मणिपुर : गैर-मान्यता प्राप्त गांवों को नहीं मिलेंगे सरकारी लाभ

Written by sabrang india | Published on: October 12, 2024
"केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त गांवों को ही सरकारी योजनाएं दी जाएंगी। इसमें मनरेगा भी शामिल है। ये (लाभ) गैर-मान्यता प्राप्त गांवों में रहने वाले लोगों को नहीं दिए जाएंगे।"


फोटो साभार: फेसबुक/CMofficeManipur

मणिपुर सरकार ने फैसला किया है कि राज्य के गैर-मान्यता प्राप्त गांवों में रहने वाले लोग अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) जैसी योजनाओं का लाभ पाने के पात्र नहीं होंगे। मंत्री सपम रंजन ने ये बात कही।

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि कई अधिकारियों ने राज्य सरकार से मंजूरी लिए बिना अपने समुदाय के लाभ के लिए पहाड़ी गांवों को मान्यता दे दी है।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मणिपुर के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व डीआईपीआर मंत्री सपम रंजन ने संवाददाताओं से कहा, "केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त गांवों को ही सरकारी योजनाएं दी जाएंगी। इसमें मनरेगा भी शामिल है। ये (लाभ) गैर-मान्यता प्राप्त गांवों में रहने वाले लोगों को नहीं दिए जाएंगे।"

रंजन ने कहा कि कोई भी गांव बसा नहीं सकता, उसे नाम नहीं दे सकता और उन योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा, "हम गांवों को तेजी से आगे नहीं बढ़ा सकते। इसलिए नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है।"

रंजन ने बताया कि मुख्यमंत्री सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुछ असूचीबद्ध मदों के अलावा कुल 51 सूचीबद्ध एजेंडा आइटम पर चर्चा की गई। बैठक में चर्चा किए गए अन्य मुद्दों में राज्य की वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक स्थिति शामिल थी, जो कुकी-जो और मैतेई समुदायों के बीच नस्लीय हिंसा के मद्देनजर अशांत है। रंजन ने कहा, "मंत्रिमंडल ने राज्य में अशांत क्षेत्र की स्थिति की भी समीक्षा की।"

सरकार ने सोमवार, 7 अक्टूबर को मणिपुर में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को इंफाल घाटी के अंतर्गत आने वाले 19 पुलिस थाना क्षेत्र को छोड़कर छह महीने के लिए बढ़ा दिया था।

सपम रंजन ने आगे बताया कि मंत्रिमंडल ने विभिन्न विभागों के लिए अनुबंध पर नौकरियों, पुलिस विभाग में अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियों और नुंगसाई में एक पुलिस स्टेशन और जौजांगटेक क्षेत्र में एक पुलिस चौकी की स्थापना के लिए जमीन हासिल करने पर भी चर्चा की।

मंत्रिमंडल ने राज्य में डेंगू की स्थिति पर भी चर्चा की क्योंकि मणिपुर में पिछले दो महीनों में डेंगू के मामलों में वृद्धि देखी गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "डेंगू के स्रोत को कम करने के लिए जनता के सहयोग की आवश्यकता है। हमें इसके प्रजनन के आधार को नष्ट करना होगा। मैं एक बार फिर दोहराता हूं, अगर हम (डेंगू को) हल्के में लेंगे, तो यह हम सभी के लिए गंभीर होगा।"

उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में अब डेंगू के मामलों की संख्या कम है, जब राज्य में लगभग 2,500 मामले सामने आए थे। रंजन ने कहा, "गुरुवार तक, इंफाल और इंफाल पश्चिम जिलों को मिलाकर 1,070 मामले सामने आए हैं। हमने डेंगू के कारण 3 से 4 जानें गंवा दी हैं।"

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