मध्य प्रदेश सरकार को जमीन अधिग्रहण मामले में कोर्ट की फटकार: मुआवजा समय पर और उचित तरीके से दिया जाना चाहिए

Written by sabrang india | Published on: October 7, 2024
"यह बेहद आश्चर्यजनक है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली संस्था के रूप में सरकार जमीन अधिग्रहण के मामलों में गुंडों की तरह काम कर रही है। जिस प्रकार गुंडे लोगों की जमीनें खाली कर उन्हें बेदखल करते हैं, उसी प्रकार का कार्य राज्य सरकार और अधिकारी भी कर रहे हैं।"


साभार : बार एंड बेंच

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने जमीन अधिग्रहण के मामलों में सरकार को तुरंत मुआवजा राशि देने का आदेश दिया है।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि सरकार किसी की निजी जमीन को अधिग्रहित कर सकती है, लेकिन इसका मुआवजा समय पर और उचित तरीके से दिया जाना आवश्यक है। अदालत की यह टिप्पणी उस समय आई जब कोर्ट ने शशि पांडे की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें याचिकाकर्ता ने पिछले कई सालों से मुआवजा न मिलने की शिकायत की थी।

जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की पीठ ने कहा, "यह बेहद आश्चर्यजनक है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली संस्था के रूप में सरकार जमीन अधिग्रहण के मामलों में गुंडों की तरह काम कर रही है। जिस प्रकार गुंडे लोगों की जमीनें खाली कर उन्हें बेदखल करते हैं, उसी प्रकार का कार्य राज्य सरकार और अधिकारी भी कर रहे हैं।"

कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह मुआवजा राशि समय पर दे और प्रभावित व्यक्तियों को न्याय मिले। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार कानून से ऊपर नहीं है और उसे अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना चाहिए।

क्या है मामला?

यह मामला जबलपुर के आधारताल निवासी शशि पांडे की जमीन से जुड़ा है। उनकी 30,000 वर्गफीट की जमीन, जो हाईवे से सटी हुई है, का अधिग्रहण सरकार ने 1988 में किया था। अधिग्रहण के बाद से अब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिला। शशि पांडे ने तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर से कई बार मुआवजे की मांग की लेकिन कहीं से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

परेशान होकर, शशि पांडे ने 2023 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने सरकार से मुआवजा राशि की मांग की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि यह मामला अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही का है, जिससे याचिकाकर्ता को आर्थिक और मानसिक रूप से भारी नुकसान हुआ है।

कोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि शशि पांडे को उनकी जमीन का मुआवजा 10,000 रुपये प्रतिमाह की दर से 1988 से अब तक का भुगतान किया जाए। अदालत ने यह भी साफ किया कि अगर सरकार ने समय पर मुआवजा नहीं दिया, तो संबंधित कलेक्टरों से मुआवजे की राशि वसूल की जाएगी। इसके साथ ही, अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट सौंपें।

सरकारी व्यवस्था पर कोर्ट नाराज

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के रुख पर सख्त नाराजगी जताई और कहा कि सरकारी तंत्र का यह रवैया बिल्कुल गैर-जिम्मेदाराना है। अदालत ने कहा कि सरकार का यह काम नहीं है कि वह किसी की निजी संपत्ति को जबरन अधिग्रहित करे और फिर मुआवजे के लिए उन्हें चक्कर लगवाए। कोर्ट ने चेतावनी दी कि राज्य सरकार को इस तरह के मामलों में संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए और मुआवजा समय पर देना चाहिए, अन्यथा कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।

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