दिल्ली पुलिस ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डॉ. जफरुल इस्लाम खान के घर पर मारा छापा

Written by sabrang india | Published on: May 7, 2020
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने छह मई को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डॉ. जफरुल इस्लाम खान के घर पर छापेमारी की। एक सप्ताह पहले डॉ. के ऊपर राजद्रोह का मामला लगाया गया था। 



इससे पहले पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 ए (धर्म, जाति, स्थान या जन्म, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) किया गया था। एक एफआईआर के बाद उनके खिलाफ यह मामले दर्ज किए गए थे। 

6 मई की शाम पुलिस उनके घर के दरवाजे पर पहुंची। उनकी वकील वृंदा ग्रोवर ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लेकर एक बयान जारी करते हुए कहा कि उनकी कार्रवाई एक वरिष्ठ नागरिक के खिलाफ हैं और कानून उन्हें पुलिस स्टेशन में बुलाने की अनुमति नहीं देता है। 

बयान में ग्रोवर ने कहा, आपकी सूचित किया जाता है कि डॉ. जफरुल इस्लाम खान एक 72 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक हैं और वह वृद्धावस्था में कई शारीरिक बीमारियों से जूझ रहे हैं जो उन्हें कोविड 19 महामारी के लिए बेहद असुरक्षित बनाती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 160 के अनुसार कानून यह बताता है कि पुलिस 65 वर्ष से अधिक आयुक के व्यक्ति को जांच और पूछताछ के उद्देश्य से अपने निवास  या किसी भी स्थान पर से उपस्थित होने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है। 

उन्होंने कहा कि आवश्यक है तो डॉ. जफरुल इस्लाम खान से पूछताछ केवल उनके निवास स्थान पर की जा सकती है और उन्हें किसी भी पुलिस स्टेशन में जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। 

ग्रोवर ने कहा कि जफ़रुल-इस्लाम खान की वकील के रूप में मैं इस बात को रिकॉर्ड में रखता हूं कि कानून के अनुसार आप उन्हें पुलिस स्टेशन जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। वृंदा ग्रोवर ने पुलिस को बताया कि मेरे ग्राहक के अधिकारों के खिलाफ सीआरपीसी और अवैध पुलिस कार्रवाई का उल्लंघन होगा। मेरे क्लाइंट के अधिकारों के खिलाफ कार्रवाई सीआरपीसी का उल्लंघन होगा। 

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डॉ. जफरुल इस्लाम खान विश्व प्रसिद्ध विद्वान, पत्रकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्हें दुनियाभर में एक प्रतिष्ठित मुस्लिम विद्वान के रूप में जाना जाता है जिन्होंने सबसे पहले इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया और अन्य  के द्वारा मानव अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठायी थी। 

डॉ. खान के साथ एकजुटता दिखाते कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली में अल्पसंख्यंकों की समस्याओं में उनके हस्तक्षेप ने उन्हें न केवल मुसलमानों बल्कि सिखों, ईसाइयों, जैन और पारसियों के बीच एक सम्मानजक व्यक्ति बनाया है। 

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