आजमगढ़। मोदी सरकार भले ही किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा कर रही हो लेकिन हकीकत यह है कि किसान बैंकों का कर्ज न चुकाने को लेकर इतना परेशान है कि आत्महत्या कर रहा है।
बैंक से लिया गया कर्ज अदा न कर पाने व बैंक की नोटिस से परेशान अधेड़ किसान ने गांव की सिवान में आम के पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक तीन दिन पूर्व घर से दिल्ली जाने की बात कहकर निकला था। किसान की आत्महत्या से परिवार में कोहराम मचा है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस का दावा है कि आत्महत्या का कारण पारिवारिक कलह है। वहीं इस मामले में कोई प्रशासनिक अधिकारी अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
मृतक के पुत्र पंकज ने बताया कि तभी से पिताजी बहुत परेशान रहते थे। दो दिन पूर्व हम लोगों से कहा कि कमाने के लिए दिल्ली जा रहा हूं और वहां से लौटकर सारा कर्जा चुका दूंगा लेकिन कब कैसे क्या हो गया, यह समझ में नहीं आ रहा है।
दीदारगंज थाना क्षेत्र के करुई गांव के सिवान में शुक्रवार की सुबह कर्ज में डूबे किसान बेचन यादव (55) ने आम के पेड़ से लुंगी के सहारे लटककर जान दे दी। घटना की जानकारी मिलने पर परिवार में कोहराम मच गया। उन्होंने बैंक से लोन लिया था, जिसे जमा करने के लिए 20 दिन पहले नोटिस आया था।
पंकज के अनुसार उनके पिता ने बैंक से कुछ लोन लिए थे, जिसका ब्याज बढ़कर ढाई लाख रुपये हो गए थे। 20 दिन पूर्व बैंक से नोटिस आया कि जल्द से जल्द पैसा जमा करें। उसके बाद से मेरे पिता परेशान रहने लगे थे। उनके दिल्ली जाने पर परिवार में सहमति भी बन गई थी, लेकिन उसी बीच उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया लिया। मृतक के तीन पुत्र व चार पुत्री हैं।
रिहाई मंच ने की किसान परिवार से मुलाकात
आज़मगढ़ में करुई गांव के किसान बेचन यादव की आत्महत्या के बाद परिजनों से रिहाई मंच ने मुलाकात की। रिहाई मंच ने बैंक लोन की वसूली के दबाव को आत्महत्या का प्रमुख कारण मानते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मंच की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों की वजह से एक तरफ किसान आंदोलन में साढ़े तीन सौ से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है। दूसरी तरफ पूर्वांचल के आज़मगढ़ में बेचन यादव की आत्महत्या ने साबित कर दिया है कि किसान संकट विकराल हो चुका है। प्रतिनिधि मंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, तरीक शफीक, मोहम्मद अकरम, विनोद यादव, अवधेश यादव, राजित यादव और मजनू यादव शामिल थे।
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मृतक के पुत्र पंकज ने बताया कि तभी से पिताजी बहुत परेशान रहते थे। दो दिन पूर्व हम लोगों से कहा कि कमाने के लिए दिल्ली जा रहा हूं और वहां से लौटकर सारा कर्जा चुका दूंगा लेकिन कब कैसे क्या हो गया, यह समझ में नहीं आ रहा है।
दीदारगंज थाना क्षेत्र के करुई गांव के सिवान में शुक्रवार की सुबह कर्ज में डूबे किसान बेचन यादव (55) ने आम के पेड़ से लुंगी के सहारे लटककर जान दे दी। घटना की जानकारी मिलने पर परिवार में कोहराम मच गया। उन्होंने बैंक से लोन लिया था, जिसे जमा करने के लिए 20 दिन पहले नोटिस आया था।
पंकज के अनुसार उनके पिता ने बैंक से कुछ लोन लिए थे, जिसका ब्याज बढ़कर ढाई लाख रुपये हो गए थे। 20 दिन पूर्व बैंक से नोटिस आया कि जल्द से जल्द पैसा जमा करें। उसके बाद से मेरे पिता परेशान रहने लगे थे। उनके दिल्ली जाने पर परिवार में सहमति भी बन गई थी, लेकिन उसी बीच उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया लिया। मृतक के तीन पुत्र व चार पुत्री हैं।
रिहाई मंच ने की किसान परिवार से मुलाकात
आज़मगढ़ में करुई गांव के किसान बेचन यादव की आत्महत्या के बाद परिजनों से रिहाई मंच ने मुलाकात की। रिहाई मंच ने बैंक लोन की वसूली के दबाव को आत्महत्या का प्रमुख कारण मानते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मंच की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों की वजह से एक तरफ किसान आंदोलन में साढ़े तीन सौ से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है। दूसरी तरफ पूर्वांचल के आज़मगढ़ में बेचन यादव की आत्महत्या ने साबित कर दिया है कि किसान संकट विकराल हो चुका है। प्रतिनिधि मंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, तरीक शफीक, मोहम्मद अकरम, विनोद यादव, अवधेश यादव, राजित यादव और मजनू यादव शामिल थे।
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