गुजरात में गोरक्षकों ने मुस्लिम युवक को मार डाला

Written by | Published on: September 17, 2016
 
दो महीने पहले उना में गोरक्षकों ने दलित युवकों की बर्बर पिटाई की थी। लेकिन 13 तारीख को उन्होंने सरेशाम मुस्लिम युवक को पीट-पीट कर मार डाला। पीएम नरेंद्र मोदी के पास है कोई जवाब।

 

जन्मदिन मनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के गुजरात आगमन के ठीक पहले गोरक्षकों ने फिर हमला किया है। इस बार गोरक्षकों ने अहमदाबाद में 29 वर्षीय मुस्लिम युवक मोहम्मद अयूब को पीट-पीट कर मार डाला। 13 सितंबर की इस जघन्य वारदात के बाद माहौल बेहद गर्म है। अयूब के मां-बाप ने कहा है कि जब तक हमलावरों के खिलाफ दफा 302 के तहत कत्ल का मामला दर्ज नहीं हो जाता तब तक वह अपने बेटे की लाश नहीं ले जाएंगे। हालांकि दो दिन पहले इस जघन्य वारदात को अंजाम देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। लेकिन इसमें कत्ल का मामला नहीं जोड़ा गया है।

अयूब की मौत के बाद गुस्साए लेकिन पूरी तरह संगठित मुसलमानों और दलितों ने इस मांग को लेकर नगरनिगम के वीएस अस्पताल को घेर लिया था। वैसे, यह अस्पताल मरीजों से भेदभाव के लिए बदनाम रहा है। कत्ल का मामला दर्ज कराने की मांग लेकर मुसलिम और दलित देर रात तक अस्पताल को घेरे रहे।

गुजरात टुडे अखबार ने मोहम्मद अयूब की जघन्य हत्या पर विस्तृत रिपोर्ट छापी है। गोरक्षकों के हमले से बुरी तरह घायल अयूब की 14 सितंबर शाम पांच बजे मौत हो गई थी।

अयूब पर गोरक्षकों ने 13 सितंबर को हमला किया था। उस दिन अयूब और समीर शेख इनोवा से दो बछड़े लेकर अहमदाबाद की ओर जा रहे थे। गोरक्षकों को इसकी भनक लग गई और वे उनका पीछा करने लगे। गोरक्षकों के गिरोह ने अहमदाबाद में कर्णावती क्लब के पास ऑनेस्ट टी-जंक्शन पर उनकी कार को टक्कर मार दी। और दोनों को कार से बाहर घसीट लिया। इसके बाद इस गिरोह ने दोनों को बुरी तरह पीटा। यह घटना 13 सितंबर को तड़के तीन बजे के आसपास हुई।

समीर शेख की तहरीर के मुताबिक, मोहम्मद अयूब गोरक्षकों की पकड़ से भाग निकले। लेकिन उनके गिरोह ने दोनो का पीछा कर उन्हें दबोच लिया। इसके बाद गोरक्षक लाठी और और रॉड लेकर उन पर पिल पड़े। अयूब बुरी तरह घायल हो गए। समीर शेख की भी पिटाई की गई और वह भी घायल हो गए। उनके माथे पर खासी चोट आई। पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि जब तक वह अयूब तक पहुंचती तब तक गोरक्षकों ने उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया था। अयूब को एंबुलेस से सिविल अस्पताल ले जाया गया जबकि समीर शेख को आनंदनगर पुलिस थाने। लेकिन न जाने क्यों मोहम्मद अयूब को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल वीएस अस्पताल भेज दिया गया, जहां शाम पांच बजे उनकी मौत हो गई।

पुलिस ने इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की है। गोरक्षा कानून के तहत पहली समीर शेख और मोहम्मद अयूब के खिलाफ जबकि दूसरी एफआईआर गोरक्षकों के खिलाफ धारा 307 के तहत। आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या की कोशिश का मामला दर्ज होता है। हालांकि समीर शेख और मोहम्मद अयूब के खिलाफ दर्ज पहली एफआईआर में पुलिस ने हमलावर गोरक्षकों का नाम और उनका वाहन नंबर लिखा है। लेकिन धारा 307 के तहत गोरक्षकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में हमलावरों को अज्ञात करार दिया गया है। गाड़ियों के नंबर जीजे27 सी9077  और जीजे01सीजेड 1180 के तौर पर दर्ज है। गोरक्षकों हमलावरों के नाम जनक रमेश मिस्त्री, अजय सागर रबारी और भरत नागी रबारी के तौर पर दर्ज हैं। जबकि दूसरी एफआईआर में इन नामों को हटा दिया है। साफ है कि इसके जरिये हत्या की कोशिश के तौर पर दर्ज इस मामले को कमजोर कर दिया गया है।

गुजरात टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही मोहम्मद अयूब गुजरात के मौजूदा कानून के मुताबिक गैरकानूनी काम कर रहा था लेकिन गोरक्षकों को उस पर हमले का कोई अधिकार नहीं था। इसके बजाय वह उसे पकड़ कर पुलिस को सौंप सकते थे। हालांकि मौजूदा गुजरात सरकार के शासन में गोरक्षक इतने ताकतवर हो गए हैं कि वह कानून अपने हाथ में लिये घूम रहे हैं और पीट-पीट कर लोगों को मौत के घाट उतारने में लगे हैं। दो महीने पहले उन्होंने उना में गाय की खाल उतारने के झूठे आरोप में दलित युवाओं की बर्बर पिटाई की थी। इस बहुचर्चित मामले पर पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई थी। और अब उन्होंने अहमदाबाद में सरेशाम एक शख्स की जान ले ली।

आज पीएम मोदी का जन्मदिन है। वह गुजरात में अपने जन्मदिन का उत्सव मना रहे हैं। लेकिन उनके ही राज्य में एक तीन महीने का शिशु, एक तीन साल का बच्चा, एक पत्नी और मां एक पिता, पति और बेटे मोहम्मद अयूब का शोक मना रही है।

पीएम ने अपने चुनावी भाषणों में जिन गोरक्षकों को बढ़ावा दिया था वही अब उनके गुजराती भाइयों का कत्ल रहे हैं। उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। क्या पीएम इस पर कुछ कहेंगे।
बहरहाल गम और गुस्से की इस घड़ी में गुजरात का दलित और बाल्मिकी समाज मोहम्मद अयूब के परिवार के साथ मजबूती से खड़ा है। दोनों समाज अयूब के परिवार को अपना दुख समझ रहे हैं। यही वजह है कि इन समाजों के लोग देर रात वीएस अस्पताल को घेरे खड़े थे।


Late night, Friday September 16

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