रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को बेल देने के मामले में सेशंस कोर्ट के फैसले का भी इंतजार नहीं किया गया। उन्हें आठ दिनों में जमानत मिल गई थी, पर जम्मू और कश्मीर के एक पत्रकार के केस में 15 महीने बाद पहली सुनवाई हुई। अंग्रेजी अखबार ‘The Telegraph’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला आसिफ सुल्तान से जुड़ा है, जो ‘Kashmir Narrator’ मैग्जीन के रिपोर्टर हैं। फिलहाल वह घाटी की सबसे बड़ी जेल में हैं, जो कि उनके घर से करीब चार किलोमीटर दूर ही है।
सुल्तान श्रीनगर के बटमालू इलाके में रहते थे, लेकिन कुछ वक्त पहले उन्हें अलग कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया। उन पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी साल अगस्त में उन्हें जेल में दो साल पूरे हुए थे।
पुलिस का दावा है कि उन्हें चरमपंथियों के साथ कनेक्शन को लेकर गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, परिजन और कई पत्रकार संगठनों ने उन्हें बेगुनाह करार दिया था। कहा था, “सही पत्रकारिता के कारण उन्हें निशाना बनाया गया।” सुल्तान का मामला सुर्खियों में तब आया, जब अर्णब केस को लेकर BJP के कई नेताओं ने रिपब्लिक टीवी के संपादक के अरेस्ट होने पर आपत्ति जताई थी।
गोस्वामी को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम बेल मिली थी, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में आठ दिन बिताने पड़े थे। वहीं, आसिफ के मामले में फिलहाल वह दोषी नहीं किए गए हैं। फिर भी वह सलाखों के पीछे 800 से अधिक दिन काट चुके हैं। टॉप कोर्ट ने अर्णब के केस की सुनवाई के दौरान निजी स्वतंत्रता की अहमियत का हवाला दिया था।
उधर, सुल्तान के मामले में पहली सुनवाई (पांच अगस्त, 2019 के बाद) पिछले सोमवार को हुई थी। यह 15 महीनों से अधिक के वक्त के बाद हुई। यह जानकारी अंग्रेजी अखबार को आसिफ के पिता मोहम्मद सुल्तान ने दी। सोमवार को पत्नी उम्म अरीबा ने ट्वीट किया था- मेरे पति ने उसके (आजादी) लिए कीमत चुका दी। उनके परिवार ने भी कीमत अदा की। बूढ़े मां-बाप और छोटे-छोटे बच्चों ने भी। उन्हें अब तो मुक्त कर दिया जाना चाहिए।
सुल्तान श्रीनगर के बटमालू इलाके में रहते थे, लेकिन कुछ वक्त पहले उन्हें अलग कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया। उन पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी साल अगस्त में उन्हें जेल में दो साल पूरे हुए थे।
पुलिस का दावा है कि उन्हें चरमपंथियों के साथ कनेक्शन को लेकर गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, परिजन और कई पत्रकार संगठनों ने उन्हें बेगुनाह करार दिया था। कहा था, “सही पत्रकारिता के कारण उन्हें निशाना बनाया गया।” सुल्तान का मामला सुर्खियों में तब आया, जब अर्णब केस को लेकर BJP के कई नेताओं ने रिपब्लिक टीवी के संपादक के अरेस्ट होने पर आपत्ति जताई थी।
गोस्वामी को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम बेल मिली थी, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में आठ दिन बिताने पड़े थे। वहीं, आसिफ के मामले में फिलहाल वह दोषी नहीं किए गए हैं। फिर भी वह सलाखों के पीछे 800 से अधिक दिन काट चुके हैं। टॉप कोर्ट ने अर्णब के केस की सुनवाई के दौरान निजी स्वतंत्रता की अहमियत का हवाला दिया था।
उधर, सुल्तान के मामले में पहली सुनवाई (पांच अगस्त, 2019 के बाद) पिछले सोमवार को हुई थी। यह 15 महीनों से अधिक के वक्त के बाद हुई। यह जानकारी अंग्रेजी अखबार को आसिफ के पिता मोहम्मद सुल्तान ने दी। सोमवार को पत्नी उम्म अरीबा ने ट्वीट किया था- मेरे पति ने उसके (आजादी) लिए कीमत चुका दी। उनके परिवार ने भी कीमत अदा की। बूढ़े मां-बाप और छोटे-छोटे बच्चों ने भी। उन्हें अब तो मुक्त कर दिया जाना चाहिए।