बिहार की अंतिम मतदाता सूची में SIR के आखिर में 7.42 करोड़ मतदाता

Written by sabrang india | Published on: October 1, 2025
21.53 लाख नाम जोड़े गए, 3.66 लाख हटाए गए। संशोधन से पहले 24 जून तक 7.89 करोड़ मतदाता थे, वहीं 1 अगस्त की मसौदा सूची में 7.24 करोड़ नाम थे।


साभार : द हिंदू

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मंगलवार को राज्य में अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी, जिसमें विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कार्य पूरा होने के बाद लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं।

विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले, 24 जून 2025 तक राज्य में 7.89 करोड़ मतदाता थे। 1 अगस्त 2025 को जब मसौदा सूची जारी की गई, तब इसमें 7.24 करोड़ नाम थे और 65 लाख नाम हटाए गए थे। आयोग की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अंतिम सूची में 21.53 लाख नाम जोड़े गए और 3.66 लाख नाम हटाए गए।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार के मतदाताओं, अधिकारियों, बूथ-स्तरीय एजेंटों और राजनीतिक दलों के नेताओं को 22 वर्षों के अंतराल के बाद राज्य में विशेष पुनरीक्षण कार्य पूरा होने पर धन्यवाद दिया।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, चुनाव आयोग ने मंगलवार को राज्य में अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी, जिसमें विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य पूरा होने के बाद लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं।

विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले, 24 जून 2025 तक राज्य में 7.89 करोड़ मतदाता थे। 1 अगस्त 2025 को जब मसौदा सूची जारी की गई, तब इसमें 7.24 करोड़ नाम थे और 65 लाख नाम हटाए गए थे। आयोग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अंतिम सूची में 21.53 लाख नाम जोड़े गए और 3.66 लाख नाम हटाए गए।

बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा कि मतदाता voters.eci.gov.in/download-eroll पर अपना विवरण देख सकते हैं।


Courtesy : Indian Express

निर्वाचन आयोग के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने एक बयान में कहा, "यदि कोई पात्र व्यक्ति अभी भी मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने के लिए आवेदन करना चाहता है, तो वह चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक आवेदन कर सकता है।"

सिंह ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के संबंध में निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के अंतर्गत जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रथम अपील और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष द्वितीय अपील दायर कर सकता है।

सिंह ने बताया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) और जिला, निर्वाचन क्षेत्र और ब्लॉक स्तर के निर्वाचन अधिकारियों ने पात्र मतदाताओं की पहचान करने के उद्देश्य से राजनीतिक दलों के साथ बूथ स्तर पर उन मतदाताओं की सूचियां साझा की हैं, जिनकी मृत्यु हो गई है, जिनके गणना प्रपत्र प्राप्त नहीं हुए हैं, जो स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं या जिनका पता नहीं लगाया जा सका है। मसौदा मतदाता सूची सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई, जबकि मसौदा सूची में शामिल न किए गए नामों की सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों और जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा, साथ ही बिहार मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी प्रकाशित की गई।

उन्होंने कहा कि एसआईआर संविधान के अनुच्छेद 326 और आयोग के आदर्श वाक्य — "कोई भी पात्र मतदाता छूटने न पाए और कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो" — के अनुरूप किया गया।

सिंह ने बयान में कहा, "यह व्यापक प्रक्रिया बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, सभी 38 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों, 243 निर्वाचक निबंधन अधिकारियों, 2,976 सहायक निर्वाचक निबंधन अधिकारियों, लगभग 1 लाख बूथ-स्तरीय अधिकारियों, लाखों स्वयंसेवकों और सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों, जिनमें उनके जिला अध्यक्ष और उनके द्वारा नियुक्त 1.6 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंट शामिल हैं, की पूरी भागीदारी से सफल हुई।"

विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि बूथ-स्तर के एजेंटों और पंचायत प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा करने के बाद पार्टी एसआईआर के पूरा होने पर अपना आधिकारिक बयान देगी।

उधर बिहार के सत्तारूढ़ दलों ने अंतिम मतदाता सूची का स्वागत किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, "हम बिहार की अंतिम मतदाता सूची का स्वागत करते हैं, क्योंकि SIR सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। यह निश्चित रूप से लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है और चुनावों में पारदर्शिता बढ़ाएगा।"

जनता दल (यू) के विधान पार्षद और प्रवक्ता नीरज कुमार ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए विपक्ष की आलोचना की। उन्होंने कहा, "विपक्षी दल 'वोट चोरी' का नारा लगाकर चुनाव आयोग पर उंगली उठा रहे थे और अब अंतिम सूची प्रकाशित हो गई है, जिसमें 21 लाख से ज्यादा नाम जोड़े गए हैं। बिहार में सबसे ज्यादा आबादी हाशिए पर पड़े तबकों की है और उनके नाम जोड़े गए हैं। अब विपक्ष बेनकाब हो गया है।"

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