न्याय की दस साल लंबी लड़ाई के बाद मिली जीत, अब संगीता बनेगी पुलिस कांस्टेबल

Written by sabrang india | Published on: September 10, 2025
साल 2015 में "गैर-स्थानीय" बताकर जिस महिला को कांस्टेबल बनने से रिजेक्ट किया था, अब तेलंगाना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार की अपील खारिज कर नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया।



तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में दलित महिला के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि उसे पुलिस कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नियुक्ति अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण और स्थानीय कोटे के अंतर्गत होनी चाहिए।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला हैदराबाद के गौलीगुड़ा इलाके की रहने वाली के. संगीता का है, जिन्होंने वर्ष 2015 में स्टाइपेंडरी कैडेट ट्रेनी सिविल पुलिस कांस्टेबल और आर्म्ड रिजर्व कांस्टेबल के पदों के लिए आवेदन किया था। सभी चयन प्रक्रियाएं पूरी करने के बावजूद उन्हें नियुक्ति से यह कहकर वंचित कर दिया गया कि वह 'गैर-स्थानीय उम्मीदवार' हैं। इस निर्णय ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया।

भर्ती बोर्ड के इस फैसले से निराश होने के बजाय, संगीता ने न्याय की तलाश में कानूनी राह चुनी। उन्होंने 2017 में तेलंगाना हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इस निर्णय को चुनौती दी।

लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, मार्च 2025 में तेलंगाना हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने संगीता के पक्ष में निर्णय सुनाया। अदालत ने स्पष्ट रूप से माना कि संगीता अनुसूचित जाति आरक्षण और स्थानीय कोटे के तहत नियुक्ति की पात्र हैं। हालांकि, उनकी लड़ाई यहीं समाप्त नहीं हुई। राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड ने इस फैसले को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष अपील दाखिल कर दी।

सोमवार को तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति जी.एम. मोहिउद्दीन की खंडपीठ ने इस मामले में अंतिम सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और भर्ती बोर्ड द्वारा दायर सभी अपीलों को खारिज कर दिया। अदालत ने एकल-न्यायाधीश पीठ के पूर्व निर्णय को उचित ठहराते हुए संगीता की नियुक्ति का मार्ग पूरी तरह प्रशस्त कर दिया है। इस ऐतिहासिक फैसले के साथ ही संगीता का पुलिस कांस्टेबल बनने का सपना अब पूरा होने जा रहा है।

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