झारखंड विस में सरना आदिवासी धर्मकोड प्रस्ताव पारित, CM सोरेन बोले- देशभर में गूंजेगा आदिवासियों के वजूद का सवाल

Written by sabrang india | Published on: November 12, 2020
झारखंड विधानसभा में बुधवार को आदिवासियों के लिए अलग धर्मकोड की मांग का प्रस्ताव पारित हो गया। इस प्रस्ताव पर पक्ष और विपक्ष एक मत से सहमत है और दोनों ने इसके पक्ष में वोटिंग की। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार ने केंद्र से जनसंख्या में आदिवासी धर्मकोड के काॅलम की मांग की है। झारखंड में पिछले कुछ महीनों से इस मांग को लेकर आंदोलन हो रहा था और सरकार ने इस मुद्दे की संवेदनशीलता के मद्देनजर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया।



इस प्रस्ताव में उल्लेख है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार से अलग आदिवासी धर्म कोड की मांग करे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि सदन की भावना के अनुरूप राज्य सरकार केंद्र को सरना आदिवासी धर्मकोड का प्रस्ताव भेजेगी। विशेष सत्र में विपक्षी भाजपा के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि आदिवासी के विकल्प का शब्द को हटाकर सरना धर्म जोड़ा जाये। उन्होंने कहा कि इस शब्द को सीधे आदिवासी सरना धर्म कोड होना चाहिए आदिवासी और सरना के बीच आबलिग लगाने का कोई औचित्य नहीं है। इसके बाद प्रस्ताव को संशोधित कर सरना आदिवासी धर्मकोड किया गया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड विधानसभा की बात देश में गूंजेगी क्योंकि आदिवासियों के वजूद का सवाल है। आदिवासी अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सदन के इस प्रस्ताव से पूरे देश में संदेश जाएगा। इससे पूरे देश के आदिवासी एक सूत्र में बंधेंगे चाहे छत्तीसगढ हो, असम हो या अन्य राज्य। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों को विलुप्त करने का षड्यंत्र होता रहा है। उन्होंने कहा कि जनजातीयों को संरक्षित करने को लेकर पूर्व की सरकारें गंभीर नहीं रहीं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अस्तित्व अंग्रेजों को समय भी रहा, जब देश आजादी का सपना नहीं देख रहा था तब भी आदिवासियों ने अंग्रेजों से संघर्ष किया।

2011 की जनगणना के अनुसार, झारखंड में कुल 86,45,042 आदिवासी हैं। इनमें सरना आदिवासी 40,12,622 है, जबकि ईसाई आदिवासी 13, 38,175 हैं। वहीं, हिंदू आदिवासी 32,45, 856 हैं। मुसलिम आदिवासी 18,107ए? सिख आदिवासी 984 बौद्ध आदिवासी 2946 हैं। आदिवासियों की अपनी पूजा व जीवन पद्धति है जो प्रकृति केंद्रित है। लेकिन, सरना धर्म का पालन करने वालों की संख्या में इस समुदाय में कमी आते जाने के मद्देनजर आदिवासी युवाओं व अन्य लोगों ने आंदोलन शुरू किया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इससे संबंधित प्रस्ताव पास करने की मांग की। झारखंड में 26.20 प्रतिशत आदिवासी आबादी है। इसमें 46.4 प्रतिशत सरना आदिवासी, 37 प्रतिशत हिंदू आदिवासी और 15.5 प्रतिशत ईसाई आदिवासी हैं। यानी 50 प्रतिशत से कम आदिवासी हैं जो अपना मूल धर्म सरना मानते हैं। ऐसे में आदिवासी समाज को अपने परंपरागत धर्म को लेकर ंिचता रही है। ऐसे में सरना धर्म कोड की मांग की गई।
 

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