नई दिल्ली। हैदराबाद के एक 34 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज का मौत से पहले का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने अपने पिता के नाम अंतिम संदेश रिकॉर्ड किया है। वीडियो में वे कहते हैं कि ‘उन्होंने मेरा वेंटिलेटर हटा दिया है। मैने पिछले तीन घंटे में कई बार ऑक्सीजन के लिए कहा। लेकिन कोई नहीं सुन रहा। मैं अब सांस नहीं ले पा रहा हूं। बाय डैडी। सबको बाय।’
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक तेज बुखार की शिकायत के बाद मरीज को 24 जून को हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहां ठीक से इलाज न मिलने के चलते 26 जून को उनकी मौत हो गई। वहीं, अस्पताल प्रशासन की तरफ से कहा जा रहा है कि मरीज को वेंटिलेटर समेत सभी जरूरी सुविधाएं दी गई थीं, हृदय संबधी तकलीफ के चलते उनकी मौत हुई है। दूसरी तरफ मरीज के परिजनों का कहना है कि एक निजी अस्पताल को मरीज के सैंपल भेजे गए थे जिससे पता चलता है कि उनकी मौत कोविड-19 से ही हुई है।
एक समाचार चैनल से बात करते हुए मरीज के पिता का कहना था कि ‘यह वीडियो रिकॉर्ड करने के एक घंटे बाद ही उनके बेटे की मौत हो गई। उसे ऑक्सीजन क्यों नहीं दी गई? उसका वेंटिलेटर क्यों हटाया गया? क्या किसी और को इसकी ज़रूरत थी? ऐसा नहीं होना चाहिए।’
इससे पहले कोरोना संक्रमण की जांच करवाने और इलाज के लिए भर्ती होने को लेकर भी मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ा था। परिजनों के मुताबिक बीते बुधवार को 10 से ज्यादा निजी अस्पतालों में उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया था।
मरीज की मौत होने तक उनके कोरोना संक्रमित होने के बारे में नहीं मालूम था, इसलिए मौत के बाद उनकी बॉडी परिजनों को सौंप दी गई। मरीज के पिता का कहना है कि मृतक के संपर्क में आने के चलते परिवार के छह सदस्यों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा है और वे इसकी जांच करवाना चाहते हैं लेकिन इसकी भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक तेज बुखार की शिकायत के बाद मरीज को 24 जून को हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहां ठीक से इलाज न मिलने के चलते 26 जून को उनकी मौत हो गई। वहीं, अस्पताल प्रशासन की तरफ से कहा जा रहा है कि मरीज को वेंटिलेटर समेत सभी जरूरी सुविधाएं दी गई थीं, हृदय संबधी तकलीफ के चलते उनकी मौत हुई है। दूसरी तरफ मरीज के परिजनों का कहना है कि एक निजी अस्पताल को मरीज के सैंपल भेजे गए थे जिससे पता चलता है कि उनकी मौत कोविड-19 से ही हुई है।
एक समाचार चैनल से बात करते हुए मरीज के पिता का कहना था कि ‘यह वीडियो रिकॉर्ड करने के एक घंटे बाद ही उनके बेटे की मौत हो गई। उसे ऑक्सीजन क्यों नहीं दी गई? उसका वेंटिलेटर क्यों हटाया गया? क्या किसी और को इसकी ज़रूरत थी? ऐसा नहीं होना चाहिए।’
इससे पहले कोरोना संक्रमण की जांच करवाने और इलाज के लिए भर्ती होने को लेकर भी मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ा था। परिजनों के मुताबिक बीते बुधवार को 10 से ज्यादा निजी अस्पतालों में उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया था।
मरीज की मौत होने तक उनके कोरोना संक्रमित होने के बारे में नहीं मालूम था, इसलिए मौत के बाद उनकी बॉडी परिजनों को सौंप दी गई। मरीज के पिता का कहना है कि मृतक के संपर्क में आने के चलते परिवार के छह सदस्यों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा है और वे इसकी जांच करवाना चाहते हैं लेकिन इसकी भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।