काशी विश्वनाथ मंदिर प्रसाद को लेकर विवाद: प्रसाद बनाने का काम गुजरात की बनास डेयरी को सौंपने पर स्थानीय लोगों में नाराजगी

Written by sabrang india | Published on: October 21, 2024
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद विवाद के बाद अब काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रसाद को लेकर भी विवाद उठ खड़ा हुआ है। स्थानीय वेंडर से प्रसाद बनाने का काम लेकर बनास डेयरी को सौंपने के मुद्दे पर स्थानीय लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि इस तरह से धीरे-धीरे स्थानीय लोगों का रोजगार छिनता जा रहा है।


साभार : सोशल मीडिया एक्स

तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के विवाद के बाद अब काशी विश्वनाथ मंदिर द्वारा नए प्रसाद की शुरुआत की गई है लेकिन इस पर विवाद और भी बढ़ गया है। प्रसाद की शुद्धता के नाम पर स्थानीय बनाम गुजराती और रोजगार छिनने के मुद्दों पर मंदिर प्रशासन पर आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि, मंदिर प्रशासन इन आरोपों को खारिज कर रहा है और बता रहा है कि प्रसाद की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए पिछले 10 महीनों से प्रयास जारी हैं। अब तक प्रसाद बनाने वाले वेंडर के साथ कोई औपचारिक अनुबंध नहीं किया गया था। आइए जानते हैं इस प्रसाद विवाद की असल वजह और मंदिर प्रशासन पर उठते सवालों के पीछे की कहानी।

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवर की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल का मुद्दा आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्र बाबू नायडू ने उठाया था। इसके बाद, देशभर के मंदिरों में वितरित होने वाले प्रसाद की जांच स्थानीय इकाइयों ने शुरू की। उस समय, काशी विश्वनाथ मंदिर में भी तत्कालीन वेंडर के उत्पादन यूनिट में एसडीएम शंभू शरण ने जाकर प्रसाद का सैंपल लिया और मीडिया को बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रसाद में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तिरुपति विवाद के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और काशी विद्वत परिषद के लोगों ने आपसी बैठक में इस बात पर सहमति दी कि प्रसाद की शुद्धता बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। न्यास और परिषद की तरफ से इलायची दाना और बताशे या ड्राई फ्रूट जैसे पारम्परिक और कम मिलावट जैसे प्रसाद के वितरण की वकालत की।
तिरुपति विवाद से पूर्व काशी विश्वनाथ मंदिर में काशी के दो स्थानीय मिठाई बनाने वाले कारीगर प्रसाद बनाकर मंदिर प्रशासन को सप्लाई करते थे। इन दोनों वेंडर के यहां करीब 5 दर्जन से ज्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर काम करती थीं। 

कॉरिडोर निर्माण के बाद से काशी विश्वनाथ मंदिर में केवल 5 स्थानीय विक्रेता ही प्रसाद का उत्पादन और आपूर्ति कर रहे थे। लेकिन दो हफ्ते पहले, नवरात्रि के दौरान, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और मंडल आयुक्त कौशल राज शर्मा ने घोषणा की कि अब मंदिर के लिए प्रसाद का निर्माण करखियाव स्थित बनास डेयरी के अमूल प्लांट में किया जाएगा। कौशल राज शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्व में किसी वेंडर के साथ प्रसाद आपूर्ति का कोई अनुबंध नहीं था।

नाम न छापने की शर्त पर एक पूर्व वेंडर ने बताया कि हमें मीडिया में बात करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि वे लगातार मंदिर प्रशासन के संपर्क में हैं और मंदिर परिसर में एक काउंटर दिए जाने का आग्रह कर रहे हैं। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि दो विक्रेताओं के साथ करीब 5 दर्जन महिलाएं भी काम करती थीं। उनका अनुबंध मंदिर प्रशासन के साथ था, लेकिन अचानक उन्हें हटा कर अमूल प्लांट को प्रसाद बनाने का काम सौंप दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर प्रशासन ने जो नया प्रसाद पेश किया है, उसके बारे में मंडल आयुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि इसे दस महीनों के शोध के बाद तैयार किया गया है। इसमें बेलपत्र के साथ शुद्ध दूध का उपयोग किया गया है, और इसमें बाहरी अपशिष्ट की मिलावट की कोई आशंका नहीं है। प्रसाद को कई चरणों की परीक्षण प्रक्रिया के बाद शुरू किया गया है, जो शास्त्रों के अनुसार है और न्यास के सदस्यों की सहमति से बनाया गया है।

यह प्रसाद विवाद अब स्थानीय बनाम बाहरी बनता जा रहा है। स्थानीय वेंडर को हटाकर बनास डेयरी से अनुबंध करने पर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर हमला बोला है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने खुलकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के बड़े व्यापारियों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय रोजगार को लोगों से छीनकर एक सिंडिकेट बनाया जा रहा है, जिससे यहां के लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है।

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