सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने लगाए गंभीर आरोप- न्यायपालिका में दखल दे रही केंद्र सरकार

Published on: April 27, 2018
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और कांग्रेस ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट के जज के रुप में नियुक्ति को सरकार की ओर से मंजूरी मिलने को लेकर सवाल गंभीर उठाए हैं।



एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा, ‘एक नियुक्ति को मंजूरी देकर और दूसरी को नामंजूर करके सरकार ने न्यायपालिका के कामकाज में दखलंदाजी की है. यह काफी गंभीर मुद्दा है और इसे सरकार के सामने मजबूती से उठाने की जरूरत है.’ बता दें कि मोदी सरकार ने अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। जबकि जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। 

उन्होंने आगे कहा, ‘इंदु मल्होत्रा अच्छी वकील हैं और वे बेहतरीन जज साबित होंगी. लेकिन मुझे सरकार के रवैए से दिक्कत है. उसके पास जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी न देने का कोई रास्ता नहीं है.’

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केवल इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति को मंजूरी देना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बदले की राजनीति’ को उजागर करता है. उन्होंने आगे कहा, ‘जज जोसेफ भारत के सबसे वरिष्ठ जज हैं. क्या उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के प्रतिशोध में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति को मंजूरी नहीं दी है?’

उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति को मंजूरी न देने पर सवाल उठाया है. इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा, ‘कानून के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश अंतिम और जजों की नियुक्ति के लिए बाध्यकारी होती है. क्या मोदी सरकार कानून से ऊपर है?’ सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों के कॉलेजियम ने जनवरी में इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को शीर्ष अदालत में जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी.

मोदी सरकार ने अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को मंजूरी दी है लेकिन जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर अभी कोई फैसला नहीं किया है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा, ‘एक नियुक्ति को मंजूरी देकर और दूसरी को नामंजूर करके सरकार ने न्यायपालिका के कामकाज में दखलंदाजी की है. यह काफी गंभीर मुद्दा है और इसे सरकार के सामने मजबूती से उठाने की जरूरत है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इंदु मल्होत्रा अच्छी वकील हैं और वे बेहतरीन जज साबित होंगी. लेकिन मुझे सरकार के रवैए से दिक्कत है. उसके पास जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी न देने का कोई रास्ता नहीं है.’

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केवल इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति को मंजूरी देना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बदले की राजनीति’ को उजागर करता है. उन्होंने आगे कहा, ‘जज जोसेफ भारत के सबसे वरिष्ठ जज हैं. क्या उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के प्रतिशोध में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति को मंजूरी नहीं दी है?’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति को मंजूरी न देने पर सवाल उठाया है. इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा, ‘कानून के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश अंतिम और जजों की नियुक्ति के लिए बाध्यकारी होती है. क्या मोदी सरकार कानून से ऊपर है?’ सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों के कॉलेजियम ने जनवरी में इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को शीर्ष अदालत में जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी.

 

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