केरल : ‘हिंदू-मुस्लिम’ व्हाट्सएप ग्रुप विवाद में फंसे आईएएस अधिकारी को निलंबित किया गया

Written by sabrang india | Published on: November 12, 2024
केरल के आईएएस अधिकारियों के बीच विवाद सार्वजनिक होने पर सरकार ने अधिकारी को निलंबित कर दिया।


उद्योग एवं वाणिज्य निदेशक के गोपालकृष्णन। (स्रोत: केरल औद्योगिक संवर्धन ब्यूरो)

केरल सरकार ने सोमवार को दो आईएएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया जो हाल ही में विवादों के केंद्र में रहे हैं। इन अधिकारियों में केरल उद्योग और वाणिज्य निदेशक के गोपालकृष्णन और कृषि विभाग के विशेष सचिव एन प्रशांत शामिल हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2013 बैच के अधिकारी गोपालकृष्णन इस महीने “मल्लू हिंदू ऑफिसर्स” नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के बाद विवादों में घिर गए हैं। 2017 बैच के अधिकारी प्रशांत द्वारा पिछले तीन दिनों में सोशल मीडिया पर एक अन्य आईएएस अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट करने के बाद विवाद खड़ा हो गया था।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन की रिपोर्ट के आधार पर दोनों को निलंबित करने का फैसला लिया। इससे पहले राजस्व मंत्री के राजन ने कहा था कि सरकार “अधिकारियों को अपनी मर्जी से काम करने की अनुमति नहीं देगी… अधिकारियों को नियमों और प्रक्रिया के अनुसार काम करना होगा”।

“मल्लू हिंदू अधिकारी” ग्रुप 30 अक्टूबर को बनाया गया था और इसमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जो हिंदू थे उनको इसके सदस्य के रूप में जोड़ा गया था। इसके बनाने के कुछ ही घंटों के भीतर हटा दिया गया क्योंकि कई अधिकारियों ने इस तरह के ग्रुप को लेकर सवाल उठाया था। कुछ दिनों बाद, गोपालकृष्णन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनके फोन को हैक करने के बाद यह ग्रुप बनाया गया था और “मल्लू मुस्लिम अधिकारी” नामक एक ग्रुप सहित कई अन्य ग्रुप भी बनाए गए थे।

हालांकि, गोपालकृष्णन को निलंबित करने वाले आदेश में कहा गया है कि पुलिस जांच में पता चला है कि “ऐसा कोई सबूत नहीं है जो दर्शाता हो कि डिवाइस को हैक किया गया था” जैसा कि उन्होंने दावा किया था। आदेश में कहा गया है, “यह भी पता चला है कि अधिकारी (गोपालकृष्णन) ने अपने फोन को फोरेंसिक जांच के लिए जमा करने से पहले खुद ही मोबाइल फोन को बार-बार फैक्टरी रीसेट किया था।”

आदेश के अनुसार, सरकार का मानना है कि व्हाट्सएप ग्रुप का उद्देश्य "राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के बीच विभाजन को बढ़ावा देना, फूट डालना और एकजुटता को तोड़ना था। यह प्रथम दृष्टया राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के भीतर सांप्रदायिकता और गुटबंदी करने वाला भी पाया गया।"

प्रशांत का निलंबन तब हुआ जब उन्होंने सोशल मीडिया पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट किए, जिन्हें उन्होंने एक मलयालम दैनिक के लिए "स्पेशल रिपोर्टर" कहा, जिसने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी और जिस पर प्रशांत ने आपत्ति जताई थी।

प्रशांत की पोस्ट के लिए तत्काल कार्रवाई शुक्रवार को मलयालम दैनिक मथरूभूमि में प्रकाशित एक स्टोरी थी, जिसमें दावा किया गया कि 1991 बैच के आईएएस अधिकारी जयतिलक ने मुख्यमंत्री को उन्नत्ति (UNNATHI-एससी/एसटी कल्याण योजनाओं को व्यवस्थित करने के लिए राज्य सरकार की एजेंसी) में “फाइलें गायब” होने के बारे में एक रिपोर्ट सौंपी थी। उस समय प्रशांत एससी/एसटी विभाग में विशेष सचिव के रूप में कार्यरत थे।

बाद में फेसबुक पर चर्चा करते हुए, 2007 बैच के अधिकारी प्रशांत ने आरोप लगाया, “मथरूभूमि जो इलाके में जाने वाले अधिकारियों से परिचित नहीं है, उसने मेरे खिलाफ खबर चलाई है। हमेशा की तरह, अखबार ने मेरा पक्ष नहीं मांगा। मैं मथरूभूमि के विशेष संवाददाता डॉ. जयतिलक आईएएस के बारे में कुछ तथ्यों से जनता को अवगत कराने के लिए मजबूर हूं, जो मेरे खिलाफ रिपोर्ट तैयार करते हैं और अखबार के साथ साझा करते हैं।”

रविवार को प्रशांत फिर से जयतिलक के खिलाफ सामने आए और स्पाइस बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में जयतिलक के कार्यकाल के दौरान कथित अनियमितताओं के संबंध में उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच पर एक न्यूज रिपोर्ट साझा की।

प्रशांत के निलंबन आदेश में कहा गया है कि उनकी टिप्पणी "गंभीर अनुशासनहीनता जैसी है और इस तरह की टिप्पणी राज्य में प्रशासनिक मशीनरी की सार्वजनिक छवि को कमजोर करती है। इस टिप्पणी में प्रथम दृष्टया राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा में विभाजन और असंतोष पैदा करने जैसी चीजें है जो जनता की सेवा को भी प्रभावित कर सकती है।" इसमें कहा गया है कि यह टिप्पणी एक आईएएस अधिकारी के लिए "अनुचित" थी।

अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत ने कहा कि उनसे स्पष्टीकरण मांगे बिना कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा, "मैंने सरकार की आलोचना नहीं की है। मेरे खिलाफ फर्जी रिपोर्ट केवल ध्यान भटकाने के लिए मथरूभूमि में प्रकाशित की गई थी। इसके पीछे एक साजिश थी।"

गोपालकृष्णन ने अपने निलंबन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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