नई दिल्ली। हाल ही में मुंबई हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ दर्ज 29 एफआईआर को रद्द कर दिया था। अब दिल्ली में एक ट्रायल कोर्ट ने विदेशी अपराध अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत तब्लीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ लगाए गए सभी अपराधों से कुछ विदेशी लोगों को डिस्चार्ज कर दिया है।

इन विदेशी नागरिकों को डिस्चार्ज करते हुए मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहन कौर ने कहा कि कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं पाया गया है जो आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों के साथ वर्तमान मामले में आरोपियों को जोड़े।
चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि अभियुक्त व्यक्ति एक मिशनरी वीजा के बजाय एक पर्यटक वीजा पर भारत आए और मिशनरी काम में लिप्त होकर और तब्लीगी जमात की विचारधारा का स्वेच्छा से प्रचार करके अपने वीजा की शर्तों का उल्लंघन किया।
चार्जशीट में आगे कहा गया कि 'तब्लीगी जमात मुख्यालय में मरकज़ के अधिकारियों से दिल्ली पुलिस द्वारा संपर्क किया गया और मरकज़ के मुफ़्ती शहज़ाद को बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और जमात के विदेशी सदस्यों को उनके देशों और अन्य भारतीयों को उनके राज्यों में वापस भेजने के लिए कहा गया। हालांकि, इस तरह के किसी निर्देश का पालन नहीं किया गया और अन्य सह आरोपी व्यक्तियों के साथ अभियुक्तों ने अधिकारियों के वैध निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप लोगों की जान चली गई और दूसरों के जीवन के लिए आसन्न खतरा पैदा हो गया। '
आरोपियों के लिए पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने दलील दी कि आरोप पत्र आरोपित व्यक्तियों में से किसी की भूमिका के लिए कुछ नहीं कहा गया। इसलिए आरोपी लोगों के किसी भी धारा के प्रावधानों को लागू करने के लिए उनके द्वारा किये गए किसी गए किसी कार्य का उल्लेख नहीं किया गया।
जॉन ने आगे तर्क दिया कि एमएचए वेबसाइट पर उपलब्ध वीजा दिशानिर्देशों के अनुसार, आरोपी व्यक्तियों को तब्लीगी जमात सहित किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने और शामिल होने से प्रतिबंधित नहीं किया गया था और आरोप पत्र और दस्तावेजों के अनुसार दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि अभियुक्तों में से किसी ने तब्लीगी कार्य में भाग लेने के दौरान किसी भी नियम को तोड़ा। जॉन द्वारा यह भी प्रस्तुत किया कि यह बताने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है कि आरोपी व्यक्ति लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन किया।
इन सबमिशनों को ध्यान में रखने के बाद, अदालत ने पाया कि वर्तमान मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कोई प्राथमिक सबूत नहीं है। इसलिए, अदालत ने सभी अपराधों के इन विदेशी नागरिकों को डिस्चार्ज किया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने कहा- 'वर्तमान चार्जशीट या इस के साथ संलग्न किसी भी दस्तावेज में इस अदालत के समक्ष रखे गए किसी भी रिकॉर्ड या किसी विश्वसनीय सामग्री के अभाव में अभियुक्त को यहां वर्तमान मामले में सभी अपराधों से उन्मोचित (Discharge) किया जाता है। '

इन विदेशी नागरिकों को डिस्चार्ज करते हुए मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहन कौर ने कहा कि कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं पाया गया है जो आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों के साथ वर्तमान मामले में आरोपियों को जोड़े।
चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि अभियुक्त व्यक्ति एक मिशनरी वीजा के बजाय एक पर्यटक वीजा पर भारत आए और मिशनरी काम में लिप्त होकर और तब्लीगी जमात की विचारधारा का स्वेच्छा से प्रचार करके अपने वीजा की शर्तों का उल्लंघन किया।
चार्जशीट में आगे कहा गया कि 'तब्लीगी जमात मुख्यालय में मरकज़ के अधिकारियों से दिल्ली पुलिस द्वारा संपर्क किया गया और मरकज़ के मुफ़्ती शहज़ाद को बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और जमात के विदेशी सदस्यों को उनके देशों और अन्य भारतीयों को उनके राज्यों में वापस भेजने के लिए कहा गया। हालांकि, इस तरह के किसी निर्देश का पालन नहीं किया गया और अन्य सह आरोपी व्यक्तियों के साथ अभियुक्तों ने अधिकारियों के वैध निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप लोगों की जान चली गई और दूसरों के जीवन के लिए आसन्न खतरा पैदा हो गया। '
आरोपियों के लिए पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने दलील दी कि आरोप पत्र आरोपित व्यक्तियों में से किसी की भूमिका के लिए कुछ नहीं कहा गया। इसलिए आरोपी लोगों के किसी भी धारा के प्रावधानों को लागू करने के लिए उनके द्वारा किये गए किसी गए किसी कार्य का उल्लेख नहीं किया गया।
जॉन ने आगे तर्क दिया कि एमएचए वेबसाइट पर उपलब्ध वीजा दिशानिर्देशों के अनुसार, आरोपी व्यक्तियों को तब्लीगी जमात सहित किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने और शामिल होने से प्रतिबंधित नहीं किया गया था और आरोप पत्र और दस्तावेजों के अनुसार दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि अभियुक्तों में से किसी ने तब्लीगी कार्य में भाग लेने के दौरान किसी भी नियम को तोड़ा। जॉन द्वारा यह भी प्रस्तुत किया कि यह बताने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है कि आरोपी व्यक्ति लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन किया।
इन सबमिशनों को ध्यान में रखने के बाद, अदालत ने पाया कि वर्तमान मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कोई प्राथमिक सबूत नहीं है। इसलिए, अदालत ने सभी अपराधों के इन विदेशी नागरिकों को डिस्चार्ज किया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने कहा- 'वर्तमान चार्जशीट या इस के साथ संलग्न किसी भी दस्तावेज में इस अदालत के समक्ष रखे गए किसी भी रिकॉर्ड या किसी विश्वसनीय सामग्री के अभाव में अभियुक्त को यहां वर्तमान मामले में सभी अपराधों से उन्मोचित (Discharge) किया जाता है। '