अहमदाबाद के ‘लापता’ बिजनेसमैन महेश शाह अचानक एक टीवी स्टूडियो में पेश हुए। उन्होंने उन लोगों के नाम खुलासा करने की चेतावनी दे डाली जिन्होंने सरकार की आय घोषणा स्कीम (आईडीएस) का फायदा उठा कर अपनी आय का खुलासा करने के लिए उन्हें कवर के तौर पर इस्तेमाल किया था।
गुजरात के एक क्षेत्रीय टीवी चैनल पर शनिवार को लोगों को एक दिलचस्प ड्रामा देखने को मिला। आईडीएस के तहत 13,860 करोड़ रुपये का खुलासा कर गायब हो चुके अहमदाबाद के रियल एस्टेट कारोबारी महेश शाह अचानक चैनल के स्टूडियो में अवतरित हो गए और चौंकाने वाला दावा किया कि जिस भारी-भरकम रकम का उन्होंने खुलासा किया था, वह उनकी नहीं है।
उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सामने उन्होंने 13860 करोड़ रुपये का जो खुलासा किया है वह कुछ नौकरशाहों और कारोबारियों का है। यह कैश उन्होंने महेश शाह को इस शर्त पर दिया था कि इस ‘सेवा’ के बदले उन्हें मोटा कमीशन दिया जाएगा। शाह ने कहा कि वह उन लोगों के नामों का खुलासा करेंगे जो इस तरह मेरी आड़ में रकम जमा कर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बचना चाह रहे थे।
शाह का कहना था कि अपने नाम पर दूसरों की रकम का खुलासा करना गैरकानूनी है लेकिन उन्होंने यह काम कुछ मजबूरियों और मोटे कमीशन के लालच में किया था।
शाह ने कहा कि उन्होंने जिन लोगों के पैसों का खुलासा आईडीएस के तहत किया था वे ऐन वक्त पर पीछे हट गए। लिहाजा 13,860 करोड़ रुपये पर आईडीएस नियम के तहत बनने वाले टैक्स की पहली किस्त जमा करने में वह नाकाम रहे।
चैनल पर एक घंटे के इंटरव्यू के दौरान महेश शाह ने कहा कि उन्हें जान का खतरा था इसलिए उन्होंने इस बात का खुलासा चैनल के स्टूडियो में किया। महेश शाह ने कहा कि पिछले दस दिनों से वह मुंबई में थे और वहां से वह सीधे अहमदाबाद आए हैं।
यह ड्रामा उस वक्त क्लाइमेक्स पर पहुंच गया जब न्यूज चैनल के टेलीफोन कॉल पर पुलिस इनकम टैक्स अफसरों के साथ स्टूडियो पहुंच गई और शाह को लाइव ही हिरासत में ले लिया।
आखिर महेश शाह को कमीशन देने का वादा करने वाले ब्यूरोक्रेट्स और राजनीतिक नेता पीछे क्यों हो गए। इसकी वजह पीएम मोदी की ओर से बड़े नोटों को बंद करने का ऐलान हो सकती है। मोदी सरकार की पहली आईडीएस के तहत 30 सितंबर तक अघोषित आय के खुलासे की डेडलाइन थी। इसके बाद 8 नवंबर को पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया। लेकिन इस ऐलान के बावजूद जितनी उम्मीद थी उतना काला धन सरकार के पास नहीं आया। मजबूर होकर सरकार ने एक और ऐलान किया कि 50 फीसदी कटौती के बाद लोग अपनी अघोषित आय अपने पास रख सकते हैं। शायद यही वजह है कि शाह को कमीशन का वादा करने वालों का मन बदल गया होगा।
गुजरात के एक क्षेत्रीय टीवी चैनल पर शनिवार को लोगों को एक दिलचस्प ड्रामा देखने को मिला। आईडीएस के तहत 13,860 करोड़ रुपये का खुलासा कर गायब हो चुके अहमदाबाद के रियल एस्टेट कारोबारी महेश शाह अचानक चैनल के स्टूडियो में अवतरित हो गए और चौंकाने वाला दावा किया कि जिस भारी-भरकम रकम का उन्होंने खुलासा किया था, वह उनकी नहीं है।
उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सामने उन्होंने 13860 करोड़ रुपये का जो खुलासा किया है वह कुछ नौकरशाहों और कारोबारियों का है। यह कैश उन्होंने महेश शाह को इस शर्त पर दिया था कि इस ‘सेवा’ के बदले उन्हें मोटा कमीशन दिया जाएगा। शाह ने कहा कि वह उन लोगों के नामों का खुलासा करेंगे जो इस तरह मेरी आड़ में रकम जमा कर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बचना चाह रहे थे।
शाह का कहना था कि अपने नाम पर दूसरों की रकम का खुलासा करना गैरकानूनी है लेकिन उन्होंने यह काम कुछ मजबूरियों और मोटे कमीशन के लालच में किया था।
शाह ने कहा कि उन्होंने जिन लोगों के पैसों का खुलासा आईडीएस के तहत किया था वे ऐन वक्त पर पीछे हट गए। लिहाजा 13,860 करोड़ रुपये पर आईडीएस नियम के तहत बनने वाले टैक्स की पहली किस्त जमा करने में वह नाकाम रहे।
चैनल पर एक घंटे के इंटरव्यू के दौरान महेश शाह ने कहा कि उन्हें जान का खतरा था इसलिए उन्होंने इस बात का खुलासा चैनल के स्टूडियो में किया। महेश शाह ने कहा कि पिछले दस दिनों से वह मुंबई में थे और वहां से वह सीधे अहमदाबाद आए हैं।
यह ड्रामा उस वक्त क्लाइमेक्स पर पहुंच गया जब न्यूज चैनल के टेलीफोन कॉल पर पुलिस इनकम टैक्स अफसरों के साथ स्टूडियो पहुंच गई और शाह को लाइव ही हिरासत में ले लिया।
आखिर महेश शाह को कमीशन देने का वादा करने वाले ब्यूरोक्रेट्स और राजनीतिक नेता पीछे क्यों हो गए। इसकी वजह पीएम मोदी की ओर से बड़े नोटों को बंद करने का ऐलान हो सकती है। मोदी सरकार की पहली आईडीएस के तहत 30 सितंबर तक अघोषित आय के खुलासे की डेडलाइन थी। इसके बाद 8 नवंबर को पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया। लेकिन इस ऐलान के बावजूद जितनी उम्मीद थी उतना काला धन सरकार के पास नहीं आया। मजबूर होकर सरकार ने एक और ऐलान किया कि 50 फीसदी कटौती के बाद लोग अपनी अघोषित आय अपने पास रख सकते हैं। शायद यही वजह है कि शाह को कमीशन का वादा करने वालों का मन बदल गया होगा।