लोकसभा चुनाव से पहले NDA को तगड़ा झटका, असम की सबसे पुरानी पार्टी AGP ने भी तोड़ा नाता

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 8, 2019
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले एनडीए को असम से तगड़ा झटका लगा है। देश के महत्वपूर्ण आम चुनाव से पहले भाजपा की सहयोगी पार्टियां गठबंधन तोड़ रही हैं। अब इसी कड़ी में असम में उसकी सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी असम गण परिषद (एजीपी) ने भी गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया है। एजीपी के अध्यक्ष अतुल बोरा ने सोमवार को दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद बीजेपी से गठबंधन खत्म करने का ऐलान किया।



बता दें कि बीते साल बिहार की आरएलएसपी और आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी से भाजपा को झटके मिल चुके हैं। शिवसेना के साथ भी पिछले सालों से टकराव चल रहा है। 

बताया जा रहा है कि एजीपी प्रमुख अतुल बोरा असम में लागू नागरिकता संसोधन विधेयक (एनआरसी) को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार से नाराज चल रहे थे। 

सबसे खास बात ये है कि एजीपी ने यह कदम पीएम नरेंद्र मोदी के असम में दिए उस बयान के ठीक एक दिन बाद उठाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार प्रस्तावित नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को संसद में मंजूरी दिलाने के लिए काम कर रही है और इसमें भारत के एक भी नागरिक को छोड़ा नहीं जाएगा।

इससे पहले भी एजीपी ने नागरिकता विधेयक का यह कहकर विरोध किया था कि इससे उनकी सांस्कृतिक पहचान को नुकसान पहुंचेगा। पार्टी अध्यक्ष अतुल बोरा ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर इस विधेयक पर आपत्ति जताई थी। 

उनका कहना है कि “असम समझौता, नागरिकता विधेयक और अन्य मुद्दों पर एक साझा समझ के साथ काम करने के आधार पर बीजेपी से गठबंधन करने का फैसला लिया गया था। लेकिन मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को संसद में पेश कर उसका उल्लंघन किया है।”

वहीं पीएम मोदी के बीते दिनों असम में दिए इस बयान के विरोध में कृषक मुक्ति संग्राम समिति (कएमएसएस) के नेतृत्व में लगभग 70 संगठनों ने जगह-जगह प्रदर्शन कर एजीपी पर दबाव डाला कि वह बीजेपी के साथ अपना गठबंधन खत्म कर दे। इसके बाद आज एजीपी अध्यक्ष ने दिल्ली में गठबंधन खत्म करने का ऐलान कर दिया। बता दें कि नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करने वाला नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 लोकसभा में 15 जुलाई 2016 को पेश किया गया था।

गौरतलब है कि सोमवार को की गई घोषणा के साथ ही अब एजीपी भी उन अहम क्षेत्रीय दलों की फेहरिस्त में शामिल हो गई है, जिन्होंने हाल के दिनों में मोदी सरकार की नीतियों और विशेष वैचारिक निर्णयों के कारण गठबंधन से अपने आपको अलग कर लिया है। 

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