नर्मदा बचाओ जंग के समापन पर जन अदालत के जजों ने तीन दशक के संघर्ष को सराहा

Written by SabrangindiaROMA (AIUFWP) | Published on: June 5, 2018
भोपाल: नर्मदा और किसान बचाओ जंग का समापन सोमवार को राजधानी के नीलम पार्क में हुआ। इस जंग के समापन के अवसर पर आयोजित जन अदालत में जस्टिस गोपाला गौड़ा और जस्टिस अभय थिप्से ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि हम नर्मदा बचाओ आन्दोलन के जीवन और जीविका के लिए चल रहे 3 दशकों से भी अधिक लम्बे संघर्ष को सलाम करते हैं और इस लड़ाई को आगे बढ़ाने की भी कामना करते हैं क्योंकि ऐसा संघर्ष ही हमारे लोकतंत्र और देश को बचा सकता है। अपने आदेश में उन्होंने कहा कि सरकार और सभी एजेंसीज ने लोगों को इतने सालों से जो पीड़ा दी है, उनके अधिकारों का हनन किया है, वह गंभीर अपराध हैं जिसके लिए इन्हें जिम्मेदार ठहराना जरुरी है।


लोगों को उनके अधिकार न दे, पुनर्वास व विस्थापन न करने के साथ- साथ सरकार ने नर्मदा नदी को मारकर उससे भी बड़ा गुनाह किया है। जीवनदायिनी नर्मदा को जीव–जंतुओँ के लि घातक बनाने जैसे कार्य करके इन्होंने हमारे लोकतन्त्र को शर्मिंदा कर दिया।

जस्टिस गौड़ा ने आगे कहा कि NWDTA, शिकायत निवारण प्राधिकरण, सुप्रीम कोर्ट के 2000, 2005 तथा 2017 के फैसलों पर भी अमल ना करना पूरी तरह से जीने के अधिकार और आजीविका के अधिकार पर चोट है। नर्मदा बचाओ आन्दोलन की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमें व्यवस्था के अन्दर रहकर ही अपनी मर्यादाओं में काम करना पड़ता है परन्तु समाज के लिए जो काम आप कर रहे उसको तुलना नहीं की जा सकती।              

वहीं दूसरी तरफ, खलघाट से 29 मई को शुरू हुई नर्मदा और किसानी बचाओ जंग यात्रा आज 4 जून को बैरागढ़ से लगभग 13 किमी. पैदल चलकर नारों और गानों के साथ भोपाल के नीलम पार्क पहुंची। नीलम पार्क में जस्टिस गोपाला गौड़ा और अभय थिप्से की जन अदालत में यात्रा का स्वागत किया गया।

जन अदालत की कार्यवाही धारा 24/2, पश्चिम बंगाल के सिंगूर, जीवन के अधिकार को आजीविका के अधिकार से जोड़ना, हीराकुंड बांध, वेस्ट बेकरी केस, क्रिमिनल केसेस तथा दलित तथा आदिवासियों के कई केसों में ऐतिहासिक आदेश पास करने वाले न्यायधीशों की उपस्थिति में नवीन मिश्रा के गीत “टूटी माला जैसी बिखरी किस्मत आज किसान की” के साथ शुरू की गयी।  

नर्मदा नदी पर बने और प्रस्तावित सभी बांध के क्षेत्रों से आये हुए प्रभावित लोगों ने न्यायाधीशों को अपनी पीड़ा सुनाकर और आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी। सरदार सरोवर प्रभावित कैलाश अवास्या और गैम्तिया भाई ने बताया की कैसे जमीन के बदले जमीन की नीति होते हुए भी उसका पालन नहीं हो रहा है, अलीराजपुर में सिर्फ 8 परिवारों को जमीन दी गयी। आदिवासी समुदाय से आये गैम्तिया भाई ने बताया कि शिकायत निवारण प्राधिकरण केसामने हजारों आवेदन लंबित हैं और जिनमें मंजूरी मिली भी है तो उसका पालन नहीं हुआ है।

रनजीत तोमर ने कहा कि नर्मदा ट्रिब्यूनल अवार्ड में पुनर्वास और पर्यावरण दोनों के बारे में लिखा है बावजूद इसके सरकार इसको लागू नहीं कर रही है और सुप्रीम कोर्ट में भी झूठे हलफनामे लगाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश बहुत पहले से की जा रही है।

श्यामा मछुवारा और मधु भाई ने न्यायाधीशों के सामने गुहार लगायी कि मछुवारा समुदाय के साथ न्याय किया जाए और हमें भी जमीन का लाभ दिया जाये। उन्होंने कहा कि मान नर्मदा जैसी पहले थी हमें वैसी ही नर्मदा वापस लौटा दी जाए। कमला यादव ने श्यामा मछुवारा की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मछली ही नहीं अब नर्मदा के सारे जीवजंतु मर रहे हैं, साफ़ सुथरा रहने वाला नर्मदा का पानी अब गन्दगी से भरा हुआ है।  

उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल करते हुए कहा कि यदि आप सचमुच सबके मामा हैं तो इन बहनों को इस चिलचिलाती धूप में पैदल चलने को क्यों मजबूर कर रहे हैं?

बाकी ख़बरें