क्या यह दोहरा मापदंड है। अरे नहीं-नहीं!
पाकिस्तान के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स, आमिर खान की चर्चित फिल्म दंगल को अपने यहां रिलीज कराने के लिए जोर लगाए हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि नवाज शरीफ इस फिल्म को देश में रिलीज कराने की मंजूरी दे देंगे और जल्द ही पाकिस्तान के सिनेमाप्रेमी इस सुनहरे पर्दे पर देख सकेंगे।
भले ही पाकिस्तानी फिल्म एक्टर फवाद खान स्टारर करन जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के रिलीज का भारत में कितना भी विरोध क्यों न हुआ हो। लेकिन फवाद पर्दे पर भारतीय स्टार की तरह ही दिखते हैं। उम्मीद है कि आमिर खान की फिल्म को पाकिस्तान का यह हश्र नहीं होगा। पाकिस्तान इस फिल्म को अपने यहां रिलीज कराने की मंजूरी दे देगा। हालांकि यह नहीं भूलना नहीं चाहिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (राज ठाकरे की पार्टी) ने ऐ दिल मुश्किल पर पंचायती की थी। तेलंगाना के बीजेपी एमएलए राजा सिंह ने फिल्म के रिलीज होने का जोरदार विरोध किया था क्योंकि इसमें पाकिस्तानी स्टार फवाद खान एक्टिंग कर रहे थे। इसके बाद ठाकरे ने बीच-बचाव कर फिल्म रिलीज कराई थी।
बहरहाल, पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक वहां के सूचना, प्रसारण और राष्ट्रीय विरासत मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय के साथ मिलकर शरीफ से आमिर खान स्टारर दंगल को रिलीज की इजाजत देने की मांग की है। पाकिस्तान के डिस्ट्रीब्यूटरों ने भारतीय मीडिया की उन खबरों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया है कि दंगल वहां रिलीज नहीं होगी। उन्होंने कहा कि फिल्म पाकिस्तान में रिलीज होगी भले ही इसमें एक सप्ताह की देर हो।
जियो फिल्म के मोहम्मद नासिर ने कहा कि भारतीय मीडिया में गलत खबरें आ रही हैं। हां यह सही है कि फिल्म को रिलीज करने में दिक्कत आ रही है लेकिन हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है। फिल्म को रिलीज होने में एक सप्ताह की देरी हो सकती है। हालांकि इस बारे में अभी कोई पुख्ता फैसला नहीं हुआ है।
पाकिस्तान के सिनेमाघर दंगल और कुछ अन्य भारतीय फिल्मों से उम्मीद लगाए बैठे हैं। ये फिल्में जनवरी में शुरू होंगी ताकि पिछले तीन महीने से फिल्मों की रिलीज बंद करने पर लगाई गई स्वैच्छिक रोक से हुए घाटे की भरपाई हो सके। हालांकि प्रतिबंध चुपके से पिछले सप्ताह हटा लिया गया था। लेकिन दंगल के रिलीज होने पर अनिश्चितता कायम है।
आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक इस फिल्म के स्थानीय वितरक जियो फिल्म आमिर से सीधी चिट्ठी-पत्री में लगे हैं। आमिर इस फिल्म के निर्माता भी हैं। उनकी मदद से दंगल को पाकिस्तान में रिलीज होने की उम्मीद लगाई जा रही है। वैसे पाकिस्तानी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सिर्फ नवाज शरीफ ही दंगल को रिलीज कराने का फैसला ले सकते हैं।
पाकिस्तानी फिल्म एक्जिबिटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जोरेज लशारी का कहना है कि उनका संगठन शरीफ के जवाब का इंतजार कर रहा है। उनका कहना है कि फिल्में रिलीज होने पर रोक की वजह से एसोसिएशन के सदस्य भारी घाटा झेल रहे हैं। भारतीय कलाकार और डिस्ट्रीब्यूटर्स चाहते हैं कि उनकी फिल्में पाकिस्तान में रिलीज हों। लेकिन पाकिस्तानी वितरक नई भारतीय फिल्में फिलहाल नहीं खरीदना चाहते। वे सरकार से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि लाशारी कहते हैं कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर कोई आधिकारिक वैन नहीं है। सरकार से इस ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है। लेकिन पाकिस्तानी वितरक भारतीय फिल्में नहीं दिखा रहे हैं।
पाकिस्तानी फिल्म उद्योग के सूत्रों के मुताबिक स्थानीय वितरक भारतीय वितरकों को आठ से दस करोड़ रुपये देते हैं। जो समूह फिल्म खरीदता है उसे कम से कम 20 करोड़ की कमाई की उम्मीद होती है। हालांकि उन्हें इसमें कुछ राशि सिनेमाघर मालिकों को देनी होती है।
भारतीय फिल्में पाकिस्तान में 43 साल के लंबे प्रतिबंध के बाद 2008 में रिलीज हुई थीं। 1965 के युद्ध के दौरान भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह अलग बात है कि भारतीय फिल्मों में पाकिस्तानी अभिनेताओं के अभिनय पर ‘बैन’ के लिए गला फाड़-फाड़ कर प्रतिबंध की मांग की जाती है।