25 मार्च. रामनवमी का दिन. गली महोल्लों में भगवान राम की पूजा होती है. उनकी झांकी निकाली जाती है. उनके जन्मदिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है. भगवान राम को विवेक का प्रतीक मानकर उन्हें पूजा जाता है और इसलिए भी कि उन्होंने अपनी पत्नी सीता को रावण से बचाया था. रावण, जिसने बिना इजाज़त के सीता को उनके घर से उठाकर उनका अपहरण किया था. ये कहानी हम बचपन से सुनते आ रहे. मगर आपको इसलिए फिर से बताया जा रहा है क्योंकि जब से धर्म और धार्मिक किरदारों का राजनीतिकरण हुआ है, हम इन कहानियों को भूल गए हैं.
भगवान राम का जब से राजनीतिक इस्तेमाल हुआ है, उसके बाद से मंदिर, तीज- त्यौहार सब कुछ कट्टपंथियों की भेंट चढ़ गए हैं. इस बार रामनवमी में भी ऐसा ही कुछ हुआ. पूरे देश भर में जहां राम की झाकियां निकाली जा रही थी, जोधपुर में रामनवमी के नाम पर कुछ और खेल खेला गया. वहां शोभा यात्रा निकालते समय राम की जगह उस शम्बूलाल की झांकी निकाली गयी जिसने लव-जिहाद के नाम पर एक मुस्लिम मजदूर अफराज़ुल को कुलहाड़ी से मार कर जलाया था और उसका विडियो बनाकर सोशल मीडिया में अपलोड किया था.
इस शोभायात्रा में एक व्यक्ति को शंभूलाल की वेशभूषा में एक सिंहासन पर बैठाया गया. इस झांकी में पोस्टर भी लगे, जिन पर लिखा था, ‘हिंदू भाइयों जागो, अपनी बहन-बेटी बचाओ, लव जिहाद से देश को आज़ाद कराओ.’
पहली बात, एक हत्यारे की भगवान राम से बराबरी की गयी. दूसरा, लव जिहाद मुद्दा लड़की -लड़के से अपनी मर्ज़ी से शादी करने पर उठाया जाता है बल्कि सीता का अपहरण किया गया था. यानी कि अपनी मर्ज़ी से शादी करने वाले लड़के को रावण बताया गया और लड़की को अपहरण की गयी सीता के रूप में बताया गया, जिसे बचाने वाले शम्बूलाल की छवि राम के रूप में पेश की गयी.
जिस प्रकार शंभूलाल जैसे क्रूर मानसिकता वाले व्यक्ति का महिमामंडन किया गया, वह हमारे समाज के लिए भयावह है.
भगवान राम का जब से राजनीतिक इस्तेमाल हुआ है, उसके बाद से मंदिर, तीज- त्यौहार सब कुछ कट्टपंथियों की भेंट चढ़ गए हैं. इस बार रामनवमी में भी ऐसा ही कुछ हुआ. पूरे देश भर में जहां राम की झाकियां निकाली जा रही थी, जोधपुर में रामनवमी के नाम पर कुछ और खेल खेला गया. वहां शोभा यात्रा निकालते समय राम की जगह उस शम्बूलाल की झांकी निकाली गयी जिसने लव-जिहाद के नाम पर एक मुस्लिम मजदूर अफराज़ुल को कुलहाड़ी से मार कर जलाया था और उसका विडियो बनाकर सोशल मीडिया में अपलोड किया था.
इस शोभायात्रा में एक व्यक्ति को शंभूलाल की वेशभूषा में एक सिंहासन पर बैठाया गया. इस झांकी में पोस्टर भी लगे, जिन पर लिखा था, ‘हिंदू भाइयों जागो, अपनी बहन-बेटी बचाओ, लव जिहाद से देश को आज़ाद कराओ.’
पहली बात, एक हत्यारे की भगवान राम से बराबरी की गयी. दूसरा, लव जिहाद मुद्दा लड़की -लड़के से अपनी मर्ज़ी से शादी करने पर उठाया जाता है बल्कि सीता का अपहरण किया गया था. यानी कि अपनी मर्ज़ी से शादी करने वाले लड़के को रावण बताया गया और लड़की को अपहरण की गयी सीता के रूप में बताया गया, जिसे बचाने वाले शम्बूलाल की छवि राम के रूप में पेश की गयी.
जिस प्रकार शंभूलाल जैसे क्रूर मानसिकता वाले व्यक्ति का महिमामंडन किया गया, वह हमारे समाज के लिए भयावह है.