सरकार के खिलाफ कार्टून पोस्ट करने पर बस्तर के जर्नलिस्ट पर देशद्रोह का केस दर्ज

Written by Sabrang India Staff | Published on: May 1, 2018
बस्तर के एक पत्रकार के खिलाफ सरकार और न्यायपालिका पर अपमानजनक कार्टून बनाने के आरोप में देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है। यह केस राजस्थान के एक शख्स की शिकायत पर छत्तीसगढ़ के कंकेड़ जिले के कटवाली पुलिस स्टेशन में पत्रकार और एक्टिविस्ट कमल शुक्ला के खिलाफ धारा-124- A के तहत दर्ज किया गया है। आरोप है कि जर्नलिस्ट ने सरकार और न्यायपालिका के खिलाफ कार्टून बनाकर अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किए। कंकेड़ के पुलिस अधीक्षक के मुताबिक मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही एक्शन लिया जाएगा।



वहीं पत्रकार कमल शुक्ला ने सिलसिलेवार फेसबुक पोस्ट कर सरकार और न्यायपालिका की मंशा पर सवाल उठाए हैं। एक फेसबुक पोस्ट में उन्होने लिखा, ''पता चला है कि मेरे ऊपर भी राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज कर लिया गया है । कल्लुरी द्वारा दर्ज कराए गए मामलों पर अभी जमानत भी नही हो पाया है । कोई बात नही , मेरा अभियान रुकेगा नही । असली देशद्रोहियों भाजपाइयों ने लोगों को भृमित रखने के लिए आईटी सेल ही नही बनाया बल्कि सच बताने वालों को जेल और कानूनी उलझन में फंसाने के लिए लीगल ( इनलीगल) सेल भी बनाया है । मैं इसी ग्रुप का शिकार हुआ हुं । लोकतंत्र और देश बचाने की मुहिम जारी रहेगी ।''



दूसरे फेसबुक में पत्रकार कमल शुक्ला ने क्या लिखा, नीचे पढ़ें-

''राष्ट्रद्रोह 124 (आ) मुझपर लगाया गया है। देश मे लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किये जाने की साजिश पर अकेले मैने चिंता जाहिर नही की है बल्कि तमाम विपक्षी दलों सहित स्वस्थ लोकतंत्र पर विश्वास रखने वाले सभी पत्रकार, लेखक बुद्धिजीवी इस विषय पर रिपोर्ट, लेख, कार्टून आदि के द्वारा लोगों को आगाह कर रहे हैं ।

जज लोया के प्रकरण पर चीफ जस्टिस की भूमिका पर उंगली खुद सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर मजिस्ट्रेट उठा चुके हैं। कांग्रेस और कई अन्य दलों ने महाभियोग भी लाया, जो बिना जांचे परखे खारिज किया जाकर लोकतंत्र को और करारा झटका दिया जा चुका। जब चीफ जस्टिस ने जज लोया की संदेहास्पद मृत्यु के मामले पर जांच की मांग खारिज कर देश भर के जनता के संदेह को पुष्ट कर दिया कि देश का सर्वोच्च न्याय पालिका दबाव में है तो वह कार्टून ( जो अब मेरे वाल से सम्भवतः फेसबुक ने हटा लिया है ) कैसे गलत और राष्ट्रद्रोह हो सकता है । 
न्याय की देवी के रूप में आंखों पर पट्टी बांधे और तराजू रखे महिला को इस कार्टून में नीचे गिरा दिखाया गया है , जिसके हाथों को वर्तमान तंत्र के जिम्मेदार राजनीतिज्ञों द्वारा पकड़ कर रखा गया है , इनके सामने देश बांटने वाली विचारधारा के प्रमुख खड़े हुए हैं । तो सच तो यही है , इसमे गलत क्या है । इस कार्टून में न्यायपालिका की स्थिति पर चिंता प्रकट की गई है जो राष्ट्रद्रोह हो ही नही सकता। फिर किसी के फेसबुक पोस्ट पर यह धारा तो लगाया ही नही जा सकता।

अगर सच कहना ही देश द्रोह है तो फिर से सुन लो , कार्पोरेट के गुलाम मोदी , शाह की रखैल बनी भाजपा की सरकार ने देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को तहस नहस कर डाला है । न्यायपालिका में अपने चहेतों को बिठा दिया गया है और भाजपा समर्थकों के गम्भीर अपराध माफ किया जा रहा है । भाजपा सरकार को अपने खर्चे से स्थापित करने वाले सेठ अम्बानी ने उनके पक्ष में देश की आधी से ज्यादा मीडिया घराना खरीदकर लोकतंत्र की रीढ़ तोड़ दी है । यही सच है , मैं बार बार कहूंगा।
 
साथ यह भी जान लें कि इस तरह के गुंडई से मैं डरने वाला नही हुँ । मेरा मोबाईल चालू है , मेरा नेट चालू है ,लोकेशन के साथ मेरा फेसबुक भी चालू है । मेरी आवाज बन्द नही होगी , न ही कलम रुकेगी।  जब तक साँस बाकी है।''



कलनाथ पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने पर सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने भी अपने फेसबुक पोस्ट में तीखी टिप्पणी की है। उन्होने क्या लिखा, नीचे पढ़ें-

''कमल शुक्ला को मैं अनेक वर्षों से जानता हूँ। वो जनता के पत्रकार हैं। कमल शुक्ला ने मुठभेड़ के नाम पर आदिवासियों की हत्याओं के अनेकों मामले उठाये हैं। नक्सलियों द्वारा पत्रकारों के ऊपर हमलों के विरोध में उन्होंने बस्तर के अबूझमाड़ से होकर जगलों के बीच से एक पदयात्रा करी थी। कमल शुक्ला निडर इंसान हैं। वे साम्प्रदायिकता जातिवाद और आर्थिक लूट के खिलाफ काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उनके खिलाफ पुलिस ने पहले भी कई फर्जी मामले बनाये थे। आज उनके खिलाफ पुलिस ने राजद्रोह का मामला दर्ज़ किया है।

कमल शुक्ला ने फेसबुक पर एक कार्टून पोस्ट किया था। इस कार्टून में न्यायपालिका को पीड़ित महिला के रूप में और न्यायपालिका की दुर्गति करने वाले ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को पशु रूप में चित्रित किया गया है। हांलाकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार को बुरी तरह डांट चुका है कि सोशल मीडिया की किसी पोस्ट के आधार पर किसी को गिफ्तार मत करो।

सर्वोच्च न्यायलय ने आईटी एक्ट की धारा 66A को रद्द कर दिया है। लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस ने तो गुंडागर्दी करने और रमन सिंह के व्यक्तिगत नौकर की तरह काम करने की कसम खा रखी है। इससे पहले पत्रकार विनोद वर्मा को फर्जी मामले में गिरफ्तार करके सेक्स काण्ड में फंसे मंत्री को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने सभी कानून तोड़े थे। अब पत्रकार कमल शुक्ला के ऊपर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज़ कर दिया है। पुलिस पत्रकार को डरा कर उन्हें चुप रहने को मजबूर करने के फ़िराक में है। लेकिन भाजपा सरकार को पता नहीं है कि कमल शुक्ला डरने वाला इंसान नहीं है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार द्वारा एक प्रगतिशील और जुझारू पत्रकार को डराने की कोशिश का ज़ोरदार जवाब दिया जाएगा।''

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