कुंभ 2025: ‘गैर-सनातनी’ विक्रेताओं और उर्दू शब्दों पर प्रतिबंध का प्रस्ताव

Written by sabrang india | Published on: October 10, 2024
योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर सरकार के तहत हिंदुत्व की छत्रछाया में कई मशहूर शहरों के उर्दू नाम बदल दिए गए हैं। अब कुंभ 2025 में ‘गैर-सनातनी विक्रेताओं’ और ‘अनुष्ठानों के लिए उर्दू शब्दों’ पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।


साभार : सोशल मीडिया एक्स

प्रयागराज (पूर्ववर्ती नाम इलाहाबाद) में संगम पर कुंभ मेले के दौरान आंतरिक धार्मिक प्रबंधन का निर्देशन करने वाले हिंदू धार्मिक प्राधिकरण, अखाड़ा परिषद, ने दिवाली के बाद गैर-हिंदू व्यापारियों के खाने-पीने के स्टॉल पर प्रतिबंध लगाने के लिए ‘आधिकारिक धार्मिक प्रस्ताव’ जारी करने की घोषणा की है।

निरंजनी अखाड़े की एक आंतरिक बैठक में हिंदुत्व नेताओं ने हिंदू अनुष्ठानों के लिए उर्दू शब्दों को उनके हिंदी या संस्कृत के विकल्पों से बदलने का निर्णय लिया है। धार्मिक प्रमुखों ने सरकार को उर्दू नामों और गैर-सनातनी (मुस्लिम) विक्रेताओं के बारे में सूचित किया है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख रवींद्र पुरी को यकीन है कि मुख्यमंत्री 'जल्द ही इस संबंध में घोषणा करेंगे' और आदित्यनाथ योगी उनकी अपील को स्वीकार करके नए नियमों की घोषणा करेंगे।

मुस्लिम विरोधी षड्यंत्र के सिद्धांत चर्चा में

'संगम', जो ऐतिहासिक रूप से अपनी 'गंगा-जमुनी तहजीब' के लिए जाना जाता है, अब भगवा एकाधिकार और दक्षिणपंथी नफरत का केंद्र बन गया है। मध्य प्रदेश की तर्ज पर, जहां महाकाल जुलूस के लिए 'शाही सवारी' शब्द को 'राजसी सवारी' से बदल दिया गया था, अब कुंभ में अखाड़े संतों के स्नान उत्सव और अखाड़े तथा आश्रमों के बीच के जुलूस को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 'शाही स्नान' और 'पेशवाई' जैसे उर्दू शब्दों को बदलने की तैयारी की जा रही है।

जनवरी 2025 में शुरू होने वाले महाकुंभ से पहले व्यापक षड्यंत्र के सिद्धांत जोरों पर हैं। 'तिरुपति लड्डू विवाद' ने भी अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है। रवींद्र पुरी ने कहा कि गैर-सनातनी समुदायों के स्टॉल लगाने की अनुमति देने से 'खाद्य पदार्थों में मिलावट' और 'जूस में मूत्र' या 'खाद्य पदार्थों में थूकने' जैसी घटनाएं हो सकती हैं।

अल्पसंख्यकों के लिए ‘नो एंट्री’

‘अखाड़ा परिषद’ के सभी 13 हिंदुत्व अखाड़े कुंभ में किसी भी गतिविधि में अल्पसंख्यक समुदायों पर ‘पूरी तरह से प्रतिबंध’ लगाने के लिए अड़े हुए हैं, जो केवल ‘खाद्य विक्रेताओं’ तक सीमित नहीं है। अखाड़ा परिषद आंतरिक प्रबंधन और सुरक्षा के लिए ‘केवल हिंदू पुलिसकर्मी’ और ‘केवल हिंदू अधिकारी और कर्मचारी’ तैनात करना चाहती है।

धार्मिक गुरुओं को जवाब देते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की नियुक्ति ‘पृष्ठभूमि की जांच के बाद ही’ की जाएगी। महाकुंभ में आम अल्पसंख्यकों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए हिंदुत्ववादियों के बीच तीखी बहस चल रही है।

महंत राजू दास हनुमानगढ़ी ने कहा, ‘वे (गैर-सनातनी) कुंभ में क्या करेंगे? यह संतों, साधुओं और पवित्र आत्माओं का त्योहार है। यह हिंदू आस्था का केंद्र है। ‘वे’ यहां क्या करेंगे?’
उन्होंने आगे कहा, ‘जो लोग हमारा विरोध करते हैं, वे ही भोजन पर थूकते हैं और पेशाब करते हैं।’

हिंदुत्ववादी भीड़ राज्य सरकार से ‘आधार कार्ड’ सत्यापित करने और यह सुनिश्चित करने की भी मांग कर रही है कि कुंभ के दौरान केवल हिंदू लोग ही नदी के किनारे आ सकें।
ये नए निर्देश इलाहाबाद और भारत के मुसलमानों और अन्य धार्मिक समुदायों को प्रभावित करेंगे, जो व्यापार करने के लिए कुंभ में आते हैं। धार्मिक नफरत के ऐसे घृणित व्यवहार से अल्पसंख्यक समुदायों का ‘आर्थिक नुकसान’ और ‘सामाजिक बहिष्कार’ भी बड़े पैमाने पर होगा।

वर्तमान में अल्पसंख्यक उन घोषित प्रतिबंधों से परेशान हैं, जो कुंभ के दौरान शहर के नदी तटों तक उन्हें पहुंचने नहीं देंगे और उन्हें उनके व्यवसायों तक ही सीमित कर देंगे।

बाकी ख़बरें