सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने की कोशिश- रिहाई मंच

Written by Sabrang India Staff | Published on: August 29, 2018
रिहाई मंच ने मानवाधिकार और लोकतांत्रिक अधिकारों के जाने-माने पैरोकारों के घरों पर हुई छापेमारी और उनकी गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए तत्काल रिहाई की मांग की।



मंच ने सुधा भारद्ववाज, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा, वेराॅन गोंजाल्विस, आनंद तेलतुंबडे, वरवर राव, फादर स्टेन स्वामी, सुसान अब्राहम, क्रांति और नसीम जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं पर इस हमले को अघोषित आपातकाल कहा।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि मोदी जब भी राजनीतिक रुप से फंसते हैं उनकी जानपर खतरे का हौव्वा खड़ा हो जाता है- कभी इशरत जहां को मार दिया जाता है तो आज मानवाधिकार-लोकतांत्रिक अधिकारवादी नेताओं, वकीलों और षिक्षाविदों की गिरफ्तारी हो रही है। अच्छे दिनों के नाम पर जिस मध्यवर्ग को वोट बैंक बनाया गया सरकार उसे कुछ भी दे पाने में विफल रही। इस असफलता को छुपाने के लिए ‘अरबन नक्सली‘ की झूठी कहानी गढ़ी गई है।

उन्होने कहा कि सुधा भारद्वाज का बस इतना जुर्म है कि वो आदिवासी जनता के हक-हुकूक की बात करती हैं तो वहीं गौतम नवलखा सरकारी दमन की मुखालफत करते हैं। तो वहीं आनंद तेलतुबंडे बाबा साहेब के विचारों को एक राजनीतिक षिक्षाविद के रुप में काम करते हैं। दरअसल सच्चाई तो यह है कि छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में चुनाव होने को हैं और जनता भाजपा के खिलाफ है। ऐसे में जनता की लड़ाई लड़ने वालों की गिरफ्तारी सरकार की खुली धमकी है।

मुहम्मद शुऐब कहते हैं कि सनातन संस्था की उजागर हुई आतंकी गतिविधियों से ध्यान बंटाने की यह आपराधिक कोषिष है जिसकी कमान मोदी-षाह के हाथ में है। एक तरफ पंसारे, कलबुर्गी, दाभोलकर, लंकेष की सनातन संस्था हत्या कर रही है दूसरी ओर मोदी पर हमले के नाम पर इस तरह की गिरफ्तारियां साफ करती हैं कि जो तर्क करेगा वो मारा जाएगा या उसे जेल में सड़ाया जाएगा।

रिहाई मंच ने कहा कि यह कार्रवाई असंतोष की आवाजों को दबाने और सामाजिक न्याय के सवाल को पीछे ढकेलने की सिलसिलेवार कोषिष का चरम हिस्सा है। भीमा कोरेगांव मामले को माओवाद से जोड़ा जा रहा है और उसके मुख्य अभियुक्त संभाजी भिडे को संरक्षण दिया जा रहा है। यह मोदी की दलित विरोधी नीति नया पैतरा है।

उन्होंने कहा कि मीडिया के एक हिस्से ने जेएनयू को बदनाम किया और उसके छात्र उमर को बार-बार देषद्रोही बताकर उस पर जानलेवा हमले की जमीन तैयार की। ठीक इसी तरह कुछ दिनों पहले सुधा भारद्वाज को देष विरोधी घोषित करने की कोषिष हुई। जिसका उन्होंने खुलआम विरोध भी किया। आज हुई गिरफ्तारी के बाद उन्हें तब तक कोर्ट नहीं ले जाया गया जब तक रिपब्लिक टीवी के नुमाइंदे नहीं पहुंच गए।

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