पहलगाम हमले के बाद पूरे भारत में मुसलमानों के खिलाफ नफरती हिंसा के मामलों में वृद्धि: रिपोर्ट में खुलासा

Written by sabrang india | Published on: May 14, 2025
मुस्लिम विरोधी नफरत के अपराधों में विभिन्न राज्यों में अभद्र भाषा, हमला, बर्बरता, हत्या, धमकी, डराना व धमकाना शामिल हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए हैं।



22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद पूरे भारत में मुसलमानों और कश्मीरियों के खिलाफ नफरत की घटनाओं में तेजी दर्ज की गई है। इसमें तीन हत्याएं और शारीरिक चोटों के साथ साथ तीन सौ से ज्यादा मामले शामिल हैं। 184 में से सौ से ज्यादा मामले इस घटना से सीधे जुड़े हुए हैं। एपीसीआर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शारीरिक हमलों की वास्तविक संख्या दस्तावेज में दर्ज की गई संख्या से ज्यादा हो सकती है।

द ऑब्जर्वर पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि मुस्लिम विरोधी नफरत के अपराधों में विभिन्न राज्यों में अभद्र भाषा, हमला, बर्बरता, हत्या, धमकी, डराना व धमकाना शामिल हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए हैं। और बड़ी घटनाएं कर्नाटक, पंजाब और चंडीगढ़ में हुईं। अन्य राज्यों में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और बिहार शामिल हैं।

मोहम्मद गुलफाम (25 वर्ष) और उनके चचेरे भाई ने अपनी रोजी-रोटी के लिए चिकन बिरयानी की दुकान खोली ही थी, तभी पहलगाम में हुए हमले के बाद बदला लेने की मांग करने वाले हमलावर आ पहुंचे। उनकी मौके पर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि गोली उनके चचेरे भाई के कंधे में लगी।

अन्य पीड़ितों में एक मानसिक रूप से विकलांग मुस्लिम व्यक्ति भी शामिल है, जिसे क्रिकेट मैच के दौरान कथित तौर पर पाकिस्तान के नारे लगाने पर कर्नाटक में बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला गया था। बाद में पता चला कि मारा गया व्यक्ति मोहम्मद अशरफ (32 वर्ष) था, जो मूल रूप से केरल का रहने वाला था। हमला हाथापाई से शुरू हुआ, जो बाद में भीड़ के हमले में बदल गया।

नफरत भरे बयान

नफरत भरे बयान सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए गए अपराधों में था, जिसमें हिंदुत्ववादी नेताओं ने हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित किया, सोशल मीडिया पर कश्मीरियों के खिलाफ मुस्लिम विरोधी भाषण दिए, मुसलमानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लक्षित किया और मुसलमानों द्वारा चलाए जा रहे कारोबार का बहिष्कार करने का आह्वान किया। अंबाला में मुस्लिम विक्रेताओं को जबरन अपनी दुकानें लगाने से रोका गया और पुलिस के सहयोग से उन्हें हटा दिया गया।

हिंदुत्ववादी एक नेता ने सरकार से अपील की कि पहलगाम हिंसा के प्रतिशोध में फिलिस्तीन की तरह कश्मीर में भी हिंसा का इजरायली मॉडल लागू किया जाए। दूसरे नेता ने कश्मीरी मुसलमानों के खिलाफ अपमानजनक भाषण दिए।

विरोध प्रदर्शनों के दौरान मुसलमानों को 'जिहादी' भी कहा गया और विभिन्न राज्यों में कई घटनाओं में मुसलमानों के बहिष्कार की बात सामने आई।

इंडिया हेट लैब द्वारा 2024 में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ 74% नफरत भरे भाषणों की रिपोर्ट की गई, जिनमें से अधिकांश नेताओं और संवैधानिक पद पर बैठे लोगों द्वारा प्रचारित किए गए हैं।

उत्पीड़न, हमला और बर्बरता

अलीगढ़ में बजरंग दल के सदस्यों ने एक मुस्लिम फल की दुकान में तोड़फोड़ की और मुंबई में भाजपा के नौ सदस्यों ने मुस्लिम फेरीवालों पर हमला किया। हिंदू भीड़ और बजरंग दल के सदस्यों ने कई मुस्लिम दुकानों में तोड़फोड़ की।

राजस्थान में भाजपा विधायक आचार्य ने पहलगाम हमलों के विरोध में एक रैली के दौरान एक मस्जिद में घुसने की कोशिश की, भड़काऊ नारे लगाए और मस्जिद के बाहर आपत्तिजनक पोस्टर चिपकाए।

गाजियाबाद में मुस्लिम मजदूरों को उनकी नौकरियों से निकाल दिया गया है और गांवों में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि उन्हें भगा दिया गया, शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उन पर यह कहते हुए हमला किया गया कि, "पहलगाम हमले के लिए मुस्लिम ही जिम्मेदार हैं और मुसलमानों को हिंदू घरों या इलाकों में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"

कई कश्मीरी छात्रों पर भी हमला किया गया, उन्हें धमकाया गया और उनके घरों और परिसरों को छोड़ने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कश्मीर में संदिग्ध आतंकवादियों के कम से कम 9 घरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया और उनमें से कुछ को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए उड़ा दिया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तोड़ फोड़ के दौरान किसी भी संदिग्ध आतंकवादी को गिरफ्तार नहीं किया गया या उसे नहीं पाया गया, जिससे बीमार माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य फंसे हुए और बेघर हो गए।

स्थानीय लोगों ने कहा कि इसमें कुछ संदिग्ध आतंकवादियों के घर भी शामिल हैं, जो सालों पहले अपने घर छोड़कर चले गए और कभी वापस नहीं आए।

दुर्व्यवहार, उत्पीड़न, धमकी और डराना-धमकाना

पहलगाम हमले के बाद देश भर के विभिन्न राज्यों में पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों को छात्रावास और परिसर छोड़ने के लिए हमले और धमकी का सामना करना पड़ा। भोपाल, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई स्थानों पर उन पर हमला किया गया और उन्हें धमकाया गया।

हथियार से लैस भीड़ ने ऑनलाइन के जरिए मुसलमानों से दारुल उलूम देवबंद को खाली करने का आह्वान किया, जिससे जान और आजीविका को खतरा पैदा हो गया। महाराष्ट्र में एक हिंदुत्ववादी भीड़ ने एक मुस्लिम महिला के साथ दुर्व्यवहार किया और उसे परेशान किया और पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया।

हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा फिलिस्तीनी झंडों के अपमान को रोकने के लिए करीब तीन मुस्लिम लोगों को परेशान किया गया और धमकाया गया।

कश्मीरी कार्यकर्ताओं को कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए बलात्कार की धमकियां, अपमानजनक टिप्पणियां और ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

इससे पहले, इंडिया हेट लैब द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि 2024 के बाद से 98.5% नफरती अपराध मुसलमानों के खिलाफ लक्षित थे, जिनमें से अधिकांश भाजपा सरकार वाले राज्यों में हुए थे।

Related

कर्नाटक : भाजपा विधायक के सांप्रदायिक भाषण के कुछ दिनों बाद मंदिर प्रबंधन ने मुस्लिम समुदाय से खेद जताया

कर्तव्य निभाने पर ट्रोलिंग: विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारत-पाकिस्तान युद्धविराम को लेकर दक्षिणपंथी हमलों के बीच X अकाउंट किया लॉक

बाकी ख़बरें