मानेसर ऑटो कंपनी यूनियन ने संविदा कर्मचारी की सदस्यता का बचाव किया, कहा-कर्मचारियों में 'कोई भेद नहीं'

Written by Ronak Chhabra | Published on: September 30, 2022
पिछले साल यूनियन ने कंपनी के एक ठेका कर्मचारी को सदस्यता दी थी। इस निर्णय को लेकर राज्य के श्रम आयुक्त-सह-ट्रेड यूनियनों के रजिस्ट्रार ने इस महीने की शुरुआत में स्पष्टीकरण की मांग की थी।


फ़ाइल फ़ोटो।

नई दिल्ली: मानेसर स्थित ऑटो पार्ट्स निर्माता बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट्स के कर्मचारी यूनियन ने कहा कि जब यूनियन बनाने की बात आती है तो श्रमिकों के बीच कोई अंतर नहीं होता है। उसने भारी संख्या में संविदा कर्मियों की सदस्यता का बचाव करते हुए हरियाणा के श्रम विभाग को दिए अपने जवाब में ये बात कही।

पिछले साल यूनियन ने गुरुग्राम के ऑटोमोटिव बेल्ट में अपनी तरह के पहले निर्णय में कंपनी के एक संविदा कर्मचारी को सदस्यता दी थी। यूनियन के इस निर्णय को लेकर राज्य के श्रम आयुक्त-सह-ट्रेड यूनियनों के रजिस्ट्रार ने इस महीने की शुरुआत में इसका स्पष्टीकरण मांगा।

कमिश्नर द्वारा यूनियन के नाम 5 सितंबर को लिखे गए पत्र में कहा गया कि ये कार्रवाई "प्रथम दृष्टया अवैध प्रतीत होती है" क्योंकि यह यूनियन के संविधान का "उल्लंघन" है।

बेलसोनिका कर्मचारी यूनियन ने अपने जवाब में कहा कि यूनियन का संविधान ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 के संबंधित प्रावधानों के तहत तैयार किया गया है, हालांकि यह नियमित और संविदा कर्मचारी के बीच कोई अंतर नहीं करता है। उसने आगे कहा, यूनियन बनाना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है।

28 सितंबर को दिए गए जवाब में कहा गया कि, "जब यूनियन बनाने की बात आती है तो ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 एक नियमित और ठेका कर्मचारी के बीच कोई अंतर नहीं करता है।" आगे कहा गया कि, "... ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 की धारा 6 के तहत बनाए गए यूनियन के संविधान/नियम भी एक नियमित और संविदा कर्मचारी के बीच कोई अंतर नहीं करते हैं।" इस पत्र की एक कॉपी न्यूज़क्लिक के पास भी है।

जवाब में आगे कहा गया कि यूनियन के संविधान को श्रम आयुक्त के कार्यालय द्वारा विधिवत तरीक़े से अनुमोदित किया गया है।

बेलसोनिका में एक संविदा कर्मचारी को सदस्यता देने का मामला उस समय सामने आया जब उक्त कंपनी की मानेसर इकाई के कारखाने प्रबंधन ने इस साल अगस्त में यूनियन का पंजीकरण रद्द करने को लेकर कार्रवाई करने की मांग की थी। न्यूज़क्लिक ने इसको लेकर पहले भी रिपोर्ट किया है।

इसके बाद, संविदा कर्मचारी को सदस्यता देने के लिए हरियाणा सरकार की हालिया आपत्ति ने देश में ट्रेड यूनियनों के सामने ज्वलंत प्रश्न की ओर भी ध्यान खींचा कि क्या ठेका कर्मचारियों को यूनियन में शामिल किया जा सकता है?

श्रम क़ानून के विशेषज्ञ जिनसे न्यूज़क्लिक ने पहले बात की थी, उनका मानना है कि यदि यूनियन का संविधान इसकी अनुमति देता है तो ठेका श्रमिकों को सदस्यता प्रदान करने का अधिकार उनके पास है।

इसी तरह, अन्य यूनियन के नेताओं ने भी इस निर्णय को अपना समर्थन दिया है। उसने कहा कि ठेका श्रमिकों को यूनियन में शामिल करना लंबे समय से लंबित मांग है और देश में औद्योगिक क्षेत्रों के भीतर इसे हासिल किया जाना चाहिए।

Courtesy: Newsclick

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