नॉर्मलाइजेशन के विरोध में UPPSC अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, 12 के खिलाफ मुकदमा, मांगों पर अड़े युवा

Written by sabrang india | Published on: November 13, 2024
यूपीपीएससी के खिलाफ प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आंदोलन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। सोमवार रात को भी आयोग मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र एकत्रित हुए, और मंगलवार सुबह भी स्थिति वैसी ही बनी रही। प्रदर्शनकारियों में महिला अभ्यर्थी भी शामिल थीं।


साभार : एएनआई

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससीपर प्रतियोगी छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन को कुछ लोग गलत दिशा में ले जाने की कोशिश में लगे हैं। ऐसा पुलिस प्रशासन का मानना है। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ऐसे लोगों को चिह्नित कर रही है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़े हुए छात्र नेताओं को टारगेट भी किया जा रहा है जिससे वह विरोध प्रदर्शन से दूर रहें। लेकिन इस आंदोलन में राजनीतिक दलों से संबंध रखने वाले स्थानीय छात्रनेता अपरोक्ष रूप से शामिल हैं। सिविल लाइन थाने में 12 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

यूपीपीएससी के नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को भी छात्र आयोग के मुख्यालय के बाहर जुटे। अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को लेकर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम के साथ रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की भी तैनाती की गई।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यूपीपीएससी के खिलाफ प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आंदोलन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। सोमवार रात को भी आयोग मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र जुटे तो मंगलवार सुबह भी स्थिति ऐसी ही थी। महिला अभ्यर्थी भी प्रदर्शनकारियों में शामिल थीं।

प्रदर्शनकारी प्रतियोगी छात्र ने आईएएनएस को बताया जो भी प्रतियोगी छात्र हैं, वो सामान्य और गरीब परिवार से आते हैं। उनके ऊपर सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि परिवार की भी जिम्मेदारी है।

तंज कसते हुए सवाल किया कि तानाशाह अधिकारी कैसे यह तय करेंगे कि छात्रों का भविष्य कैसे व्यवस्थित होगा?

एक अन्य प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी ने कहा, छात्र जागरूक और समझदार हैं, उनको अपने हक की लड़ाई लड़नी बखूबी आती है। रात भर से छात्र बिना कुछ खाए प्रदर्शन कर रहे हैं। हम नॉर्मलाइजेशन का पुरजोर विरोध करते हैं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नवीन पाल ने मीडिया को बताया कि ऐसा परिवर्तन पहले कभी नहीं किया गया, फिर क्यों कमीशन ऐसा परिवर्तन कर रहा है। इससे पहले भी विसंगतियां आई हैं, लंबे समय तक प्रक्रिया चली, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। परीक्षा को दो चरणों में कराना और नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला तर्कसंगत नहीं है।

इससे पूर्व सोमवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षाओं की पारदर्शिता और अभ्यर्थियों की सुविधा को अपनी प्रमुख प्राथमिकता बताया था। नॉर्मलाइजेशन के संबंध में अभ्यर्थियों के एक वर्ग द्वारा व्यक्त की जा रही असंतोष पर आयोग के प्रवक्ता ने कहा था कि आयोग का उद्देश्य परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखना और छात्रों के भविष्य की सुरक्षा करना है। इसी कारण, परीक्षाएं केवल उन केंद्रों पर आयोजित की जा रही हैं, जहां किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना नहीं हो।

पूर्व में दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों पर कई प्रकार की गड़बड़ियां सामने आई थीं, जिसके कारण योग्य छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो गया था। इन समस्याओं को समाप्त करने और परीक्षा को पूरी तरह मेरिट के आधार पर आयोजित करने के लिए इन केंद्रों को हटा दिया गया है।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) 'प्री' और समीक्षा अधिकारी (आरओ) सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) की परीक्षा दो दिन में कराने के फैसले के विरोध में छात्रों ने सोमवार को लोक सेवा आयोग के मुख्य द्वार पर धरना-प्रदर्शन शुरू किया, जो दूसरे दिन भी जारी रहा।

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