आज के टेलीग्राफ में मुख्य खबर का शीर्षक है, गांधी भक्तों की सरकार। उपशीर्षक है, केंद्र ने कहा : सीएए बापू की इच्छा का सम्मान करता है। इसके बाद अखबार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर तथा भाजपा सांसद प्रवेश सिंह वर्मा (दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के सुपुत्र हैं पर भाजपा में हैं इसलिए वंशवाद की कोई बात नहीं होती है) की तस्वीर लगाकर पूछा है क्या बापू ने आपको यह सब सिखाया?
इनकी तस्वीरों के नीचे इनके 15 दिसंबर (झारखंड चुनाव से पहले), 27 और 28 जुलाई (दिल्ली चुनाव से पहले) के भाषण का हवाला है। पहला भाषण आग लगाने वालों (सीएए विरोधियों) को कपड़ों से पहचाना जा सकता है जबकि दूसरा देश के गद्दारों को .... (भीड़ की ओर से) गोली मारो (का नारा लगवाना है) और तीसरा "लाखों लोग वहां (शाहीन बाग) इकट्ठा होते हैं। ... वह आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहनों और बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे, उन्हें मारेंगे .....।"
अखबार की खबर यह तथ्य बताने से शुरू होती है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने शुक्रवार को संसद में सरकार का लिखा भाषण पढ़ा और कहा कि नागरिकता संशोधन कानून जो सिर्फ मुसलमानों को छोड़ देता है, को राष्ट्रपिता की इच्छा का सम्मान करने के लिए बनाया गया है। राष्ट्रपति ने जो पढ़ा उसे बताने के बाद लिखा है, इसपर सत्तारूढ़ सांसदों ने देर तक मेजें थपथपाईं और विपक्ष ने विरोध किया। .....
आगे लिखा है, राष्ट्रपति के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तैयार भाषण में गांधी का हवाला चुन-चुन कर दिया गया है जो द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी से लिया गया है और गांधी जी के कुछ विचार जिसका भाषण में उल्लेख नहीं था उसका उल्लेख खबर में किया गया है। मैं ऐसे सिर्फ दो अंश का अनुवाद कर रहा हूं पूरी खबर का लिंक कमेंट बॉक्स में है। अंग्रेजी में पूरी खबर पढ़ना चाहें तो लिंक देख सकते हैं।
10 जुलाई 1947 की प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी ने कहा था, "अगर सिन्ध और दूसरी जगहों के लोग अपना घर छोड़ दें और भारत आएं तो क्या हमें उन्हें बाहर कर देना चाहिए? अगर हम ऐसा करते हैं तो कैसे हम खुद को भारतीय कह सकते हैं? कौन सा चेहरा लेकर हम 'जयहिन्द' कहेंगे? नेताजी ने किस बात के लिए सघर्ष किया था? हम सब भारतीय हैं दिल्ली में रह रहे हों या गुजरात में वे सब हमारे अतिथि होंगे। हम यह कहकर उनका स्वागत करेंगे कि भारत उनका देश है वैसे ही जैसे पाकिस्तान है। अगर राष्ट्रवादी मुसलमानों को भी पाकिस्तान छोड़ना पड़ा तो हम यहां उनका स्वागत करेंगे। भारतीय के रूप में हम सब की समान स्थिति है।"
25 जुलाई 1947 की प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी ने कहा था, "यहां मुस्लिम, पारसी, ईसाई और अन्य धार्मिक समूह हैं। हिन्दुओं की यह मान्यता कि भारत अब हिन्दुओं का है, गलत है। भारत उन सबों का है जो यहां रहते हैं।"
इसके अलावा, आज टेलीग्राफ में जो अन्य खबर हैं उनमें एक गोली मारने वाले रामभक्त गोपाल की है। इसका शीर्षक बताता है कि उसे बचाने की कोशिशें चल रही हैं और इसमें एक पैटर्न या शैली है। उसे बच्चा बचाने के साथ कई मुख्य प्रश्न अनुत्तरित हैं। तीसरी खबर बताती है कि 2018-19 में जो विकास दर बताई गई थी वह असल में और कम थी या उसे संशोधित कर 6.1 प्रतिशत कर दिया गया है।
आज इसी खबर पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कोट है, 2017-18 और 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्पाद विकास की दर संशोधित कर कम कर दी गई है। मोदी जी के पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की हालत असल में हमने अभी तक जो समझा है उससे भी बुरी थी। चौथी खबर बताती है कि नई दिल्ली में सार्क देशों द्वारा स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय यह सुझाव देता लगता है कि छात्रों को अपने से मतलब रखना चाहिए और सरकार पर सवाल उठाने से बचना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)
इनकी तस्वीरों के नीचे इनके 15 दिसंबर (झारखंड चुनाव से पहले), 27 और 28 जुलाई (दिल्ली चुनाव से पहले) के भाषण का हवाला है। पहला भाषण आग लगाने वालों (सीएए विरोधियों) को कपड़ों से पहचाना जा सकता है जबकि दूसरा देश के गद्दारों को .... (भीड़ की ओर से) गोली मारो (का नारा लगवाना है) और तीसरा "लाखों लोग वहां (शाहीन बाग) इकट्ठा होते हैं। ... वह आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहनों और बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे, उन्हें मारेंगे .....।"
अखबार की खबर यह तथ्य बताने से शुरू होती है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने शुक्रवार को संसद में सरकार का लिखा भाषण पढ़ा और कहा कि नागरिकता संशोधन कानून जो सिर्फ मुसलमानों को छोड़ देता है, को राष्ट्रपिता की इच्छा का सम्मान करने के लिए बनाया गया है। राष्ट्रपति ने जो पढ़ा उसे बताने के बाद लिखा है, इसपर सत्तारूढ़ सांसदों ने देर तक मेजें थपथपाईं और विपक्ष ने विरोध किया। .....
आगे लिखा है, राष्ट्रपति के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तैयार भाषण में गांधी का हवाला चुन-चुन कर दिया गया है जो द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी से लिया गया है और गांधी जी के कुछ विचार जिसका भाषण में उल्लेख नहीं था उसका उल्लेख खबर में किया गया है। मैं ऐसे सिर्फ दो अंश का अनुवाद कर रहा हूं पूरी खबर का लिंक कमेंट बॉक्स में है। अंग्रेजी में पूरी खबर पढ़ना चाहें तो लिंक देख सकते हैं।
10 जुलाई 1947 की प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी ने कहा था, "अगर सिन्ध और दूसरी जगहों के लोग अपना घर छोड़ दें और भारत आएं तो क्या हमें उन्हें बाहर कर देना चाहिए? अगर हम ऐसा करते हैं तो कैसे हम खुद को भारतीय कह सकते हैं? कौन सा चेहरा लेकर हम 'जयहिन्द' कहेंगे? नेताजी ने किस बात के लिए सघर्ष किया था? हम सब भारतीय हैं दिल्ली में रह रहे हों या गुजरात में वे सब हमारे अतिथि होंगे। हम यह कहकर उनका स्वागत करेंगे कि भारत उनका देश है वैसे ही जैसे पाकिस्तान है। अगर राष्ट्रवादी मुसलमानों को भी पाकिस्तान छोड़ना पड़ा तो हम यहां उनका स्वागत करेंगे। भारतीय के रूप में हम सब की समान स्थिति है।"
25 जुलाई 1947 की प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी ने कहा था, "यहां मुस्लिम, पारसी, ईसाई और अन्य धार्मिक समूह हैं। हिन्दुओं की यह मान्यता कि भारत अब हिन्दुओं का है, गलत है। भारत उन सबों का है जो यहां रहते हैं।"
इसके अलावा, आज टेलीग्राफ में जो अन्य खबर हैं उनमें एक गोली मारने वाले रामभक्त गोपाल की है। इसका शीर्षक बताता है कि उसे बचाने की कोशिशें चल रही हैं और इसमें एक पैटर्न या शैली है। उसे बच्चा बचाने के साथ कई मुख्य प्रश्न अनुत्तरित हैं। तीसरी खबर बताती है कि 2018-19 में जो विकास दर बताई गई थी वह असल में और कम थी या उसे संशोधित कर 6.1 प्रतिशत कर दिया गया है।
आज इसी खबर पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कोट है, 2017-18 और 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्पाद विकास की दर संशोधित कर कम कर दी गई है। मोदी जी के पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की हालत असल में हमने अभी तक जो समझा है उससे भी बुरी थी। चौथी खबर बताती है कि नई दिल्ली में सार्क देशों द्वारा स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय यह सुझाव देता लगता है कि छात्रों को अपने से मतलब रखना चाहिए और सरकार पर सवाल उठाने से बचना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)