आगजनी, लूट और 'अज्ञात' उपद्रवी: बहराइच में मुसलमानों को कैसे निशाना बनाया गया

Written by sabrang india | Published on: October 22, 2024
सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बहराइच में दो पुलिस थाना क्षेत्रों के ग्रामीण और शहरी इलाकों में मुसलमानों और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया।


साभार : पीटीआई

उत्तर प्रदेश के बहराइच में एक हिंदू युवक राम गोपाल मिश्रा की मौत के बाद मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़क गई। भीड़ ने उनके घरों, दुकानों, बाइकों, ट्रैक्टरों और कारों में आग लगा दी और तोड़फोड़ की। दर्जन भर आपराधिक मामलों की जांच में द वायर ने पाया कि भीड़ ने गैस सिलेंडर, खाद्यान्न और बकरियों जैसे घरेलू सामान भी लूट लिए। सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बहराइच के कम से कम दो थाना क्षेत्रों के ग्रामीण और शहरी इलाकों में मुसलमानों और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया।

13 अक्टूबर को बहराइच के महासी इलाके में दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन जुलूस के दौरान टकराव के बाद भीड़ की हिंसा भड़क उठी। एक मुस्लिम व्यक्ति की छत पर इस्लामिक झंडा उतारकर भगवा झंडा लगाने और रेलिंग तोड़ने के दौरान मिश्रा की गोली लगने से मौत की घटना के बाद हिंसा की ये घटनाएं 13 अक्टूबर को और उसके अगले दिन भी हुईं।

बहराइच पुलिस का कहना है कि मुस्लिम इलाके में शुरुआती झड़प से लेकर मिश्रा की हत्या और मुसलमानों के खिलाफ आगजनी और तोड़फोड़ तक उसने पूरे मामले में 14 एफआईआर दर्ज की हैं। द वायर ने 11 एफआईआर की पड़ताल की है। आठ एफआईआर मुसलमानों के खिलाफ आगजनी और हिंसा की घटनाओं से जुड़ी हैं, जबकि अन्य दो हिंदू युवक सुधाकर तिवारी के बारे में हैं, जो शुरुआती उपद्रव और सरोज कुमार त्रिपाठी के पब्लिक कनवेनियंस स्टोर में लूटपाट और आगजनी में घायल हो गए थे। महसी के मौजूदा भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह ने भी अपनी कार पर हमले के लिए एक एफआईआर दर्ज कराई है। उस दौरान वह मिश्रा की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों से बात कर रहे थे।

पुलिस ने मुसलमानों के खिलाफ 7 में से 5 एफआईआर दर्ज कीं। मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के मामलों में दर्ज सात में से पांच एफआईआर पुलिस अधिकारियों द्वारा दर्ज की गई थीं, और इनमें से प्रत्येक मामले में, पुलिस ने कहा कि आगजनी और तोड़फोड़ ने "अराजकता और आतंक" का माहौल पैदा कर दिया। द वायर द्वारा देखे गए दंगों और तोड़फोड़ के सभी केस अज्ञात व्यक्तियों या बड़ी भीड़ के खिलाफ दर्ज किए गए थे। उपद्रवी लाठी, लोहे की रॉड, भाले और अन्य धारदार चीजों से लैस थे और ज्वलनशील पदार्थ और पेट्रोल से भरी कांच की बोतलें लिए हुए थे।

महाराजगंज बाजार, चांदपारा और चांदपारा जोत गांव, रज़ी क्रॉसिंग, महासी ब्लॉक कस्बा और साधुवापुर गांव प्रभावित क्षेत्रों में से थे। हिंसा तब भड़की जब कुछ स्थानीय मुसलमानों ने 13 अक्टूबर को महाराजगंज इलाके में उनके घर के पास से गुजर रही दुर्गा प्रतिमा जुलूस में तेज आवाज में संगीत बजाने पर आपत्ति जताई। कुछ लोगों का कहना है कि संगीत भी अश्लील था। इससे विवाद हुआ और पुलिस के अनुसार, दोनों समुदायों के आमने-सामने आने के बाद तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई।

कुछ रिपोर्टों और पुलिस के अनुसार, आरोप है कि जुलूस के साथ लगे डीजे को लेकर शुरुआती बहस के बाद कुछ स्थानीय मुसलमानों ने दुर्गा प्रतिमा जुलूस पर पथराव किया। मौत से पहले मिश्रा को एक मुस्लिम घर की छत पर देखा गया था, जहां उसने हरे रंग का इस्लामी झंडा हटाने के दौरान रेलिंग उखाड़ दी थी और भगवा झंडा लगा दिया था। इस दौरान घर के पास जमा उसके साथियों ने “जय श्री राम” और “जय बजरंग बली” के जोरदार नारे लगाए थे।

हालांकि मिश्रा की हत्या के पीछे की वजह अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस घटना के बाद तोड़फोड़ और आगजनी की घटना हुई। इस दौरान लाठी, डंडे और अन्य धारदार चीजों से लैस भीड़ ने मुसलमानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया, जबकि प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रहा और हिंसा को रोक ने के लिए लखनऊ से वरिष्ठ अधिकारियों को बहराइच भेजा गया।

चांदपारा गांव में हुई हिंसा के सिलसिले में तीन मुस्लिम महिलाओं, कद्रूना, बेगमा और शरीफ-उन-निसा की शिकायत पर तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गईं। प्रत्येक मामले में आरोपी अज्ञात हैं। कद्रूना ने अपनी प्राथमिकी में कहा कि भीड़ ने उसके घर में तोड़फोड़ की और “कीमती सामान” में आग लगा दी जो जलकर राख हो गया। कद्रूना ने कहा कि उपद्रवियों ने उसके परिवार पर हमला भी किया और उन्हें धमकाया।

एक अन्य मुस्लिम महिला बेगमा ने कहा कि उन पर हमला करने और उनके कीमती सामान और एक मोटरसाइकिल को आग लगाने के साथ साथ, भीड़ दो बकरियों और एक गैस सिलेंडर भी लेकर चली गई। अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उन्होंने कहा, "हम किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग निकले।"

शरीफ-उन-निसा ने कहा कि भीड़ ने उनके परिवार पर हमला किया, उनके घर में आग लगा दी और कीमती सामान जलाकर राख कर दिया। उन्होंने एक गाड़ी, पानी की टंकी और पाइप में भी तोड़फोड़ की।

पुलिस अधिकारियों ने हरदी थाने में 500-750 लोगों के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज कीं, जबकि एक अन्य अज्ञात भीड़ के खिलाफ कोतवाली नगर थाने में दर्ज की गई।

घरों और दुकानों में आग लगाई

कस्बा महाराजगंज बाजार में भीड़ ने मोटरसाइकिल शोरूम में तोड़फोड़ की और आग लगा दी, जिससे वहां रखी बाइकें क्षतिग्रस्त हो गईं, ऐसा सब-इंस्पेक्टर गोपाल कनौजिया न े 150-200 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा है। यहां हिंसा 14 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच हुई।

एसआई कनौजिया ने शिकायत दर्ज करते हुए कहा कि हाजी हसन के घर के बाहर खड़ी रेनॉल्ट क्विड एसयूवी में आग लगा दी गई; जुबैर की किआ सोनेट एसयूवी को भी आग के हवाले कर दिया गया। दिलशाद के घर के सामने स्थित पिकअप वैन और दुकान को लूट लिया गया। मोनू की ग्रिल शटर की दुकान में तोड़फोड़ की गई और सामान चोरी कर लिया गया।

एसआई कनौजिया ने बताया कि इसी तरह से उपद्रवियों ने कस्बे की कई अन्य दुकानों और घरों में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट की। उन्होंने दुकानों और घरों के बाहर सड़क के किनारे खड़े वाहनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। बाजार में रहने वाले लोगों की दुकानों और सामान को नुकसान पहुंचाया। लोगों के घरों और दुकानों में आग लगाने के साथ ही उन्होंने वहां रखे सामान को लूट लिया और लोगों के घरों और वाहनों पर पत्थर और ईंट फेंककर दहशत फैला दी। इससे स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी और दहशत का माहौल बन गया। कस्बा महसी ब्लॉक और रजी चौराहा पर हुई हिंसा के लिए सब-इंस्पेक्टर विनोद कुमार की शिकायत पर 100-150 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यहां निजी स्वामित्व वाले लखनऊ सेवा अस्पताल में तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी।

ये घटनाएं 14 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे से 3.30 बजे के बीच हुईं। एसआई कुमार ने बताया कि भीड़ ने मिकाइल, राजू, मेराज, सबलू और मेराज समेत कई अन्य लोगों की दुकानों और घरों में लूटपाट की और फिर आग लगा दी।

ट्रैक्टर में आग लगाई, नल तोड़ा, अनाज चोरी कर ली

जोत चांदपारा में हिंसा और तोड़फोड़ के लिए सब-इंस्पेक्टर आस मोहम्मद की शिकायत पर 100-200 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हसन मोहम्मद और इमरान अहमद के ट्रैक्टर और बाइक में आग लगा दी गई, इरफान की एसयूवी में भी आग लगा दी गई और रियाज की मोटरसाइकिल और घर में तोड़फोड़ की गई। एसआई मोहम्मद ने बताया कि भीड़ ने स्थानीय घरों से चावल, गेहूं के दाने, गैस सिलेंडर और अन्य दैनिक जरूरत की चीजें लूट लीं।

एसआई ने आगे बताया कि कबदियानपुरवा में जमील, मेराज और वाजिद के घरों में आग लगाने से पहले लूटपाट की गई। दादे पुरवा गांव में सलामुद्दीन, रवत अली और रहमत अली के साथ भी ऐसी ही घटना हुई। अजमेरी के घर क े बाहर खड़ी ई-रिक्शा और उसके घर में आग लगा दी गई।

इस रिपोर्ट में पुलिस द्वारा दर्ज की गई सभी चार एफआईआर में पुलिस ने कहा है कि जब उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव किया। एफआईआर में दंगा, घातक हथियार के साथ दंगा करना, गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना, विस्फोटक पदार्थ या आग का इस्तेमाल करना, यह जानते हुए कि इससे पूजा स्थल या घरों को नुकसान पहुंचेगा, हमला, अपने ड्यूटी करने में कर्मियों को चोट पहुंचाना, डकैती और भारतीय न्याय संहिता की अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

साधुवापुर में हुई हिंसा और तोड़फोड़ के लिए एसआई छोटे लाल की शिकायत पर 150-200 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। दंगाइयों ने शमशाद मास्टर के घर के बाहर एक ट्रैक्टर में आग लगा दी और उसके घर में लूटपाट की। आरिफ के घर के बाहर दस क्विंटल लकड़ी के लट्ठों को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि गुड्डू के घर के बाहर एक दुकान में लूटपाट, तोड़फोड़ और फिर आग लगा दी गई। करीम के घर के बाहर सोनालीका ब्रांड के ट्रैक्टर में आग लगा दी गई और उसके घर में तोड़फोड़ की गई। बबलू के घर का नल तोड़ दिया गया, जबकि अन्य घरों से चावल, गेहूं, अन्य खाद्य सामग्री और बकरियां चोरी कर ली गईं। एसआई लाल ने बताया कि हिंसा के कारण स्थानीय बाजार बंद करना पड़ा।

15 अक्टूबर को कोतवाली नगर थाने के एसएचओ दिनेश कुमार पांडेय ने मुस्लिमों की दुकानों में तोड़फोड़ करने और पुलिस पर पथराव व लाठियों से हमला करने के आरोप में एक 'असामाजिक दंगाई भीड़' के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।

पांडेय ने बताया कि महाराजगंज में मिश्रा की मौत के बाद शहर में शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे दुर्गा प्रतिमा जुलूस को भी रोक दिया गया। इसके बाद कुछ असामाजिक तत्वों ने भीड़ बनाकर पुलिस चौकी प्रभारी पर पथराव शुरू कर दिया और सड़कों पर जाम लगा दिया।

90 हजार रुपये लूट लिए

बहराइच के स्टीलगंज बाजार में भीड़ ने नूर मोअज्जम, अब्दुल मजीद और मोहम्मद सलीम की दुकानों में तोड़फोड़ की और बाहर खड़ी बाइक को आग के हवाले कर दी।

जिला अस्पताल के पास भीड़ ने शादाब, निजाम और नसीम की दुकानों में भी आग लगा दी। पांडे ने कहा, "इससे पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई और लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे। लोग खुद को बचाने के लिए भागने लगे और दुकानदार अपनी दुकानें बंद करके भागने लगे।"

पुलिस अधिकारी ने बताया कि उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव भी किया, सड़कें जाम कर दीं और जिला अस्पताल, पोस्टमार्टम हाउस, छाया कुआं और गुदरी बाजार इलाकों में तोड़फोड़ की।

13 अक्टूबर को महाराजगंज में हुई हिंसा में गोपीनाथ तिवारी नामक व्यक्ति के बेटे सुधाकर तिवारी के घायल होने के बाद उनकी शिकायत पर एक और एफआईआर दर्ज की गई। उनकी शिकायत में किसी भी आरोपी का नाम नहीं था। तिवारी ने कहा कि उनका बेटा मूर्ति विसर्जन में भाग ले रहा था, तभी महाराजगंज में एक मस्जिद के पास से कुछ अज्ञात लोग निकले और सुधाकर पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। सुधाकर को महसी के स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बहराइच के जिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां से उसे लखनऊ में इलाज के लिए रेफर कर दिया गया।

21 अक्टूबर को जॉय चांदपारा निवासी सरोज कुमार त्रिपाठी की शिकायत पर भी एफआईआर दर्ज की गई, जिनके स्टोर त्रिपाठी पब्लिक कनवेनियेंस सेंटर में 13 अक्टूबर को शाम 5:30 बजे करीब 15 अज्ञात लोगों ने तोड़फोड़ की। त्रिपाठी ने बताया कि बदमाशों ने कैश बॉक्स में रखे 90,000 रुपये भी लूट लिए।

बदमाशों ने त्रिपाठी की मोटरसाइकिल लूटने की भी कोशिश की और जब उन्होंने विरोध किया, तो उन्हें लाठियों और डंडों से पीटा और वाहन में आग लगा दी। त्रिपाठी कई दिन लखनऊ के अस्पताल में रहने के बाद 19 अक्टूबर की रात को बहराइच वापस अपने घर आए।

‘दोनों पक्ष’ और पक्षपात

19 अक्टूबर को संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि आगजनी और हिंसा में शामिल लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उनके जवाब में बहराइच पुलिस ने कहा कि “दोनों पक्षों” द्वारा किए गए आपराधिक कृत्यों के संबंध में मामले दर्ज किए गए हैं।

जिला पुलिस ने रविवार को कहा, "बहराइच में हुई हिंसा के संबंध में कुल 14 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें सभी धर्मों के लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चल रही है। बहराइच पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है।”

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक पुलिस ने 90 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें राम गोपाल मिश्रा की हत्या और दुर्गा प्रतिमा जुलूस पर पथराव करने के शुरुआती आरोप में मुस्लिम शामिल हैं।

गुरुवार को पुलिस ने मिश्रा की हत्या के आरोपी दो लोगों मोहम्मद सरफराज और मोहम्मद तालीम के पैर में गोली मार दी। इन दोनों को तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों ने कथित तौर पर पुलिस पर उस दौरान गोली चलाई थी जब पुलिस को हत्या का हथियार, डबल बैरल ब्रीच लोडिंग शॉटगन बरामद करने के लिए ले जाया जा रहा था। यह बंदूक भारत-नेपाल सीमा के पास नानपारा में छिपाई गई थी।

18 अक्टूबर को महसी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह ने भी सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इन लोगों ने उन पर हमला किया था और 13 अक्टूबर को राम गोपाल मिश्रा के शव को शवगृह ले जाने के लिए लोगों की भीड़ ने उनके कार का शीशा तोड़ दिया था। सिंह जब वहां पहुंचे तो भीड़ मिश्रा के शव को बहराइच मेडिकल कॉलेज के गेट के पास रखकर प्रदर्शन कर रही थी।

उन्होंने अपनी एफआईआर में अर्पित श्रीवास्तव, अनुज सिंह रायकवार, शुभम मिश्रा, कुशमेंद्र चौधरी, मनीष चंद्र शुक्ला, पुंडरीक पांडे, सुधांशु सिंह राणा और अन्य अज्ञात बदमाशों के नाम दर्ज कराए थे।

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