कडलूर। इक्कीसवीं सदी में जहां दुनिया तमाम सामाजिक बुराइयों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रही है, वहीं भारतीय समाज में जातिवाद और भेदभाव की जड़ें और गहरी हो रही हैं। तमिलनाडु के कडलूर जिले से ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां दलित महिला प्रधान को बैठकों में उप-प्रधान द्वारा कथित तौर पर नहीं बैठने दिया गया। यही नहीं दलित महिला प्रधान को राष्ट्रध्वज तक नहीं फहराने दिया गया।

मामले के आरोपी उप-प्रधान की पुलिस तलाश कर रही है, जबकि पंचायत सचिव को निलंबित करने के अलावा उन्हें और एक वार्ड सदस्य को गिरफ्तार किया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस उप-प्रधान मोहन राज की तलाश कर रही है, जबकि निलंबित पंचायत सचिव सिंदुजा और वार्ड सदस्य आर। सुगुमार को गिरफ्तार किया गया है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में मेल भुवनागिरि पंचायत यूनियन के तहत थेरकु थिट्टाई गांव की प्रधान एस राजेश्वरी जमीन पर बैठी दिखीं, जबकि अन्य लोग कुर्सी पर बैठे हुए देखे जा सकते हैं। इस घटना के बारे में पता चलने पर अधिकारी हरकत में आ गए।
जिलाधिकारी चंद्रशेखर सखामुरी और पुलिस अधीक्षक एमश्री अभिनव ने गांव का दौरा किया और शनिवार को मामले की जांच-पड़ताल की। अभिनव ने कहा, ‘हम उनका (राजेश्वरी का) बयान लेंगे और उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी जान को कोई खतरा नहीं है। गांव में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि अब तक पंचायत कार्यालय में चार बैठकें हुई हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि पंचायत की प्रधान को जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया गया, जबकि कुछ वार्ड सदस्यों ने दावा किया कि उन्होंने अपनी मर्जी से ऐसा किया था।
उन्होंने कहा, ‘उनकी शिकायत के आधार पर जांच जारी है। इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’तस्वीर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें 17 जुलाई 2020 की तारीख दिख रही, जब यह खींची गई थी।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पंचायत अधिनियम के तहत उप-प्रधान मोहन राज को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उनके खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
राजेश्वरी से यह पूछे जाने पर कि उन्होंने पहले शिकायत क्यों नहीं की, इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने शुरुआत में उप-प्रधान के व्यवहार को बर्दाश्त किया, लेकिन बदसलूकी बढ़ जाने पर उन्होंने शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया था।
10 अक्टूबर को जमीन पर बैठे हुए उनकी तस्वीर के वायरल होने के बाद उन्होंने भुवनागिरि पुलिस थाने में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई। राजेश्वरी ने आरोप लगाया कि सिर्फ उप प्रधान ने राष्ट्र ध्वज फहराया और उन्हें (अहम मौकों के दौरान) ऐसा नहीं करने दिया गया।
खबरों के मुताबिक राजेश्वरी ने कहा, मुझे जनवरी में गणतंत्र दिवस (समारोह) के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी। उप-प्रधान ने कहा कि इसके बजाय उनके पिता झंडा फहराएंगे। उन्होंने और तीन अन्य वार्ड सदस्यों (सभी हिंदू) ने मेरा अपमान किया और मुझे और एक अन्य दलित वार्ड सदस्य सुगंती को बैठकों में फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया, जबकि बाकी लोग कुर्सियों पर बैठे।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में पंचायत प्रधान चुनी गईं राजेश्वरी के साथ उसी समय से भेदभाव शुरू हो गया था।
राजेश्वरी के पति सरवन कुमार ने आरोप लगाया, ‘उप-प्रधान उनसे (राजेश्वरी) कहता था कि वह एकमात्र दलित नेता हैं, जबकि उसके पास बीसी (पिछड़ा वर्ग) और एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) सदस्यों का बहुमत है। राजेश्वरी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की, लेकिन एकमात्र दलित नेता होने के कारण उन्हें किनारे कर दिया जाता है। वे (उप-प्रधान) कहते थे कि उनके पास पांच वार्ड सदस्यों का समर्थन प्राप्त है लेकिन आपके पास कोई (वार्ड सदस्य) नहीं है।’

मामले के आरोपी उप-प्रधान की पुलिस तलाश कर रही है, जबकि पंचायत सचिव को निलंबित करने के अलावा उन्हें और एक वार्ड सदस्य को गिरफ्तार किया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस उप-प्रधान मोहन राज की तलाश कर रही है, जबकि निलंबित पंचायत सचिव सिंदुजा और वार्ड सदस्य आर। सुगुमार को गिरफ्तार किया गया है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में मेल भुवनागिरि पंचायत यूनियन के तहत थेरकु थिट्टाई गांव की प्रधान एस राजेश्वरी जमीन पर बैठी दिखीं, जबकि अन्य लोग कुर्सी पर बैठे हुए देखे जा सकते हैं। इस घटना के बारे में पता चलने पर अधिकारी हरकत में आ गए।
जिलाधिकारी चंद्रशेखर सखामुरी और पुलिस अधीक्षक एमश्री अभिनव ने गांव का दौरा किया और शनिवार को मामले की जांच-पड़ताल की। अभिनव ने कहा, ‘हम उनका (राजेश्वरी का) बयान लेंगे और उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी जान को कोई खतरा नहीं है। गांव में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि अब तक पंचायत कार्यालय में चार बैठकें हुई हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि पंचायत की प्रधान को जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया गया, जबकि कुछ वार्ड सदस्यों ने दावा किया कि उन्होंने अपनी मर्जी से ऐसा किया था।
उन्होंने कहा, ‘उनकी शिकायत के आधार पर जांच जारी है। इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’तस्वीर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें 17 जुलाई 2020 की तारीख दिख रही, जब यह खींची गई थी।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पंचायत अधिनियम के तहत उप-प्रधान मोहन राज को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उनके खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
राजेश्वरी से यह पूछे जाने पर कि उन्होंने पहले शिकायत क्यों नहीं की, इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने शुरुआत में उप-प्रधान के व्यवहार को बर्दाश्त किया, लेकिन बदसलूकी बढ़ जाने पर उन्होंने शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया था।
10 अक्टूबर को जमीन पर बैठे हुए उनकी तस्वीर के वायरल होने के बाद उन्होंने भुवनागिरि पुलिस थाने में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई। राजेश्वरी ने आरोप लगाया कि सिर्फ उप प्रधान ने राष्ट्र ध्वज फहराया और उन्हें (अहम मौकों के दौरान) ऐसा नहीं करने दिया गया।
खबरों के मुताबिक राजेश्वरी ने कहा, मुझे जनवरी में गणतंत्र दिवस (समारोह) के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी। उप-प्रधान ने कहा कि इसके बजाय उनके पिता झंडा फहराएंगे। उन्होंने और तीन अन्य वार्ड सदस्यों (सभी हिंदू) ने मेरा अपमान किया और मुझे और एक अन्य दलित वार्ड सदस्य सुगंती को बैठकों में फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया, जबकि बाकी लोग कुर्सियों पर बैठे।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में पंचायत प्रधान चुनी गईं राजेश्वरी के साथ उसी समय से भेदभाव शुरू हो गया था।
राजेश्वरी के पति सरवन कुमार ने आरोप लगाया, ‘उप-प्रधान उनसे (राजेश्वरी) कहता था कि वह एकमात्र दलित नेता हैं, जबकि उसके पास बीसी (पिछड़ा वर्ग) और एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) सदस्यों का बहुमत है। राजेश्वरी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की, लेकिन एकमात्र दलित नेता होने के कारण उन्हें किनारे कर दिया जाता है। वे (उप-प्रधान) कहते थे कि उनके पास पांच वार्ड सदस्यों का समर्थन प्राप्त है लेकिन आपके पास कोई (वार्ड सदस्य) नहीं है।’