बेगूसराय। पीएम मोदी के 500 और हजार के नोट बंद किए जाने के बाद कई लोगों की जान चली गई वहीं बिहार के बेगुसराय जिले में 500 और 1000 के नोट बंद हो जाने की वजह से बलात्कार की शिकार हुई एक बच्ची को उसका परिवार अस्पताल जाने के लिए घंटों भटकता रहा, लेकिन चेंज पैसे न होने की वजह से कोई भी एंबुलेंस उनकी बच्ची को अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस घटना ने मोदी सरकार पर नोट बंद करने के फैसले को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मामला बेगूसराय के फुलवाड़िया का है जहां एक पांच साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर बलात्कार के बाद पीड़िता को सदर अस्पताल में दाखिल कराया गया, लेकिन वहां से उसे पटना मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। रेफर करने के बाद परिवार एंबुलेंस की तलाश करने लगा लेकिन मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोट पर बैन लगाने की वजह से कोई भी एंबुलेंस उन्हें ले जाने को तैयार नहीं हुआ। जिसके बाद रेप पीड़िता का परिवार एंबुलेंस के लिेए घंटों तक संघर्ष करता रहा।
मीडिया खबरों के अनुसार जब परिवार ने ड्राइवर से जाने के लिए कहा तो उसने 500 और 1000 के नोट पर बैन का हवाला देकर जाने से मना कर दिया। रेप पीड़िता काफी देर तक तड़पती रही लेकिन कोई भी उसे अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ।
ड्राइवर के इस क्रूर रवैये के बाद परेशान परिजनों ने छोटी राशि के नोटों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। इस बीच जब उन्होंने ड्राइवर को चलने के लिए कहा तो वह न जाने के लिए बहाने लगाने लगा। बताया जा रहा है कि बच्ची की इस हालत के बावजूद सदर अस्पताल की ओर से उसके लिए एंबुलेंस का इंतजाम नहीं किया गया। इस तरह की घटना होने के बाद प्रशासन के झूठे वादों की असलियत सामने आ गई है।
Courtesy:National Dastak
मामला बेगूसराय के फुलवाड़िया का है जहां एक पांच साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर बलात्कार के बाद पीड़िता को सदर अस्पताल में दाखिल कराया गया, लेकिन वहां से उसे पटना मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। रेफर करने के बाद परिवार एंबुलेंस की तलाश करने लगा लेकिन मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोट पर बैन लगाने की वजह से कोई भी एंबुलेंस उन्हें ले जाने को तैयार नहीं हुआ। जिसके बाद रेप पीड़िता का परिवार एंबुलेंस के लिेए घंटों तक संघर्ष करता रहा।
मीडिया खबरों के अनुसार जब परिवार ने ड्राइवर से जाने के लिए कहा तो उसने 500 और 1000 के नोट पर बैन का हवाला देकर जाने से मना कर दिया। रेप पीड़िता काफी देर तक तड़पती रही लेकिन कोई भी उसे अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ।
ड्राइवर के इस क्रूर रवैये के बाद परेशान परिजनों ने छोटी राशि के नोटों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। इस बीच जब उन्होंने ड्राइवर को चलने के लिए कहा तो वह न जाने के लिए बहाने लगाने लगा। बताया जा रहा है कि बच्ची की इस हालत के बावजूद सदर अस्पताल की ओर से उसके लिए एंबुलेंस का इंतजाम नहीं किया गया। इस तरह की घटना होने के बाद प्रशासन के झूठे वादों की असलियत सामने आ गई है।
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