फेसबुक पर उपलब्ध सार्वजानिक तथ्यों के आंकलन पर बने इस रिपोर्ट से दो बात सामने आई है। पहला, भाजपा चुपके से सोशल मीडिया पर झूठ व साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और आदिवासी मुख्यमंत्री को पशु जैसे दर्शाने के लिए करोड़ों रूपए खर्च कर रही है एवं दूसरा, भाजपा अनेक शैडो पेज व अकाउंट बनाकर इसे अंजाम दे रही है।
फोटो साभार : सोशल मीडिया एक्स/ सीएम हेमंत सोरेन
विभिन्न शोध संस्थानों द्वारा 6 नवंबर को जारी रिपोर्ट ने भाजपा के नफरती एजेंडे और चुनाव आयोग के पक्षपात को फिर से उजागर कर दिया है। लोकतंत्र बचाओ अभियान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन शोध संस्थानों की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है।
अभियान ने इस विज्ञाप्ति में लिखा है कि फेसबुक पर उपलब्ध सार्वजानिक तथ्यों के आंकलन पर बने इस रिपोर्ट से दो बात सामने आई है। पहला, भाजपा चुपके से सोशल मीडिया पर झूठ व साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और आदिवासी मुख्यमंत्री को पशु जैसे दर्शाने के लिए करोड़ों रूपए खर्च कर रही है एवं दूसरा, भाजपा अनेक शैडो पेज व अकाउंट बनाकर इसे अंजाम दे रही है। शैडो अकाउंट उन्हें कहा जाता है जो किसी खास राजनैतिक दल का प्रचार व काम करते हैं लेकिन उन्हें दल द्वारा घोषित नहीं किया जाता है। ऐसे में लोकतंत्र बचाओ अभियान तुरंत इसके विरुद्ध कार्रवाई की मांग करता है।
शोध रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने पिछले तीन महीनों में फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापन पर 2.25 करोड़ रूपए खर्च किये हैं। इसमें से आधा पैसा भाजपा के अधिकारिक पेज द्वारा खर्च हुआ है जिस पर लगभग 3100 विज्ञापन डाले गएं जिन्हें लगभग 10 करोड़ बार (इंप्रेशन) देखा गया। वहीँ 87 लाख रुपये खर्च करके शैडो पेजेज के माध्यम से लगभग 15000 पेड विज्ञापन दिए गए जिसे लगभग 45 करोड़ बार देखा गया। शोध ने ऐसे 90 शैडो अकाउंट चिन्हित किये हैं जिनमे प्रमुख ‘Jharkhand Choupal’ व इससे जुड़े अन्य चौपाल नामक अकाउंट्स हैं।
भाजपा का अधिकारिक पेज राजनीतिक विज्ञापन डालता है लेकिन यह शैडो अकाउंट मुख्यतः हेमंत सोरेन सरकार और गठबंधन पार्टियों के विरुद्ध सांप्रदायिक और विभाजनकारी कंटेंट आधारित विज्ञापन डालते हैं। चार तरीके के विज्ञापन दिखाई दिए हैं – पहला, जिसमें मुसलमानों को दुश्मन की तरह दिखाया हो, दूसरा जिसमें सांप्रदायिक बातें दर्शाई हों, तीसरा जहां झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को सर पर सिंहों के साथ हैवान की तरह दर्शाया हो, और चौथा जहां 'घुसपैठियों' के मुद्दे को षड्यंत्र की तरह दिखाया गया हो। इन पोस्ट्स के माध्यम से लोगों को हेमंत सोरेन सरकार और INDIA गठबंधन दलों के विरुद्ध लोगों को उकसाया जाता है। राज्य भर में तकरीबन 90 ऐसे शैडो पेजेज़ काम कर रहे हैं जो भाजपा से 5 गुना ज़्यादा विज्ञापन डालते हैं और 4 गुना ज़्यादा ऑनलाइन इंप्रेशन बटोरते हैं। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
अकाउंट्स पर वायरल किए जा रहे सांप्रदायिक वीडियो का एक उदाहरण देखें तो इस वीडियो में भगवा कपड़े पहने लोगों के समूह को हिंदू दर्शाया गया है और हरे कपड़े पहने समूह को मुस्लिम दर्शाया गया है। हिन्दू समूह पहले मुस्लिम समूह से भागता है और फिर हिन्दू समूह इकट्ठा हो जाता है और मुस्लिम समूह के पीछे भागता है। इस तरह की वीडियो से यह दर्शाने की कोशिश गई है की हिन्दू अगर एक जुट हो जायेंगे तो मुसलामानों को ख़त्म कर सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि इन फेसबुक अकाउंट के पोस्ट्स में भाजपा का नाम या चुनाव चिन्ह नहीं रहता है। लेकिन इनके पोस्ट स्पष्ट दर्शाते हैं कि इनके तार भाजपा से जुड़े हैं। सारे पोस्ट पेड विज्ञापन हैं। मतलब इन्हें फ़ैलाने के लिए फेसबुक को पैसे दिए जा रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अकाउंट्स में वेरिफिकेशन के लिए दिए गए मोबाइल नंबर हमेशा स्विच ऑफ रहते हैं। शोध रिपोर्ट के अनुसार भाजपा की तुलना में दूसरे दलों का सोशल मीडिया पर पेड विज्ञापन न के बराबर है।
सर्वोच्च न्यायलय ने स्पष्ट आदेश दिया है कि सोशल मीडिया के प्रचार पर भी अचार संहिता और चुनावी नियम लागू होते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग ने भाजपा को शैडो पेज इस्तेमाल कर साम्प्रदायिकता और नफरत फैलाकर मतदाताओं के धार्मिक ध्रुवीकरण की छूट दे रखी है। ऐसा ही उदासीन रवैया भाजपा नेताओं के भाषणों पर भी दिख रहा है। आचार संहिता लागू होने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा समेत सभी प्रमुख भाजपा नेता नफरती और भड़काऊ भाषण देकर धार्मिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं और धर्म के नाम पर वोट मांग रहे हैं। हिमंत बिस्व सरमा तो बस इसी में लगे हैं। आचार संहिता के इस गंभीर उल्लंघन के विरुद्ध अभियान द्वारा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को कई बार शिकयात की गयी है लकिन उनकी ओर से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी है। ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग भाजपा के पार्टी ऑफिस की तरह काम कर रहा है।
लोकतंत्र बचाओ अभियान चुनाव आयोग को उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी और गरिमा को याद दिलाते हुए निम्न मांग करता है:
तुरंत भाजपा के सभी शैडो पेजेस को बंद किया जाये और उस पर डाले गए सांप्रदायिक व विभाजनकारी पोस्ट के आधार पर क़ानूनी कार्यवाई की जाये।
शैडो अकाउंट्स पर चुपके से लाखों खर्च करके मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना आर्थिक व राजनैतिक भ्रष्टाचार है। चुनाव आयोग इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करे।
लोकतंत्र बचाओ अभियान द्वारा पूर्व में दी गयी शिकायतों पर कार्रवाई करें।
फोटो साभार : सोशल मीडिया एक्स/ सीएम हेमंत सोरेन
विभिन्न शोध संस्थानों द्वारा 6 नवंबर को जारी रिपोर्ट ने भाजपा के नफरती एजेंडे और चुनाव आयोग के पक्षपात को फिर से उजागर कर दिया है। लोकतंत्र बचाओ अभियान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन शोध संस्थानों की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है।
अभियान ने इस विज्ञाप्ति में लिखा है कि फेसबुक पर उपलब्ध सार्वजानिक तथ्यों के आंकलन पर बने इस रिपोर्ट से दो बात सामने आई है। पहला, भाजपा चुपके से सोशल मीडिया पर झूठ व साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और आदिवासी मुख्यमंत्री को पशु जैसे दर्शाने के लिए करोड़ों रूपए खर्च कर रही है एवं दूसरा, भाजपा अनेक शैडो पेज व अकाउंट बनाकर इसे अंजाम दे रही है। शैडो अकाउंट उन्हें कहा जाता है जो किसी खास राजनैतिक दल का प्रचार व काम करते हैं लेकिन उन्हें दल द्वारा घोषित नहीं किया जाता है। ऐसे में लोकतंत्र बचाओ अभियान तुरंत इसके विरुद्ध कार्रवाई की मांग करता है।
शोध रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने पिछले तीन महीनों में फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापन पर 2.25 करोड़ रूपए खर्च किये हैं। इसमें से आधा पैसा भाजपा के अधिकारिक पेज द्वारा खर्च हुआ है जिस पर लगभग 3100 विज्ञापन डाले गएं जिन्हें लगभग 10 करोड़ बार (इंप्रेशन) देखा गया। वहीँ 87 लाख रुपये खर्च करके शैडो पेजेज के माध्यम से लगभग 15000 पेड विज्ञापन दिए गए जिसे लगभग 45 करोड़ बार देखा गया। शोध ने ऐसे 90 शैडो अकाउंट चिन्हित किये हैं जिनमे प्रमुख ‘Jharkhand Choupal’ व इससे जुड़े अन्य चौपाल नामक अकाउंट्स हैं।
भाजपा का अधिकारिक पेज राजनीतिक विज्ञापन डालता है लेकिन यह शैडो अकाउंट मुख्यतः हेमंत सोरेन सरकार और गठबंधन पार्टियों के विरुद्ध सांप्रदायिक और विभाजनकारी कंटेंट आधारित विज्ञापन डालते हैं। चार तरीके के विज्ञापन दिखाई दिए हैं – पहला, जिसमें मुसलमानों को दुश्मन की तरह दिखाया हो, दूसरा जिसमें सांप्रदायिक बातें दर्शाई हों, तीसरा जहां झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को सर पर सिंहों के साथ हैवान की तरह दर्शाया हो, और चौथा जहां 'घुसपैठियों' के मुद्दे को षड्यंत्र की तरह दिखाया गया हो। इन पोस्ट्स के माध्यम से लोगों को हेमंत सोरेन सरकार और INDIA गठबंधन दलों के विरुद्ध लोगों को उकसाया जाता है। राज्य भर में तकरीबन 90 ऐसे शैडो पेजेज़ काम कर रहे हैं जो भाजपा से 5 गुना ज़्यादा विज्ञापन डालते हैं और 4 गुना ज़्यादा ऑनलाइन इंप्रेशन बटोरते हैं। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
अकाउंट्स पर वायरल किए जा रहे सांप्रदायिक वीडियो का एक उदाहरण देखें तो इस वीडियो में भगवा कपड़े पहने लोगों के समूह को हिंदू दर्शाया गया है और हरे कपड़े पहने समूह को मुस्लिम दर्शाया गया है। हिन्दू समूह पहले मुस्लिम समूह से भागता है और फिर हिन्दू समूह इकट्ठा हो जाता है और मुस्लिम समूह के पीछे भागता है। इस तरह की वीडियो से यह दर्शाने की कोशिश गई है की हिन्दू अगर एक जुट हो जायेंगे तो मुसलामानों को ख़त्म कर सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि इन फेसबुक अकाउंट के पोस्ट्स में भाजपा का नाम या चुनाव चिन्ह नहीं रहता है। लेकिन इनके पोस्ट स्पष्ट दर्शाते हैं कि इनके तार भाजपा से जुड़े हैं। सारे पोस्ट पेड विज्ञापन हैं। मतलब इन्हें फ़ैलाने के लिए फेसबुक को पैसे दिए जा रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अकाउंट्स में वेरिफिकेशन के लिए दिए गए मोबाइल नंबर हमेशा स्विच ऑफ रहते हैं। शोध रिपोर्ट के अनुसार भाजपा की तुलना में दूसरे दलों का सोशल मीडिया पर पेड विज्ञापन न के बराबर है।
सर्वोच्च न्यायलय ने स्पष्ट आदेश दिया है कि सोशल मीडिया के प्रचार पर भी अचार संहिता और चुनावी नियम लागू होते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग ने भाजपा को शैडो पेज इस्तेमाल कर साम्प्रदायिकता और नफरत फैलाकर मतदाताओं के धार्मिक ध्रुवीकरण की छूट दे रखी है। ऐसा ही उदासीन रवैया भाजपा नेताओं के भाषणों पर भी दिख रहा है। आचार संहिता लागू होने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा समेत सभी प्रमुख भाजपा नेता नफरती और भड़काऊ भाषण देकर धार्मिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं और धर्म के नाम पर वोट मांग रहे हैं। हिमंत बिस्व सरमा तो बस इसी में लगे हैं। आचार संहिता के इस गंभीर उल्लंघन के विरुद्ध अभियान द्वारा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को कई बार शिकयात की गयी है लकिन उनकी ओर से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी है। ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग भाजपा के पार्टी ऑफिस की तरह काम कर रहा है।
लोकतंत्र बचाओ अभियान चुनाव आयोग को उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी और गरिमा को याद दिलाते हुए निम्न मांग करता है:
तुरंत भाजपा के सभी शैडो पेजेस को बंद किया जाये और उस पर डाले गए सांप्रदायिक व विभाजनकारी पोस्ट के आधार पर क़ानूनी कार्यवाई की जाये।
शैडो अकाउंट्स पर चुपके से लाखों खर्च करके मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना आर्थिक व राजनैतिक भ्रष्टाचार है। चुनाव आयोग इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करे।
लोकतंत्र बचाओ अभियान द्वारा पूर्व में दी गयी शिकायतों पर कार्रवाई करें।