यूपी: पोलिंग ड्यूटी पर तैनात 1,621 लोगों की मौत, लेकिन सरकार की नजर में सिर्फ 3!

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 20, 2021
शिक्षक संघ ने 75 जिलों  में 1,600 से अधिक सदस्यों की पहचान करते हुए एक राज्य-व्यापी सूची तैयार की है, जो पंचायत चुनावों के दौरान मतदान केंद्रों पर सेवा करते समय कोविड -19 या अन्य बीमारियों के कारण मर गए। शिक्षक संघ ने इनके लिए मुआवजे की मांग की है। 


Courtesy:thehindu.com

उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी में लगे कई शिक्षकों और सहायक स्टाफ़ के सदस्यों की मौत कोरोना संक्रमण के कारण होने की बात शिक्षक संगठनों ने कही है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि ऐसे लोगों की संख्या 1,621 है लेकिन योगी सरकार इस आंकड़े को मानने के लिए तैयार नहीं है। 

योगी सरकार का कहना है कि पंचायत चुनाव के दौरान सिर्फ़ 3 शिक्षकों की मौत कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण हुई है। सरकार ने शिक्षक संगठनों को दिए जवाब में यह बात कही है। 

प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन की ओर से ऐसे टीचर्स, प्रशिक्षकों, शिक्षा मित्र और कर्मचारियों की सूची जारी की गई है जिनकी मौत पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से संक्रमित होने के कारण हुई है। इनका कुल आंकड़ा 1,621 बताया गया है। इनमें राज्य के सभी 75 जिलों के लोग शामिल हैं। 

राज्य सरकार की बेसिक शिक्षा परिषद का कहना है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी का वक़्त सिर्फ़ उतना ही माना जाता है जब कोई कर्मचारी चुनाव के काम के लिए निकलता है, ट्रेनिंग में जाता है और काम ख़त्म होने के बाद अपने घर चला जाता है। परिषद का कहना है कि इसलिए इस टाइमिंग के हिसाब से पंचायत चुनाव में सिर्फ़ 3 शिक्षकों की मौत हुई है। 

शिक्षक संगठन ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान पंचायत चुनाव कराने के राज्य सरकार के फ़ैसले पर भी सवाल उठाया है। संगठन ने कहा है कि इन चुनावों को कोरोना संक्रमण के ख़तरे के मद्देनज़र टाला जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया और संक्रमण की चपेट में आने से बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ी। 
 
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते मंगलवार को कहा था कि पंचायत चुनाव के दौरान जो लोग पोलिंग अफ़सर बने थे और उनकी मौत कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई थी, ऐसे लोगों को उत्तर प्रदेश सरकार कम से कम 1 करोड़ रुपये की राशि दे। अदालत ने कहा था कि प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे लोगों के लिए तय की गई 30 लाख रुपये की राशि बेहद कम है। 

इस मामले में टीचर्स की ओर से अदालत में पेश हुए वकील ने भी दलील दी थी कि सरकार द्वारा तय की गई यह रकम बहुत कम है। इसके अलावा शिक्षक संगठन ने मारे गए लोगों के परिवार को नौकरी देने की मांग राज्य सरकार से की थी। 
 
अप्रैल के महीने में जब देश में संक्रमण चरम पर था, उत्तर प्रदेश में पंचायत के चुनाव कराए जा रहे थे। सोशल मीडिया पर इसके ख़िलाफ़ लोगों ने आवाज़ भी उठाई और कहा कि ऐसा क़दम हज़ारों जिंदगियों को मौत के मुंह में धकेलने जैसा है। क्योंकि चुनाव के दौरान तमाम प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में जुटने वाली भीड़ और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न होने का डर सभी को था। ऐसा ही हुआ और आज नतीजा सामने है कि गांवों के क्या हालात हैं। 

 

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