SIR : केरल और राजस्थान में बीएलओ ने कथित तौर पर आत्महत्या की

Written by sabrang india | Published on: November 19, 2025
केरल और राजस्थान में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े अत्यधिक कार्यभार के दबाव में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में तैनात दो लोगों ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। इससे पहले बिहार में चल रहे एसआईआर के दौरान भी आरा के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक और बीएलओ की कार्डियक अरेस्ट से मृत्यु हो चुकी है।


साभार : इंडिया टुडे (फाइल फोटो)

केरल और राजस्थान में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के तौर पर कार्यरत दो लोगों ने, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़े अत्यधिक कार्यभार के कथित दबाव में, आत्महत्या कर ली।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केरल के कन्नूर में 44 वर्षीय स्कूल कार्यालय सहायक अनीश जॉर्ज रविवार, 16 नवंबर को अपने घर में मृत पाए गए। उनके परिवार का कहना है कि जॉर्ज अपने बूथ पर गणना कार्य की तय समयसीमा पूरी करने के दबाव में थे।

हालांकि, कन्नूर जिला प्रशासन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस दावे को खारिज किया है। प्रशासन का कहना है कि किसी भी स्तर पर जॉर्ज पर कोई विशेष लक्ष्य, दबाव या समयसीमा नहीं थोपे गए थे।

बताया गया कि जॉर्ज को कन्नूर जिले के पय्यान्नूर तालुका के 18वें बूथ पर नियुक्त किया गया था। लेकिन अखबार ने उनके एक मित्र के हवाले से लिखा है कि जॉर्ज उस क्षेत्र से परिचित नहीं थे, जिसके कारण उन्हें गणना फॉर्म वितरित करने में कठिनाई हो रही थी।

एक अन्य मित्र ने अखबार को बताया कि जॉर्ज ने राजनीतिक दलों के बूथ-स्तरीय एजेंटों से भी सहायता मांगी थी, लेकिन उन्हें वहां से कोई मदद नहीं मिली।

प्रशासन के अनुसार, 18वें बूथ पर कुल 1,065 गणना फॉर्म में से 825 पहले ही वितरित किए जा चुके थे, जबकि शुरुआत में पोर्टल पर 240 फॉर्म लंबित दिख रहे थे। 15 नवंबर की सुबह यह जानकारी तब अपडेट हुई जब निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने पुष्टि की कि वास्तव में केवल 50 फॉर्म ही वितरण के लिए शेष थे। बाकी फॉर्म पहले ही बांटे जा चुके थे, लेकिन उनकी डिजिटल एंट्री अपडेट नहीं हुई थी।

एसआईआर के काम और बीएलओ की मृत्यु के बीच कोई संबंध नहीं: प्रशासन

प्रशासन ने कहा, “16 नवंबर 2025 को सुबह 8 बजे तक ईएफ वितरण में जिले की प्रगति 87.28% थी, जबकि राज्य का औसत 91.26% था। पय्यानूर निर्वाचन क्षेत्र ने 84.03% प्रगति दर्ज की थी। बीएलओ की प्रगति भी इसी के अनुरूप थी, जिसमें लगभग 22.54% कार्य बचा था। किसी भी स्तर पर उन्हें कोई विशेष लक्ष्य, दबाव या समयसीमा नहीं दी गई थी।”

द वायर के अनुसार, बयान में कहा गया है, “पुलिस और प्रशासनिक जांच से उपलब्ध वर्तमान जानकारी के आधार पर एसआईआर से संबंधित कर्तव्यों और बीएलओ की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं हुआ है। आगे की जांच लंबित रहने तक आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं है।”

मातृभूमि की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रतन यू. केलकर ने कहा कि मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया आमतौर पर 31 दिनों में पूरी हो जाती है और अब तक अत्यधिक दबाव से जुड़ी कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है।

इस बीच, कंकोल–अलप्पादम्बा पंचायत (जहां जॉर्ज रहते थे) के प्रमुख ने भी प्रशासन के दावे को खारिज किया है। पंचायत अध्यक्ष एम.वी. सुनील कुमार ने द हिंदू को बताया कि जॉर्ज वास्तव में “अत्यधिक दबाव” में थे।

उन्होंने कहा कि जॉर्ज ने कई बार अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कहा था कि वे “सौंपी गई जिम्मेदारियां पूरी करने में सक्षम नहीं हैं”, लेकिन फिर भी अधिकारियों ने उन पर काम पूरा करने का दबाव बनाया।

राजस्थान

राजस्थान के नाहरी का बास क्षेत्र से भी एक समान घटना सामने आई, जहां 45 वर्षीय मुकेश जांगिड़—जो सरकारी स्कूल में शिक्षक और बीएलओ थे—ने रविवार को कथित रूप से आत्महत्या कर ली।

बिंदायका एसएचओ विनोद वर्मा के अनुसार, मुकेश जांगिड़ ने बिंदायका रेलवे क्रॉसिंग के पास कथित तौर पर ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जांगिड़ के भाई गजानंद ने दावा किया है कि उन्हें उनके भाई का एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें कथित रूप से लिखा था कि वह एसआईआर की ड्यूटी के कारण तनाव में थे। उनके सुपरवाइज़र लगातार उन पर दबाव डाल रहे थे और निलंबन की धमकी भी दे रहे थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जांगिड़ जयपुर जिले के कालवाड़ के निवासी थे और उन्हें बीएलओ (निजी रोजगार सेवक) के रूप में शहर के जोतवाड़ा क्षेत्र में तैनात किया गया था।

जांगिड़ की मौत ने शिक्षक समुदाय में चिंता बढ़ा दी है। शिक्षकों का कहना है कि चल रही एसआईआर प्रक्रिया के दौरान क्षेत्रीय अधिकारी उन पर लगातार बढ़ता दबाव डाल रहे हैं।

पीटीआई के अनुसार, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि राज्य, जिला और उपखंड स्तर पर एसआईआर रैंकिंग में शीर्ष पर आने की होड़ के कारण बीएलओ पर अत्यधिक दबाव बढ़ रहा है।

शर्मा ने बताया कि संघ मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेगा, जिसमें मांग की जाएगी कि अधिकारी बीएलओ पर अनुचित दबाव न डालें—खासकर ऐसे समय में जब अर्धवार्षिक स्कूली परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं।

बिहार

गौरतलब है कि इससे पहले बिहार में एसआईआर के दौरान आरा के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक और बीएलओ सुपरवाइज़र राजेंद्र प्रसाद की 27 अगस्त को कार्डियक अरेस्ट से मृत्यु हो गई थी।

परिजनों का कहना था कि सेवानिवृत्ति में केवल चार महीने बचे थे, लेकिन एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बढ़ते काम और अधिकारियों के दबाव ने उन्हें बेहद परेशान कर दिया था—और यही स्थिति उनकी मृत्यु का कारण बनी।

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