CJP के IA ने SC से आदेश प्राप्त किया था कि जिन बच्चों को अंतिम NRC सूची से बाहर कर दिया गया था, यदि उनके माता-पिता का नाम इसमें नहीं है, तो उन्हें हिरासत केंद्रों में नहीं भेजा जाएगा।
असम एनआरसी में जिन लोगों के नाम दर्ज हैं लेकिन उनके बच्चों के नाम नहीं हैं, ऐसे बच्चों की नागरिकता के लिए सीजेपी ने हस्तक्षेप आवेदन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एऩआरसी से बाहर किए ऐसे बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा।
केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि अगर असम एनआरसी में माता-पिता का नाम है तो छूटे बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
राय ने सदन को बताया कि एनआरसी में छूटे उन बच्चों के लिए जिनके माता पिता का नाम शामिल था सरकार ने दावों और आपत्तियों के निपटान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया में विशेष प्रावधान किए हैं।
राय ने कहा, अटॉर्नी जनरल ने 6 जनवरी 2020 को शीर्ष कोर्ट के समक्ष कहा था कि ऐसे बच्चों को उनके अभिभावकों से अलग नहीं किया जाएगा और डिटेंशन सेंटर भी नहीं भेजा जाएगा। गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में प्रकाशित हुई असम एनआरसी में करीब 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम छूट गए थे।
असम एनआरसी में जिन लोगों के नाम दर्ज हैं लेकिन उनके बच्चों के नाम नहीं हैं, ऐसे बच्चों की नागरिकता के लिए सीजेपी ने हस्तक्षेप आवेदन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एऩआरसी से बाहर किए ऐसे बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा।
केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि अगर असम एनआरसी में माता-पिता का नाम है तो छूटे बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
राय ने सदन को बताया कि एनआरसी में छूटे उन बच्चों के लिए जिनके माता पिता का नाम शामिल था सरकार ने दावों और आपत्तियों के निपटान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया में विशेष प्रावधान किए हैं।
राय ने कहा, अटॉर्नी जनरल ने 6 जनवरी 2020 को शीर्ष कोर्ट के समक्ष कहा था कि ऐसे बच्चों को उनके अभिभावकों से अलग नहीं किया जाएगा और डिटेंशन सेंटर भी नहीं भेजा जाएगा। गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में प्रकाशित हुई असम एनआरसी में करीब 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम छूट गए थे।