दैनिक भास्कर द्वारा भीलवाड़ा में औरतों को डायन घोषित करने वाले भोपों के विरूद्ध कार्यवाही की मांग

Written by SabrangindiaROMA (AIUFWP) | Published on: September 22, 2017

महिला व सामाजिक संगठनों का मांग पत्र


Representational Image, Courtesy: NDTV


जयपुर, 22 सितंबर, 2017

राजस्थान में डायन प्रथा रोकथाम कानून का खुल्लमखुला हो रहे उल्लंघन और औरतों के साथ बढती बेहरमी तरिके से डाकन के नाम पर अत्याचार का खुलासा दैनिक भास्कर ने किया। जिसको लेकर आज महिला संगठनों का एक दल जिसका नेतृत्व पूर्व महिला आयोग अध्यक्षा डाॅ. पवन सुराणा सहित, डाॅ. रेणका पामेचा, डाॅ. लाड कुमारी जैन, निशा सिधू, सुमित्रा चौपड़ा, कुसुम साईवाल व कविता श्रीवास्तव पुलिस महानिदेशक अजित सिंह से मुलाकात कर ज्ञापन दिया।
 
पुलिस महानिदेशक श्री अजित सिंह ने महिला संगठनों द्वारा रखी सभी मांगो को मान लिया और कहा कि कोताही जिस भी स्तर पर हुई उन पुलिस कर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी, साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस आपराधिक मामले दर्ज करेगी व उम्मीद करती है कि इस प्रथा के उन्नमूलन में समाज का हर तपका साथ देगा।  

महिला संगठनों का मांग पत्र में निम्न मांगे रखी गई थी -

पुलिस अधिक्षक भीलवाड़ा और विभिन्न पुलिस स्टेशनों के पुलिस प्रभारी को कानून के बावजूद इन भोपों बनाम डाकन संस्थाऐं को पनपने दिया गया कानून के बावजूद, इनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।  

सभी सात भोपे और एक भोपी को भीलवाड़ा पुलिस द्वारा कानून के उपयुक्त धाराओं के तहत मुकदमा किया जाना चाहिए। क्योंकि वे सब न केवल औरतों को डायन होने की घोषणा करते हैं, बल्कि डायन की विचार धारा, लोगों का इस प्रथा पर विश्वास व डायन प्रथा को कायम रखने की संस्थानों को मजबूत करते है। 

भास्कर रिपोर्ट में उल्लेखित सभी डाकन सम्बन्धित थान (संस्थान) को तत्काल बंद कर दिया जाये और इन सभी संस्थानों के भोपो और न्यासी को गिरफ्तार किया जाएगा।

हम यह भी आग्रह करते हैं कि इस मुद्दे पर पुलिस कर्मियों, वकिल व न्यायाधिशो का तत्काल प्रशिक्षण का आयोजन किया जाए। पुलिस अकादमी और DALSA सह आयोजक हो सकते हैं। राजस्थान व देश में इन मुद्दों पर काम कर रहे महिला समूह की सदस्यों को भी जोड़ा जाए। जिससे उनके अनुभव से हम कुछ सीख सके। 

पुलिस और प्रशासन को सभी पीडि़तों के तत्काल पुनर्वास सुनिश्चित करना चाहिए जिन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने में कामयाब रहे हैं और उन लोगों का पंजीकरण करने में मदद की है जिन्होंने किसी कारण से इसे नहीं दर्ज किया है।

पुलिस सहित राज्य की सभी एजेंसियो को डाकन प्रथा को समाज से पूर्ण रूप से उन्नमूलन हेतु एक जागरूकता अभियान शुरू किया जाये और अभी तक दायर सभी मामलों को फास्ट ट्रेक कर दोषी को दण्ड दिया जाये। 

अरुणा रॉय, मजदूर किसान शक्ति संगठन, भीम, राजसमंद जिला
डॉ. पवन सुराणा, पूर्व अध्यक्षा, राज्य महिला आयोग, राजस्थान  
डॉ. रेणुका पामेचा, महिला पुनर्वास समूह
डाॅ. लाड कुमारी जैन, रुवा व पूर्व अध्यक्षा, राज्य महिला आयोग, राजस्थान  
तारा अहलूवालिया, बाल और एवम महिला चेतना समिति, भीलवाड़ा
इंदिरा पंचैली, महिला जन अधिकार समिति, अजमेर
कविता श्रीवास्तव, पीयूसीएल राजस्थान
ममता जेटली, विविधा, महिला आलेखन एवं शौध अनुसंधान समिति
डॉ. आशा कौशिक, अध्यक्षा, रुवा
आभा भैया, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, जयपुर
निशात हुसैन, नेशनल मुस्लिम विमिन वेलफेयर सोसायटी
कोमल श्रीवास्तव, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, राजस्थान
सुमित्रा चोपड़ा और कुसुम साईंवाल, जनवादी महिला समिती 
निशा सिधू और मीनाक्षी, एनएफआईडब्ल्यू
पी.एल मीमरोठ, दलित अधिकार केन्द्र 
सुमन देवठीया, AIDMAM, राजस्थान
डॉ. मीता सिंह, विजय लक्ष्मी जोशी और भंवर लाल कुमावत, पीयूसीएल, राजस्थान
हरकेश बुगालिया, जन शक्ति मोर्चा
भरत और शबनम, विशाखा महिला शिक्षा एवम शौध समिति, राजस्थान
ग्रीजेश दिनकर, दलित महिला मंच, राजस्थान
अंकिता, सामाजिक कार्यकर्ता, बेटी जिन्दाबाद
बसंत हरियाणा, राजस्थान नागिक मंच, जयपुर
सवाई सिंह, राजस्थान समग्र सेवा संघ, जयपुर
मुकेश निर्वासित व कमल टांक, सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान, राजस्थान
अनिता माथुर, आजाद फाउंडेशन
लक्ष्मी अशोक, शिल्पायन, जयपुर

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