संजय’ ही धृतराष्ट्र हो जाए तो फिर धृतराष्ट्र युधिष्ठिर हो ही जायेगें...

Written by Nadim S. Akhter | Published on: August 4, 2018
पुण्यप्रसून वाजपई के दो ट्वीट
सियासत/सत्ता/संसद का स्तर समझे...
मीडिया पर चार शब्द सही तरीक़े से विपक्ष संसद के भीतर बोल नहीं पाता...
मंत्री का जवाब तथ्य से परे ग़लतबयानी पर टिकता है...
जब दख़ल नहीं तो क्या आदृश्य शक्तियों का बोलबाला है..
खानापूर्ति करने के लिए संसद चलायी जाती है..
सोचिए ज़रूर.....
10:51 PM · Aug 3, 2018
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संजय’ ही धृतराष्ट्र हो जाए तो फिर धृतराष्ट्र युधिष्ठिर हो ही जायेगें...

एडिटर गिल्ड कहता है...लिखित शिकायत मिलेगी तब लड़ाई लडेगें...
11:50 PM · Aug 3, 2018
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अब मेरी बात। देश और संसद में हल्ला मचने के बाद भी पुण्य जी का ट्वीट सिर्फ दो लाइन का। बात वही इशारों में और घुमाकर। सिर्फ एक बात स्पष्ट है एडिटर्स गिल्ड वाली।

सो एडिटर्स गिल्ड अगर कह रहा है कि शिकायत करो तो लड़ाई लड़ेंगे और अगर पुण्य जी के साथ कुछ गलत हुआ है तो वे शिकायत क्यों नहीं करते??!! अब एडिटर्स गिल्ड कोई कोर्ट तो है नहीं कि suo moto लेकर सब को तलब कर ले! ये बात पुण्य जी नहीं जानते क्या?

दूसरी बात। वे इशारों में क्यों बात कर रहे हैं? या तो खुलकर सामने आइए या फिर पीछे हट जाइए। इस तरह असमंजस को सत्य का चोला पहनाने की कोशिश ना हो तो अच्छा।

अगर सरकार पे आरोप लगाना है तो सरकार जवाब देगी। चैनल जवाब देगा। फिर देश तय करेगा कि कौन सही है औऱ कौन गलत! इस तरह दुल्हन की तरह छुप-छुप के तीर ना चलाओ पुण्य जी।

एक बात और। जो बोलने में देर करते हैं, फिर उनकी बात को संदेहास्पद माना जाता है कि गुणा भाग करके बोल रहे हैं। पुण्य और अभिसार जितनी देर करेंगे, उनकी बात का वजन उतना ही कम होता जाएगा। सत्ता से तो पत्रकार का शुरू से 36 का आंकड़ा रहा है। आज से नहीं, जब से पत्रकारिता शुरू हुई तब से। पर सत्ता पे आप आरोप भी लगाएं और खुलकर ना बोलें तो ये पत्रकार का काम नहीं हो सकता। कम से कम पुण्य जैसे पत्रकार का तो नहीं, जिनकी छवि बेबाक पत्रकार की बनी है।

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