वाराणसी: पावरलूम पर बिजली सब्सिडी खत्म करने के विरोध में उतरे बुनकर, आज से हड़ताल

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 1, 2020
वाराणसी: बनारस की साड़ियां देशभर में प्रसिद्ध हैं। बनारस के जिन घरों में ये रिश्ते बुने जाते थे, उन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कोरोना के चलते धंधा पहले ही मंदा चल रहा था। अब योगी सरकार ने बुनकरों को बिजली का झटका देना शुरू कर दिया है, मतलब पावरलूम पर दी जाने वाली सब्सिडी अब खत्म कर दी गई है।



पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को बहाल किये जाने के मुद्दे पर प्रदेश भर के बुनकर संगठनों व तंज़ीमो द्वारा एक सितंबर से पॉवरलूम बन्दी की घोषणा को धार देते हुए बुनकर बेरादराना तंज़ीम चौदहों के सरदार मक़बूल हसन ने अनिश्चित कालीन मुर्री बन्द का एलान किया है। जिसके अनुसार बुनकारी उद्योग से संबंधित सभी तरह के काम धंधे पूर्ण रूप से बंद रहेंगे। 

सरदार मकबूल हसन ने सभी बुनकरों से यह अपील की है कि इस जन आंदोलन को सफल बनाने के लिए बुनकर एकता का सबूत दें। पीलीकोठी में हुई बैठकों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह अनुरोध भी किया गया है कि बुनकरों की समस्याओं के समाधान के लिए शीघ्र अतिशीघ्र प्रभावी कदम उठाए जाएं और कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से पैदा आर्थिक संकट जिससे बुनकर भुखमरी और फाकाकशी पर मजबूर हो गए हैं और पेट पालने के लिए घर के ज़रूरी सामान और पॉवरलूम को कबाड़ के भाव बेचने की नौबत आ गयी है। इससे बुनकरों को निकालने के लिए फ्लैट रेट पर बिजली सप्लाई की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने का निर्णय अविलम्ब पारित करें।

बता दें कि, 2006 के बिजली विभाग के अधिनियम के मुताबिक बुनकरों को एक पावरलूम पर प्रतिमाह 71.5 रुपए बिजली का बिल चुकाना पड़ता था। लेकिन योगी सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया है। बिजली विभाग की ओर से अब स्मार्ट मीटर लगा दिए हैं। बुनकरों के मुताबिक नई व्यवस्था के लागू होने के बाद उन्हें अब महीने के 1500-1600 रुपए बिजली का बिल देना पड़ेगा।

योगी सरकार के इस फैसले का बुनकर विरोध कर रहे हैं। बुनकरों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया है। बुनकरों ने राज्य सरकार की इस नई व्यवस्था को काला कानून तक बता दिया है। बुनकरों ने राज्य सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जाता है तो वे पावरलूम का पीडी यानी परमानेंट डिसक्नेट करा लेंगे।

बुनकरों की ये पीड़ा जायज भी है। मौजूदा दौर में बनारसी साड़ी उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। सूरत और बैंगलूरु की साड़ियों के मुकाबले बनारसी साडियां बाजार में पिछड़ गई हैं। ऊंची कीमत के चलते ग्राहक बनारसी साड़ी खरीदने से बचते हैं। धीरे-धीरे हालात ऐसे बनते चले गए कि धंधा मंदा पड़ने लगा और अब लॉकडाउन ने बुनकरों को बर्बादी की कगार पर ला दिया है।

सब्जी, चाय की दुकान चलाने को मजबूर बुनकर
कई ऐसे बुनकर हैं जो साड़ी के धंधे से हटकर सब्जी की दुकान, चाय या फिर दूसरे रोजगार से जुड़ गए हैं। जो बचे थे, अब उन्हें राज्य सरकार ने बिजली के नाम पर बड़ा झटका दिया है। बनारस में साड़ी उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग दो लाख परिवार जुड़े हैं। मतलब लगभग आठ लाख लोगों की रोजीरोटी का जुगाड़ साड़ी उद्योग से होता है। लेकिन योगी सरकार के नए फैसले ने इस धंधे की कमर तोड़ दी है। जानकार बता रहे हैं कि बुनकरों की हड़ताल से राज्य सरकार को लगभग 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा।

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