पीसीआई व देश भर के पत्रकार संगठनों ने सरकार को पत्र लिखकर डीपीडीपी अधिनियम के प्रावधानों पर चिंता जाहिर की

Written by sabrang india | Published on: June 27, 2025
एक ज्वाइंट मेमोरेंडम में कहा गया कि यह पाया गया कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और (g) के तहत पत्रकारों को उनके काम के लिए दिए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।


फोटो साभार : पीटीआई

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने देश भर के 21 पत्रकार संगठनों और 1,000 से ज्यादा पत्रकारों एवं फोटो जर्नलिस्ट के साथ मिलकर डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 के प्रावधानों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने यह पाया है कि ये प्रावधान पत्रकारों के काम करने के मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने अन्य पत्रकार संगठनों और पत्रकारों के साथ मिलकर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में उनसे रिक्वेस्ट किया गया है कि प्रिंट, ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत पत्रकारों के पेशेवर कार्य को डीपीडीपी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जाए। यह जानकारी पीसीआई ने 25 जून को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।

प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया कि ज्ञापन में जाहिर की गई चिंताओं को पीसीआई ने कानूनी विशेषज्ञों और पर्सनल डेटा एक्स्पर्ट के साथ मिलकर, अधिनियम की विभिन्न परिभाषाओं और प्रावधानों का गहन अध्ययन करने के बाद तैयार किया है। अध्ययन में यह पाया गया कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 19(1)(g) के तहत पत्रकारों को प्राप्त काम करने के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

ज्ञापन में देश के विभिन्न राज्यों में स्थित 22 पत्रकार संगठनों ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि मंत्रालय ने पत्रकारिता से जुड़े कार्यों को डीपीडीपी अधिनियम के दायरे में लाने का निर्णय लिया, जबकि विधेयक के ड्राफ्टिंग के समय इन्हें इसके बाहर रखा गया था।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) के अध्यक्ष गौतम लाहिरी और महासचिव नीरज ठाकुर ने यह संयुक्त ज्ञापन इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री को संबोधित करते हुए प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी), नई दिल्ली में प्रधान महानिदेशक धीरेंद्र ओझा के माध्यम से सौंपा।

लाहिरी ने कहा, "हमने कल प्रधान महानिदेशक (पीडीजी) के माध्यम से ज्ञापन सौंपा और मंत्री से स्पष्टीकरण के लिए मुलाकात का समय मांगा। पीडीजी कार्यालय ने पुष्टि की है कि ज्ञापन मंत्री के कार्यालय को भेज दिया गया है। पीडीजी ने हमें आश्वासन दिया है कि वह हमारी मुलाकात का मैसेज मंत्री तक पहुंचाएंगे। हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि माननीय मंत्री हमारी बात सुनेंगे, पत्रकारों के पेशेवर कार्य को इस अधिनियम के दायरे से बाहर रखने की हमारी अपील पर विचार करेंगे और जो संदेह हैं उन्हें दूर करेंगे।"

यह ज्ञापन प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) द्वारा मई 2025 में शुरू किए गए एक हस्ताक्षर अभियान का हिस्सा है। इस अभियान का उद्देश्य मंत्रालय पर दबाव बनाना है ताकि वह अधिनियम में जरूरी बदलाव करे, जिससे यह प्रिंट, ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत रिपोर्टरों और फोटो पत्रकारों के काम में बाधा न बने।

इस अभियान का समर्थन करने वाले 22 पत्रकार संगठन हैं, जिनमें शामिल हैं: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, प्रेस क्लब हैदराबाद, स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, इंडियन वूमेन्स प्रेस कॉर्प्स, प्रेस एसोसिएशन, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, वर्किंग न्यूज कैमरामेन एसोसिएशन, मुंबई प्रेस क्लब, प्रेस क्लब जम्मू, केरल प्रेस क्लब, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, प्रेस क्लब कोलकाता, प्रेस क्लब बेंगलुरु, गुवाहाटी प्रेस क्लब, शिलांग प्रेस क्लब, चेन्नई प्रेस क्लब, पिंक सिटी प्रेस क्लब जयपुर, चंडीगढ़ प्रेस क्लब, प्रेस क्लब त्रिवेंद्रम (तिरुवनंतपुरम), अरुणाचल प्रेस क्लब ईटानगर और अगरतला प्रेस क्लब।

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