि कीमत के खुलासे से राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है और दोनों देशों के बीच समझौते का उल्लंघन होगा, एअरक्राफ्ट की मूल कीमत के अलावा और किसी खर्च का खुलासा नहीं किया है, यहां तक कि संसद को भी नहीं। हालांकि कीमतों की जानकारी नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक से साझा की गई है और सीएजी की रिपोर्ट का लोक लेखा समिति ने अध्ययन किया है। रिपोर्ट का संशोधित हिस्सा संसद के सामने पेश किया गया और फिर सार्वजनिक किया गया।”
अब मल्लिकार्जुन खड़गे जो कि PAC के चेयरमैन हैं, कह रहे हैं कि उनके पास तो कभी ऐसी रिपोर्ट आई ही नहीं। उनके मुताबिक़ उन्होंने कल हुई CAG की मीटिंग में भी पूछा कि ऐसी कोई रिपोर्ट उन्होंने देखी है तो deputy-CAG ने भी मना कर दिया। अरूण जेटली कह रहे हैं कि हमारे वकील फ़ैसला देख कर बताएँगे। राहुल गांधी ने इस मामले को हाथोंहाथ लपक लिया है।
राहुल गांधी ने कहा कि पब्लिक डोमेन में कहाँ है ये रिपोर्ट? सुप्रीम कोर्ट ने किस रिपोर्ट का हवाला दिया है? सरकार ने ये रिपोर्ट कैसे किसी को दिखाए बिना उनके नाम से कोर्ट में पेश कर दी। राहुल गांधी ने इस मामले पर प्रेस कांफ्रेंस कर सवाल उठाए कि आखिर यह कौन सी PAC मोदी जी ने चला रखी है जो किसी को नहीं पता।